Upsarg in hindi grammar (उपसर्ग):
हिंदी व्याकरण में upsarg वे अव्यय हैं जो किसी शब्द की शुरुआत में जुड़कर उसके अर्थ को बदल देते हैं। इसलिए upsarg kise kahate hain—वे छोटे अवयव जो मूल शब्द के पहले लगकर नया अर्थ बनाते हैं। भाषा के अर्थ-विस्तार में upsarg in Hindi का महत्वपूर्ण स्थान है। जैसे—प्र + जग = प्रजग, अति + सुंदर = अतिसुंदर आदि upsarg ke udaharan।
उपसर्ग (Upsarg)
- उपसर्ग = उप + सर्ग ।
- उप का अर्थ = निकट / समीप ।
- सर्ग का अर्थ = सृष्टि / निर्माण ।
उपसर्ग का अर्थ क्या होता है ?
:- उपसर्ग का अर्थ किसी सार्थक शब्द के निकट जुड़कर अन्य शब्द का “सृष्टि या निर्माण करना” होता है ।
उपसर्ग किसे कहते हैं? Upsarg kise kahate hain
:- वे शब्दांश (शब्द का अंश) जो किसी मूल सार्थक शब्दों के पूर्व (पहले) में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाता है, उसे उपसर्ग (Upsarg) कहते हैं ।
उदाहरण :-
| उपसर्ग | मूल शब्द | परिवर्तित शब्द | अर्थ |
| सम् | हार | संहार | मारना । |
| आ | हार | आहार | भोजन |
| अति | अन्त | अत्यन्त | बेहद |
| परा | जय | पराजय | हार |
| अप | मान | अपमान | तिरस्कार |
| निर् | भय | निर्भय | निडर आदि । |
उपसर्ग (Upsarg) मूल शब्दों के साथ जुड़कर कितने प्रमुख कार्य करते हैं ?
:- उपसर्ग मूल शब्दों के साथ जुड़कर प्रमुख दो कार्य करते हैं :-
(i) वे शब्दांश जो किसी शब्द के साथ जुड़कर अर्थ को आंशिक रुप से परिवर्तित (विशेषता लाना) करते हैं :-
उदाहरण :- “मोद” शब्द का अर्थ “आनंद या प्रसन्नता” होता है । यदि इसमें “प्र” उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो “प्रमोद” शब्द बन जाता है । जिसका अर्थ “बहुत अधिक प्रसन्नता” होता है ।
ज्ञान शब्द का अर्थ “बोध” होता है । यदि इसके साथ “वि” उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो “विज्ञान” शब्द बन जाता है । जिसका अर्थ – किसी विषय का विशेष बोध होता है ।
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(अतः उक्त उदाहरण में “प्र एवं वि” उपसर्ग के जुड़ने से शब्द में आंशिक रूप से परिवर्तन हुआ है ।)
(ii) वे शब्दांश जो किसी शब्द के साथ जुड़कर उनके अर्थ को पूर्ण परिवर्तित या बदल देते हैं ।
उदाहरण :- अब “ज्ञान” शब्द के साथ उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो “अज्ञान” शब्द बन जाता है, जिसका अर्थ – बोध होता है ।
(अतः यहां “अ” उपसर्ग जुड़ने से पहले वाले अर्थ का विपरीत प्राप्त हो रहा है ।)
• नोट (Note) :- (क) एक ही मूल शब्द में अलग-अलग उपसर्ग जोड़कर अनेक शब्दों का निर्माण किया जा सकता है ।
उदाहरण :-
| उपसर्ग | हार | शब्द | शब्दार्थ – |
| प्रति | हार | प्रतिहार | द्वारपाल |
| उत् | हार | उद्धार | तारना |
| आ | हार | आहार | भोजन |
| सम् | हार | संहार | मारना |
| वि | हार | विहार | भ्रमण |
| उप | हार | उपहार | भेंट |
| प्र | हार | प्रहार | चोट । |
(ख) कुछ उपसर्ग मूल शब्दों से स्वतंत्र रूप से भी जुड़े रहते हैं एवं वर्णों के मेल हो जाने पर उनमें संधि भी हो जाती है । अतः संधि युक्त उपसर्गों को संधि-विच्छेद के नियमों से ही पृथक् करते हैं एवं जोड़ते हैं।
उदाहरण :-
- अभि + मान = अभिमान ( इसमें उपसर्ग स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हुआ है ।)
- सम् + मान = सम्मान । ( इसमें उपसर्ग स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हुआ है ।)
- अति + अधिक = अत्यधिक। ( वृद्धि संधि के नियम से उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है ।)
- अनु + एषण = अन्वेषण । (यण् संधि के नियम से उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है ।) आदि ।
हिंदी भाषा में कितने प्रकार के उपसर्ग प्रचलित हैं ?
:- हिंदी भाषा में निम्नांकित तीन (03) प्रकार के उपसर्ग प्रचलित हैं :-
(i) संस्कृत भाषा के उपसर्ग
(ii) हिंदी भाषा के उपसर्ग
(iii) उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा के उपसर्ग विदेशी उपसर्ग
(i) संस्कृत भाषा के कितने उपसर्ग हैं? Sanskrit bhasha ke Upsarg
:- संस्कृत भाषा के निम्नांकित बाईस (22) उपसर्ग हैं :-
| क्रम संख्या | उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण |
| 1. | अति | अधिक, परे, ऊपर | अत्यंत (अति+अंत), अतिकाल, अत्यल्प(अति+अल्प), अतिक्रमण, अतिभोग, अतिसार, अत्युक्ति आदि । |
| 2. | अधि | ऊपर, अधिक, ऊँचा, मुख्य | अधिनियम, अधिसूचना, अधिकार, अधिग्रहण, अधिक्षेत्र, अध्याय(अधि+आय), अधीश (अधि+ईश) आदि । |
| 3. | अनु | पीछे, समान, अनुकूल | अनुज, अनुचर, अनुताप, अनुदेश, अनुक्रम, अनुकरण, अन्वेषण (अनु+एषण),अनुष्ठान (अनु+स्थान) आदि । |
| 4. | अभि | पास, सामने, कुशल, अनुचित, विशेष | अभिलेख, अभिमान, अभिरक्षक, अभिकर्ता, अभ्यास (अभि+आस), अभ्यंतर (अभि+अंतर) आदि । |
| 5. | अपि | भी | अपिहित, अपिधान, अपितु आदि । |
| 6. | अप | बुरा, विपरित, अपवाद, निषेध, विकार | अपकार, अपवर्तन, अपयश, अपेक्षा(अप+ईक्षा), अपकर्म, अपकीर्ति, अपराग, अपमान आदि । |
| 7. | अव | नीचा, बुरा, हीन, निश्चय | अवज्ञा, अवतार, अवतरण, अवधान, अवाप्ति, अवज्ञा, अवगुंफन, अवगुण, अवकाश आदि । |
| 8. | आ | तक, से, अपनी ओर | आदेश, आजानुबाहु, आचरण, आख्यान, आमरण, आहार, आभूषण, आदान, आकलन, आकर्षण आदि । |
| 9. | प्र | आगे, अधिक, बहुत, विशेष, अन्तर | प्रहार, प्रपात, प्रदेश, प्रादर्शन, प्रगति, प्रकांड, प्रकथन, प्राध्यापक, प्रार्थी (प्र+अर्थी) आदि । |
| 10. | परा | अधिक, परे, उल्टा, पीछे, विपरीत | पराक्रम, पराविद्या, परावर्त्तन, परामर्श, पराभाव, पराकाष्ठा, पराभूत, पराजय आदि । |
| 11. | सम् | साथ, पूर्ण, भलीप्रकार | सन्धि (सम्+धि), संकर्मण(सम्+कर्मण), संकलन(सम् +कलन), संस्कृत(सम्+कृत), संदेश(सम्+देश) आदि । |
| 12. | नि | बाहर, अत्यंत, निश्चय, विशेष, बड़ा | न्यास(नि+आस), निवास, नियम, निधन , निगम आदि । |
| 13. | वि | विशेष, भिन्न, अभाव | वियोग, विमुख, विलाप, विभाजन, विफल, वितान, व्याकरण(वि+आ+करण) ,व्यंजन(वि+अंजन), व्यय (वि+अय) आदि । |
| 14. | उप | सहायक, छोटा, पास | उपहार, उपदेश, उपनाम, उपनयन, उपवन, उपयोग, उपन्यास(उप+नि+आस), उपेक्षा(उप+ईक्षा), अपाधि आदि । |
| 15. | उत्, उद् | ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपर | (क) उत् – उन्नति (उत्+नति), उच्छ्वास (उत्+श्वास), उदय (उत्+अय), उल्लेख (उत् +लेख), उज्ज्वल (उत् +ज्वल) (ख) उद् – उत्पाद (उद् +पाद), उत्पल (उद् + पल), उत्क्रम (उद् + क्रम) ,उत्कंठा (उद् + कंठा) आदि । |
| 16. | प्रति | समान, बदले में, सामने, विपरीत, प्रत्येक | प्रतिध्वनि, प्रतिपर्ण, प्रतिलिपि, प्रतिक्रिया, प्रतिमास, प्रतिनिधि, प्रतिफल, प्रतिक्षा (प्रति +ईक्षा) आदि । |
| 17. | परि | तरह, अच्छी, चारों ओर, पास | परिवर्जन, परिपूर्ण, परिभ्रमण, परिवेश, परिधान, परिधि, परित्याग, परिजन, परिकलन आदि । |
| 18. | सु | सुन्दर, सरल, अच्छा | सुदर्शन, सुमार्ग, सुचारू, सुकवि, सुगम, सुकुमार, सुरति, सुपुत्र, सुगन्ध, सुलभ आदि । |
| 19. | निर् | बाहर, अत्यंत, बिना , निषेध, निश्चय | निर्मम(निर् + मम), निर्गम(निर् +गम), निर्वाह (निर्+वाह), निर्णय (निर् +नय), निरादार (निर् + आदर) आदि । |
• नोट (Note) :- क्रम संख्या (19) में लिखित शब्द जिसमें “निर्” उपसर्ग लगा हुआ है ध्यान रहे की उसका संधि विच्छेद विसर्ग संधि के नियमों से होता है । उपसर्ग “निर्” के स्थान पर संधि प्रकरण में “नि:” ष्रयुक्त होता है ।
उदाहरण :- निरीक्षण = निर् + ईक्षण ( उपसर्ग प्रकरण) ।
निरीक्षण = निः + ईक्षण ( संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) निरूपाय = निर् + उपाय (उपसर्ग प्रकरण) । निरूपाय = निः + उपाय(संधि प्रकरण, विसर्ग संधि)। आदि ।
| 20. | निस् | बिशेष, बड़ा, बिना | (क) निश्चेतन (निस्+चेतन), निश्शब्द (निस्+शब्द) ,निश्शुल्क (निस्+शुल्क), निश्शत्रु (निस्+शत्रु), निश्छल (निस्+छल) (ख) निष्कपट (निस्+कपट), निष्पक्ष (निस्+पक्ष), निष्कर्ष (निस्+कर्ष) ,निष्कलंक (निस्+कलंक) आदि । (ग) निस्सीम (निस्+सीम), निस्संदेह (निस्+संदेह), निस्संग (निस्+संग), निस्तार (निस्+तार), निस्तल (निस्+तल) आदि । |
अतः उक्त उदाहरणों में संधि-विच्छेद एवं उपसर्ग व मूल शब्द को पृथक (अलग-अलग) निम्न प्रकार से करेंगे :-
20. (क) के संदर्भ में :-
उदाहरण :–
- निश्चल = निस् + चल (उपसर्ग प्रकरण)
- निश्चल = निः + चल (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।
- निश्शुल्क = निस् + शुल्क (उपसर्ग प्रकरण)
- निश्शुल्क = निः + शुल्क(संधि प्रकरण, विसर्ग संधि)।
• नोट (Note) :- विसर्ग से पहले अ , आ को छोड़कर अन्य कोई स्वर हो और उसके बाद च्, छ्, श् हो, तो विसर्ग का “श” बन जाता है ।
20. (ख) के संदर्भ में :-
उदाहरण :-
- निष्कासन = निस् + कासन (उपसर्ग प्रकरण)
- निष्कासन = निः + कासन (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।
• नोट (Note) :- विसर्ग के बाद अघोष वर्ण क्, ख्, ट्, ठ्, प्, फ् में से कोई वर्ण आ जाता है, तो विसर्ग का “ष” बन जाता है ।
20. (ग) के संदर्भ में :-
उदाहरण :-
- निस्संदेह = निस् + संदेह (उपसर्ग प्रकरण)
- निस्संदेह = निः + संदेह (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।
- निस्तल = निस् +तल (उपसर्ग प्रकरण)
- निस्तल = नि: + तल (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।
•नोट (Note) :- (i) विसर्ग के बाद अघोष वर्ण क्, त्, प्, स् में से कोई वर्ण आ जाता है, तो विसर्ग का “स” बन जाता है ।
(ii) याद रहे कि केवल “निस्” ही उपसर्ग होता है , बल्कि “निश् या निष्” उपसर्ग नहीं होता है ।
| 21. | दुर् | विपरीत, बुरा, कठिन | दुर्बुद्धि (दुर् +बुद्धि), दुर्वचन(दुर् +वचन), दुर्गन्ध (दुर् +गंध), दुरवस्था (दुर् + अवस्था), दुराग्रह (दुर् +आग्रह), दुराचरण (दुर्+आचरण) आदि । |
• नोट(Note) :-(i) उक्त उदाहरणों का संधि-विच्छेद निम्न प्रकार से होगा –
उदाहरण :-
- दुराचरण = दुः + आचरण ।
- दुर्वचन = दुः + वचन ।
- दुरात्मा = दुः + आत्मा आदि ।
क्योंकि जब विसर्ग से पहले “अ, आ” को छोड़कर अन्य कोई स्वर हो और विसर्ग के बाद कोई सघोष अर्थात् वर्ग का तीसरा, चौथा या पाचवाँ वर्ण तथा य्, र्, ल् तथा व् में से कोई एक वर्ण हो, तो विसर्ग का “र्” बन जाता है ।
(ii) “दुः” कोई उपसर्ग (Upsarg) नहीं होता है ।
| 22. | दुस् | कठिन, बुरा, विपरीत | (क) दुश्चय (दुस् +चय), दुश्शासन (दुस् + शासन), दुश्चक्र (दुस् + चक्) आदि । (ख) दुष्काल (दुस् +काल) ,दुष्प्रयोग (दुस् + प्रयोग), दुष्प्रभाव (दुस् + प्रभाव), दुष्कर (दुस् +कर) आदि । (ग) द्स्साध्य (दुस् + साध्य), दुस्तर (दुस् + तर), दुस्साहस (दुस्+साहस) आदि । |
• नोट(Note) :- उक्त लिखित शब्दों जिसमें “दुस्” उपसर्ग (Upsarg) लगा हुआ है । याद रहे कि उसका संधि-विच्छेद विसर्ग संधि के नियमों से होता है । उपसर्ग “दुस्” के स्थान पर संधि प्रकरण में “दुः” प्रयुक्त होता है ।
उदाहरण :-
- दुश्शासन = दुस् + शासन (उपसर्ग प्रकरण)
- दुश्शासन = दुः + शासन (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि)
- दुष्काल = दुस् + काल (उपसर्ग प्रकरण)
- दुष्काल = दुः + काल (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) आदि ।
• नोट (Note) :- ध्यान रहे कि संस्कृत भाषा में कुछ अव्यय ऐसे हैं, जो सार्थक शब्द के पहले जुड़कर उपसर्ग के जैसा ही प्रयुक्त होते हैं, जो निम्नांकित हैं :-
| क्रम संख्या | उपसर्ग (Upsarg) | अर्थ | उदाहरण |
| 1. | अ | नकारात्मक, अभाव | अजर, अकाल, अस्थिर, अलक्ष्य, अवैतनिक, अव्यय आदि। |
| 2. | अधः | नीचे | अधोवायु (अधः + वायु), अधःपतन, अधोवस्त्र(अधः + वस्त्र), अधोगति (अधः + गति) आदि। |
| 3. | अन् | अभाव, रहित | अनंत (अन् + अंत), अनुदार (अन् + उदार), अनासक्त (अन् + आसक्त), अनन्तर (अन् + अन्तर), अनर्थ आदि । |
| 4. | चिर | बहुत, दीर्घ, अधिक | चिरयौवन, चिरायु, चिरस्थाई, चिरकाल, चिरजीवन चिरजीवी, चिरपरिचित आदि । |
| 5. | अनतर् | भीतर | अन्तर्पट (अन्तर् + पट), अन्तःश्वसन (अन्तर् + श्वसन), अन्तरात्मा (अन्तर् + आत्मा), अन्तर्दृष्टि (अन्तर् + दृष्टि), आदि । |
| 6. | का, कु | बुरा | काजल, कापथ, कापुरुष, कुलक्षण, कुरूप, कुसंग, कुचक्र, कुकर्म आदि । |
| 7. | अलम् | सुन्दर | अलंकरण (अलम् + करण), अलंकृत (अलम् + कृत), अलंकार (अलम् + कार) आदि । |
| 8. | स्व | अपना | स्वदेश, स्वजन, स्वकीय, स्वावलम्बी (स्व + अवलम्बी), स्वाधीन (स्व + अधीन) आदि । |
| 9. | पर | दूसरा | पराधीन (पर + अधीन), पराश्रित (पर +आश्रित), परोपकार (पर + उपकार) आदि । |
| 10. | तिरः | तुच्छ | तिरोधान (तिरः + धान), तिरस्कार (तिरः + ‘कार), तिरोहित (तिरः + हित), तिरोभाव (तिरः +अभाव) आदि । |
| 11. | बहु | बहुत | बहुमुल्य, बहुमत, बहुधा आदि । |
| 12. | बहिः | बाहर | बहिष्कार (बहिः+कार) ,बहिष्कृत (बहिः+कृत) , बहिर्ज्ञानी (बहिः+ज्ञानी), बहिरंग (बहिः+रंग आदि । |
| 13. | स | सहित | सजीव, समित्र, सहृदय, सावधान (स + अवधान), सादर (स +आदर) आदि । |
| 14. | पुनर् | दुबारा | पुनर्वास (पुनर् + वास), पुनरागमन (पुनर् + आगमन), पुनःप्राप्ति, पुनर्विवाह (पुनर् + विवाह) आदि । |
| 15. | न | नहीं | नकुल, नपुंसक, नास्तिक (न +आस्तिक), नेति (न+ इति) आदि । |
| 16. | प्राक् | पहले का | प्रागेव(प्राक् + एव), प्रागैतिहासिक (प्राक् + ऐतिहासिक), प्राङ्मुख (प्राक्+मुख) आदि । |
| 17. | सत् | अच्छा | सदाचार (सत् + आचार), सदुपदेश (सत्+उप+देश), सदाशय (सत् + आशय), सद्गुण (सत् +गुण), सज्जन (सत् +जन) आदि । |
| 18. | पुरः | सामने, आगे | पुरस्कार (पुरः +कार), पुरोहित (पुरः +हित), पुरश्चरण (पुरः + चरण) आदि । |
| 19. | पुरा | प्राचीन | पुरावृत्त, पुराण, पुरातन, पुरावशेष (पुरा + अवशेष) आदि । |
| 20. | अंतर | के बीच | अन्तरराष्ट्रीय, अन्तरजातीय, अन्तरराज्यीय आदि । |
हिंदी के कुल कितने उपसर्ग हैं ? Hindi me kitne Upsarg hain?
:- हिंदी के निम्नांकित उन्नीस (19) उपसर्ग (Upsarg) हैं :-
| क्रम संख्या | उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण – |
| 1. | अ | नहीं | अडिग, अथक, अथाह, अबेर, अकाज आदि । |
• नोट(Note) :- यदि ‘अ’ उपसर्ग संस्कृत का है ,तो उसका प्रयोग केवल तत्सम शब्दों में ही होता है तथा हिन्दी में “अ” उपसर्ग (Upsarg) का प्रयोग तद्भव शब्दों में होता है ।
| 2. | सम् | समान | समकालीन, समकोण, समतल, समबाहु, समक्क्ष आदि । |
| 3. | अन | बिना | अनगढ़, अनसुना, अनमोल, अनचाहा, अनहोनी आदि । |
| 4. | बिन | बिना | बिनबुलाया, बिनदेखा, बिनब्याहा, बिनजाने आदि । |
| 5. | अध | आधा | अधजला, अधकपा, अधकचरा, अधमरा, अधखिला आदि । |
| 6. | भर | पुरा या भरा हुआ | भरकम, भरपुर, भरपेट, भरसक आदि । |
| 7. | उन | एक कम | उनचास, उनतालीस, उनसठ, उनतीस आदि। |
| 8. | सु | अच्छा | सुजान, सुफल, सुदेश, सुडौल, सुमित आदि । |
| 9. | औ | बुरा, नीचे | औढ़र, औसर, औघट, औतार, औगुन आदि । |
| 10. | स | सहित | सचेत, सहित, सहेली, समीत, सदय, सलोना आदि । |
| 11. | उ | ऊपर, ऊँचा | उचक्का, उलाँघना, उखड़ना, उछलना, उजड़ना आदि । |
| 12. | पर | दूसरा | परनाना, परदादा, परपोता, परनाती, परदुख, परसुख आदि । |
| 13. | क, कु | बुरा | कपुत, कुटेव, कुढंग, कुपथ ,कुयोग, कुठौर आदि । |
| 14. | नि | बिना, रहित | निकम्मा, निहत्था, निपुता, निधड़क आदि । |
| 15. | दु | बुरा, हीन | दुसुती, दुपहरी, दुबला, दुकाल आदि । |
| 16. | पच | पाँच | पचरंगा, पचमेल, पचमढ़ी, पचकूटा आदि । |
| 17. | चौ | चार | चौमासा, चौरंगा, चौपाया, चौपाई आदि । |
| 18. | ति | तीन | तिमाही, तिरंगा, तिपाई, तिगुना, तिराहा आदि । |
| 19. | दु | दो | दुभाषिया, दुमुखी, दुनाली, दुगुना, दुरंगा आदि । |
विदेशी भाषा के उपसर्ग (Videshi Bhasha Ke Upsarg) :-
(क) उर्दू (अरबी + फारसी) भाषा के उपसर्ग (Upsarg) –
| क्रम संख्या | उपसर्ग (Upsarg) | अर्थ | उदाहरण– |
| 1. | ब, बा | सहित | बखूबी, बाज्रावता, बदौलत, बाअदब, बाक़ायदा आदि । |
| 2. | नेक़ | भला | नेक़दिल, नेक़राहा, नेक़नीयत आदि । |
| 3. | बे | रहित | बेदर्द, बेवज़ह, बेवफ़ा, बेरहम, बेबुनियाद, बेज़ुबान, बेहिसाब आदि । |
| 3. | हर | प्रत्येक | हरकोई, हरतरफ, हरघड़ी, हरवक्त, हरदम, हररोज़, हरबार आदि । |
| 5. | ला | बिना | लाचार, लाइलाज, लापरवाह, लावारिस, लापता आदि । |
| 6. | हम | साथ, समान | हमउम्र, हमदर्द, हमसफर, हमवतन, हमदम, हमराह आदि । |
| 7. | कम | न्यून, हीन | कमबख़्त, कमसिन, कमउम्र, कमअक्ल आदि । |
| 8. | ना | नहीं, बिना | नादान, नाचीज, नाबालिग, नाराज़, नालायक, नामुराद, नापाक आदि । |
| 9. | दर | में | दरवेश, दरबार, दरकिनार, दरअसल, दरभियान आदि । |
| 10. | सर | मुख्य, अच्छा , श्रेष्ठ | सरताज़, सरदार, सरकार, सरक़श, सरपंच, सरनाम आदि । |
| 11. | ऐन | ठीक | ऐनमौक़ा, ऐनआदमी, ऐनइनायत, ऐनवक़्त आदि । |
| 12. | ग़ैर | रहित, भिन्न | ग़ैरमर्द, ग़ैरज़रूरी, गैरज़िम्मेदार, ग़ैरहाज़िर, ग़ैरहाज़िर आदि । |
| 13. | अल | निश्चित | अलबत्ता, अलहदा, अलविदा, अलमस्त, अलग़रज आदि । |
| 14. | बिला | बिना | बिलाक़सुर, बिलाशर्त, बिलावज़ह, बिलाशक़ आदि । |
| 15. | बद | बुरा | बदनाम, बदचलन, बदमिज़ाज, बदहज़मी, बदनसीब आदि । |
| 16. | खुश | अच्छा, प्रसन्न, श्रेष्ठ | ख़ुशक़िस्मत, ख़ुशमिजाज, खुशखबरी, ख़ुशनुमा आदि । |
अंगरेजी भाषा के उपसर्ग (Angregi Bhasha ke Upsarg):-
| क्रम संख्या | उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण – |
| 1. | हैड | प्रधान | हैडकलर्क, हैडमिस्ट्रेस, हैडमास्टर, हैडऑफिस आदि । |
| 2. | चीफ | प्रमुख | चीफ मिनिस्टर, चीफसेक्रेटरी आदि । |
| 3. | डिप्टी | सहायकं | डिप्टी रजिस्ट्रार, डिप्टी इंस्पेक्टर , डिप्टी कलेक्टर आदि । |
| 4. | सब | उप | सब इंस्पेक्टर , सब स्टेशन, सबकमेटी, सब रजिस्ट्रार आदि । |
| 5. | वाइस | उप | वाइस चेयरमैन, वाइस प्रिंसिपल, वाइस चांसलर, वाइस प्रसीडेन्ट आदि । |
| 6. | हाफ | आधा | हाफ टिकट, हाफमाइंड, हाफपैंट, हाफशर्ट, हाफटाइम आदि । |
निष्कर्ष (Conclusion of Upsarg)
हिंदी व्याकरण में upsarg शब्द-निर्माण का एक महत्वपूर्ण भाग हैं। सरल शब्दों में upsarg kise kahate hain—वे अवयव जो मूल शब्द के पहले लगकर उसका अर्थ बदल देते हैं। इसलिए upsarg in Hindi को समझना भाषा की पकड़ मजबूत करता है और सीखने वालों को नए शब्द बनाने में मदद देता है। ऊपर दिए गए upsarg ke udaharan इस प्रक्रिया को और स्पष्ट बनाते हैं।
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