उपसर्ग क्या है? परिभाषा, प्रकार, उदाहरण एवं संपूर्ण सूचीउपसर्ग (Upsarg in hindi)

Upsarg in hindi grammar (उपसर्ग):

हिंदी व्याकरण में upsarg वे अव्यय हैं जो किसी शब्द की शुरुआत में जुड़कर उसके अर्थ को बदल देते हैं। इसलिए upsarg kise kahate hain—वे छोटे अवयव जो मूल शब्द के पहले लगकर नया अर्थ बनाते हैं। भाषा के अर्थ-विस्तार में upsarg in Hindi का महत्वपूर्ण स्थान है। जैसे—प्र + जग = प्रजग, अति + सुंदर = अतिसुंदर आदि upsarg ke udaharan

उपसर्ग (Upsarg)

  • उपसर्ग = उप + सर्ग ।
  • उप का अर्थ = निकट / समीप ।
  • सर्ग का अर्थ = सृष्टि / निर्माण ।

उपसर्ग का अर्थ क्या होता है ?

:- उपसर्ग का अर्थ किसी सार्थक शब्द के निकट जुड़कर अन्य शब्द का “सृष्टि या निर्माण करना” होता है ।

उपसर्ग किसे कहते हैं? Upsarg kise kahate hain

:- वे शब्दांश (शब्द का अंश) जो किसी मूल सार्थक शब्दों के पूर्व (पहले) में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाता है, उसे उपसर्ग (Upsarg) कहते हैं ।

उदाहरण :-

उपसर्ग मूल शब्द परिवर्तित शब्द अर्थ
सम्हारसंहारमारना ।
हारआहारभोजन
अतिअन्तअत्यन्तबेहद
पराजयपराजयहार
अपमानअपमानतिरस्कार
निर्भयनिर्भयनिडर
आदि ।

उपसर्ग (Upsarg) मूल शब्दों के साथ जुड़कर कितने प्रमुख कार्य करते हैं ?

:- उपसर्ग मूल शब्दों के साथ जुड़कर प्रमुख दो कार्य करते हैं :-

(i) वे शब्दांश जो किसी शब्द के साथ जुड़कर अर्थ को आंशिक रुप से परिवर्तित (विशेषता लाना) करते हैं :-

उदाहरण :-मोद” शब्द का अर्थ “आनंद या प्रसन्नता” होता है । यदि इसमें “प्र” उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो “प्रमोद” शब्द बन जाता है । जिसका अर्थ “बहुत अधिक प्रसन्नता” होता है ।

ज्ञान शब्द का अर्थ “बोध” होता है । यदि इसके साथ “वि” उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो “विज्ञान” शब्द बन जाता है । जिसका अर्थ – किसी विषय का विशेष बोध होता है ।

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(अतः उक्त उदाहरण में “प्र एवं वि” उपसर्ग के जुड़ने से शब्द में आंशिक रूप से परिवर्तन हुआ है ।)

(ii) वे शब्दांश जो किसी शब्द के साथ जुड़कर उनके अर्थ को पूर्ण परिवर्तित या बदल देते हैं ।

उदाहरण :- अब “ज्ञान” शब्द के साथ उपसर्ग जोड़ दिया जाए तो “अज्ञान” शब्द बन जाता है, जिसका अर्थ – बोध होता है ।

(अतः यहां “अ” उपसर्ग जुड़ने से पहले वाले अर्थ का विपरीत प्राप्त हो रहा है ।)

• नोट (Note) :- (क) एक ही मूल शब्द में अलग-अलग उपसर्ग जोड़कर अनेक शब्दों का निर्माण किया जा सकता है ।

उदाहरण :-

उपसर्ग हारशब्दशब्दार्थ
प्रतिहारप्रतिहारद्वारपाल
उत्हारउद्धारतारना
हारआहारभोजन
सम्हारसंहारमारना
विहारविहारभ्रमण
उपहारउपहारभेंट
प्रहारप्रहारचोट ।

(ख) कुछ उपसर्ग मूल शब्दों से स्वतंत्र रूप से भी जुड़े रहते हैं एवं वर्णों के मेल हो जाने पर उनमें संधि भी हो जाती है । अतः संधि युक्त उपसर्गों को संधि-विच्छेद के नियमों से ही पृथक् करते हैं एवं जोड़ते हैं।

उदाहरण :-

  • अभि + मान = अभिमान ( इसमें उपसर्ग स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हुआ है ।)
  • सम् + मान = सम्मान । ( इसमें उपसर्ग स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त हुआ है ।)
  • अति + अधिक = अत्यधिक। ( वृद्धि संधि के नियम से उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है ।)
  • अनु + एषण = अन्वेषण । (यण् संधि के नियम से उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है ।) आदि ।

हिंदी भाषा में कितने प्रकार के उपसर्ग प्रचलित हैं ?

:- हिंदी भाषा में निम्नांकित तीन (03) प्रकार के उपसर्ग प्रचलित हैं :-

(i) संस्कृत भाषा के उपसर्ग

(ii) हिंदी भाषा के उपसर्ग

(iii) उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा के उपसर्ग विदेशी उपसर्ग

(i) संस्कृत भाषा के कितने उपसर्ग हैं? Sanskrit bhasha ke Upsarg

:- संस्कृत भाषा के निम्नांकित बाईस (22) उपसर्ग हैं :-

क्रम संख्याउपसर्गअर्थउदाहरण
1.अतिअधिक, परे, ऊपरअत्यंत (अति+अंत), अतिकाल, अत्यल्प(अति+अल्प), अतिक्रमण, अतिभोग, अतिसार, अत्युक्ति आदि ।
2.अधिऊपर, अधिक, ऊँचा, मुख्यअधिनियम, अधिसूचना, अधिकार, अधिग्रहण, अधिक्षेत्र, अध्याय(अधि+आय), अधीश (अधि+ईश) आदि ।
3.अनुपीछे, समान, अनुकूलअनुज, अनुचर, अनुताप, अनुदेश, अनुक्रम, अनुकरण, अन्वेषण (अनु+एषण),अनुष्ठान (अनु+स्थान) आदि ।
4.अभिपास, सामने, कुशल, अनुचित, विशेषअभिलेख, अभिमान, अभिरक्षक, अभिकर्ता, अभ्यास (अभि+आस), अभ्यंतर (अभि+अंतर) आदि ।
5.अपिभीअपिहित, अपिधान, अपितु आदि ।
6.अपबुरा, विपरित, अपवाद, निषेध, विकारअपकार, अपवर्तन, अपयश, अपेक्षा(अप+ईक्षा), अपकर्म, अपकीर्ति, अपराग, अपमान आदि ।
7.अवनीचा, बुरा, हीन, निश्चयअवज्ञा, अवतार, अवतरण, अवधान, अवाप्ति, अवज्ञा, अवगुंफन, अवगुण, अवकाश आदि ।
8.तक, से, अपनी ओरआदेश, आजानुबाहु, आचरण, आख्यान, आमरण, आहार, आभूषण, आदान, आकलन, आकर्षण आदि ।
9.प्रआगे, अधिक, बहुत, विशेष, अन्तरप्रहार, प्रपात, प्रदेश, प्रादर्शन, प्रगति, प्रकांड, प्रकथन, प्राध्यापक, प्रार्थी (प्र+अर्थी) आदि ।
10.पराअधिक, परे, उल्टा, पीछे, विपरीतपराक्रम, पराविद्या, परावर्त्तन, परामर्श, पराभाव, पराकाष्ठा, पराभूत, पराजय आदि ।
11.सम्साथ, पूर्ण, भलीप्रकारसन्धि (सम्+धि), संकर्मण(सम्+कर्मण), संकलन(सम् +कलन), संस्कृत(सम्+कृत), संदेश(सम्+देश) आदि ।
12.निबाहर, अत्यंत, निश्चय, विशेष, बड़ान्यास(नि+आस), निवास, नियम, निधन , निगम आदि ।
13.विविशेष, भिन्न, अभाववियोग, विमुख, विलाप, विभाजन, विफल, वितान, व्याकरण(वि+आ+करण) ,व्यंजन(वि+अंजन), व्यय (वि+अय) आदि ।
14. उपसहायक, छोटा, पासउपहार, उपदेश, उपनाम, उपनयन, उपवन, उपयोग, उपन्यास(उप+नि+आस), उपेक्षा(उप+ईक्षा), अपाधि आदि ।
15.उत्, उद्ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपर(क) उत् –
उन्नति (उत्+नति), उच्छ्वास (उत्+श्वास), उदय (उत्+अय), उल्लेख (उत् +लेख), उज्ज्वल (उत् +ज्वल)
(ख) उद् –
उत्पाद (उद् +पाद), उत्पल (उद् + पल), उत्क्रम (उद् + क्रम) ,उत्कंठा (उद् + कंठा) आदि ।
16.प्रतिसमान, बदले में, सामने, विपरीत, प्रत्येकप्रतिध्वनि, प्रतिपर्ण, प्रतिलिपि, प्रतिक्रिया, प्रतिमास, प्रतिनिधि, प्रतिफल, प्रतिक्षा (प्रति +ईक्षा) आदि ।
17.परितरह, अच्छी, चारों ओर, पासपरिवर्जन, परिपूर्ण, परिभ्रमण, परिवेश, परिधान, परिधि, परित्याग, परिजन, परिकलन आदि ।
18.सुसुन्दर, सरल, अच्छासुदर्शन, सुमार्ग, सुचारू, सुकवि, सुगम, सुकुमार, सुरति, सुपुत्र, सुगन्ध, सुलभ आदि ।
19.निर्बाहर, अत्यंत, बिना , निषेध, निश्चयनिर्मम(निर् + मम), निर्गम(निर् +गम), निर्वाह (निर्+वाह), निर्णय (निर् +नय), निरादार (निर् + आदर) आदि ।

• नोट (Note) :- क्रम संख्या (19) में लिखित शब्द जिसमें “निर्” उपसर्ग लगा हुआ है ध्यान रहे की उसका संधि विच्छेद विसर्ग संधि के नियमों से होता है । उपसर्ग “निर्” के स्थान पर संधि प्रकरण में “नि:” ष्रयुक्त होता है ।

उदाहरण :- निरीक्षण = निर् + ईक्षण ( उपसर्ग प्रकरण) ।

निरीक्षण = निः + ईक्षण ( संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) निरूपाय = निर् + उपाय (उपसर्ग प्रकरण) । निरूपाय = निः + उपाय(संधि प्रकरण, विसर्ग संधि)। आदि ।

20.निस्बिशेष, बड़ा, बिना(क) निश्चेतन (निस्+चेतन), निश्शब्द (निस्+शब्द) ,निश्शुल्क (निस्+शुल्क), निश्शत्रु (निस्+शत्रु), निश्छल (निस्+छल)
(ख) निष्कपट (निस्+कपट), निष्पक्ष (निस्+पक्ष), निष्कर्ष (निस्+कर्ष) ,निष्कलंक (निस्+कलंक) आदि ।
(ग) निस्सीम (निस्+सीम), निस्संदेह (निस्+संदेह), निस्संग (निस्+संग), निस्तार (निस्+तार), निस्तल (निस्+तल)
आदि ।

अतः उक्त उदाहरणों में संधि-विच्छेद एवं उपसर्ग व मूल शब्द को पृथक (अलग-अलग) निम्न प्रकार से करेंगे :-

20. (क) के संदर्भ में :-

उदाहरण :

  • निश्चल = निस् + चल (उपसर्ग प्रकरण)
  • निश्चल = निः + चल (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।
  • निश्शुल्क = निस् + शुल्क (उपसर्ग प्रकरण)
  • निश्शुल्क = निः + शुल्क(संधि प्रकरण, विसर्ग संधि)।

• नोट (Note) :- विसर्ग से पहले अ , आ को छोड़कर अन्य कोई स्वर हो और उसके बाद च्, छ्, श् हो, तो विसर्ग का “” बन जाता है ।

20. (ख) के संदर्भ में :-

उदाहरण :-

  • निष्कासन = निस् + कासन (उपसर्ग प्रकरण)
  • निष्कासन = निः + कासन (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।

• नोट (Note) :- विसर्ग के बाद अघोष वर्ण क्, ख्, ट्, ठ्, प्, फ् में से कोई वर्ण आ जाता है, तो विसर्ग का “ष” बन जाता है ।

20. (ग) के संदर्भ में :-

उदाहरण :-

  • निस्संदेह = निस् + संदेह (उपसर्ग प्रकरण)
  • निस्संदेह = निः + संदेह (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।
  • निस्तल = निस् +तल (उपसर्ग प्रकरण)
  • निस्तल = नि: + तल (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) ।

•नोट (Note) :- (i) विसर्ग के बाद अघोष वर्ण क्, त्, प्, स् में से कोई वर्ण आ जाता है, तो विसर्ग का “स” बन जाता है ।

(ii) याद रहे कि केवल “निस्” ही उपसर्ग होता है , बल्कि “निश् या निष्” उपसर्ग नहीं होता है ।

21.दुर्विपरीत, बुरा, कठिनदुर्बुद्धि (दुर् +बुद्धि), दुर्वचन(दुर् +वचन), दुर्गन्ध (दुर् +गंध), दुरवस्था (दुर् + अवस्था), दुराग्रह (दुर् +आग्रह), दुराचरण (दुर्+आचरण) आदि ।

• नोट(Note) :-(i) उक्त उदाहरणों का संधि-विच्छेद निम्न प्रकार से होगा –

उदाहरण :-

  • दुराचरण = दुः + आचरण ।
  • दुर्वचन = दुः + वचन ।
  • दुरात्मा = दुः + आत्मा आदि ।

क्योंकि जब विसर्ग से पहले “अ, आ” को छोड़कर अन्य कोई स्वर हो और विसर्ग के बाद कोई सघोष अर्थात् वर्ग का तीसरा, चौथा या पाचवाँ वर्ण तथा य्, र्, ल् तथा व् में से कोई एक वर्ण हो, तो विसर्ग का “र्” बन जाता है ।

(ii) “दुः” कोई उपसर्ग (Upsarg) नहीं होता है ।

22.दुस्कठिन, बुरा, विपरीत(क) दुश्चय (दुस् +चय), दुश्शासन (दुस् + शासन), दुश्चक्र (दुस् + चक्) आदि ।

(ख) दुष्काल (दुस् +काल) ,दुष्प्रयोग (दुस् + प्रयोग), दुष्प्रभाव (दुस् + प्रभाव), दुष्कर (दुस् +कर) आदि ।

(ग) द्स्साध्य (दुस् + साध्य), दुस्तर (दुस् + तर), दुस्साहस (दुस्+साहस) आदि ।

• नोट(Note) :- उक्त लिखित शब्दों जिसमें “दुस्” उपसर्ग (Upsarg) लगा हुआ है । याद रहे कि उसका संधि-विच्छेद विसर्ग संधि के नियमों से होता है । उपसर्ग “दुस्” के स्थान पर संधि प्रकरण में “दुः” प्रयुक्त होता है ।

उदाहरण :-

  • दुश्शासन = दुस् + शासन (उपसर्ग प्रकरण)
  • दुश्शासन = दुः + शासन (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि)
  • दुष्काल = दुस् + काल (उपसर्ग प्रकरण)
  • दुष्काल = दुः + काल (संधि प्रकरण, विसर्ग संधि) आदि ।

• नोट (Note) :- ध्यान रहे कि संस्कृत भाषा में कुछ अव्यय ऐसे हैं, जो सार्थक शब्द के पहले जुड़कर उपसर्ग के जैसा ही प्रयुक्त होते हैं, जो निम्नांकित हैं :-

क्रम संख्याउपसर्ग (Upsarg)अर्थउदाहरण
1.नकारात्मक, अभावअजर, अकाल, अस्थिर, अलक्ष्य, अवैतनिक, अव्यय आदि।
2.अधःनीचेअधोवायु (अधः + वायु), अधःपतन, अधोवस्त्र(अधः + वस्त्र), अधोगति (अधः + गति) आदि।
3.अन्अभाव, रहितअनंत (अन् + अंत), अनुदार (अन् + उदार), अनासक्त (अन् + आसक्त), अनन्तर (अन् + अन्तर), अनर्थ आदि ।
4.चिरबहुत, दीर्घ, अधिकचिरयौवन, चिरायु, चिरस्थाई, चिरकाल, चिरजीवन चिरजीवी, चिरपरिचित
आदि ।
5.अनतर्भीतरअन्तर्पट (अन्तर् + पट), अन्तःश्वसन (अन्तर् + श्वसन), अन्तरात्मा (अन्तर् + आत्मा), अन्तर्दृष्टि (अन्तर् + दृष्टि), आदि ।
6.का, कुबुराकाजल, कापथ, कापुरुष, कुलक्षण, कुरूप, कुसंग, कुचक्र, कुकर्म आदि ।
7.अलम्सुन्दरअलंकरण (अलम् + करण), अलंकृत (अलम् + कृत), अलंकार (अलम् + कार) आदि ।
8.स्वअपनास्वदेश, स्वजन, स्वकीय, स्वावलम्बी (स्व + अवलम्बी), स्वाधीन (स्व + अधीन) आदि ।
9.परदूसरापराधीन (पर + अधीन), पराश्रित (पर +आश्रित), परोपकार (पर + उपकार) आदि ।
10.तिरःतुच्छतिरोधान (तिरः + धान), तिरस्कार (तिरः + ‘कार), तिरोहित (तिरः + हित), तिरोभाव (तिरः +अभाव) आदि ।
11.बहुबहुतबहुमुल्य, बहुमत, बहुधा आदि ।
12.बहिःबाहरबहिष्कार (बहिः+कार) ,बहिष्कृत (बहिः+कृत) , बहिर्ज्ञानी (बहिः+ज्ञानी), बहिरंग (बहिः+रंग आदि ।
13.सहितसजीव, समित्र, सहृदय, सावधान (स + अवधान), सादर (स +आदर) आदि ।
14.पुनर्दुबारापुनर्वास (पुनर् + वास), पुनरागमन (पुनर् + आगमन), पुनःप्राप्ति, पुनर्विवाह (पुनर् + विवाह) आदि ।
15.नहींनकुल, नपुंसक, नास्तिक (न +आस्तिक), नेति (न+ इति) आदि ।
16.प्राक्पहले काप्रागेव(प्राक् + एव), प्रागैतिहासिक (प्राक् + ऐतिहासिक), प्राङ्मुख (प्राक्+मुख)
आदि ।
17.सत्अच्छासदाचार (सत् + आचार), सदुपदेश (सत्+उप+देश), सदाशय (सत् + आशय), सद्गुण (सत् +गुण), सज्जन (सत् +जन) आदि ।
18.पुरःसामने, आगेपुरस्कार (पुरः +कार), पुरोहित (पुरः +हित), पुरश्चरण (पुरः + चरण)
आदि ।
19.पुराप्राचीनपुरावृत्त, पुराण, पुरातन, पुरावशेष (पुरा + अवशेष) आदि ।
20.अंतरके बीचअन्तरराष्ट्रीय, अन्तरजातीय, अन्तरराज्यीय आदि ।

हिंदी के कुल कितने उपसर्ग हैं ? Hindi me kitne Upsarg hain?

:- हिंदी के निम्नांकित उन्नीस (19) उपसर्ग (Upsarg) हैं :-

क्रम संख्याउपसर्गअर्थउदाहरण –
1.नहींअडिग, अथक, अथाह, अबेर, अकाज आदि ।

• नोट(Note) :- यदि ‘अ’ उपसर्ग संस्कृत का है ,तो उसका प्रयोग केवल तत्सम शब्दों में ही होता है तथा हिन्दी में “अ” उपसर्ग (Upsarg) का प्रयोग तद्भव शब्दों में होता है ।

2.सम्समानसमकालीन, समकोण, समतल, समबाहु, समक्क्ष आदि ।
3.अनबिनाअनगढ़, अनसुना, अनमोल, अनचाहा, अनहोनी आदि ।
4.बिनबिनाबिनबुलाया, बिनदेखा, बिनब्याहा, बिनजाने आदि ।
5.अधआधाअधजला, अधकपा, अधकचरा, अधमरा, अधखिला आदि ।
6.भरपुरा या भरा हुआभरकम, भरपुर, भरपेट, भरसक आदि ।
7.उनएक कमउनचास, उनतालीस, उनसठ, उनतीस आदि।
8.सुअच्छासुजान, सुफल, सुदेश, सुडौल, सुमित
आदि ।
9.बुरा, नीचेऔढ़र, औसर, औघट, औतार, औगुन आदि ।
10.सहितसचेत, सहित, सहेली, समीत, सदय, सलोना आदि ।
11.ऊपर, ऊँचाउचक्का, उलाँघना, उखड़ना, उछलना, उजड़ना आदि ।
12.परदूसरापरनाना, परदादा, परपोता, परनाती, परदुख, परसुख आदि ।
13.क, कुबुराकपुत, कुटेव, कुढंग, कुपथ ,कुयोग, कुठौर
आदि ।
14.निबिना, रहितनिकम्मा, निहत्था, निपुता, निधड़क आदि ।
15.दुबुरा, हीनदुसुती, दुपहरी, दुबला, दुकाल आदि ।
16.पचपाँचपचरंगा, पचमेल, पचमढ़ी, पचकूटा आदि ।
17.चौचारचौमासा, चौरंगा, चौपाया, चौपाई आदि ।
18.तितीनतिमाही, तिरंगा, तिपाई, तिगुना, तिराहा आदि ।
19.दुदोदुभाषिया, दुमुखी, दुनाली, दुगुना, दुरंगा आदि ।

विदेशी भाषा के उपसर्ग (Videshi Bhasha Ke Upsarg) :-

(क) उर्दू (अरबी + फारसी) भाषा के उपसर्ग (Upsarg) –

क्रम संख्याउपसर्ग (Upsarg)अर्थउदाहरण
1.ब, बासहितबखूबी, बाज्रावता, बदौलत, बाअदब, बाक़ायदा आदि ।
2.नेक़भलानेक़दिल, नेक़राहा, नेक़नीयत आदि ।
3.बेरहितबेदर्द, बेवज़ह, बेवफ़ा, बेरहम, बेबुनियाद, बेज़ुबान, बेहिसाब आदि ।
3.हरप्रत्येकहरकोई, हरतरफ, हरघड़ी, हरवक्त, हरदम, हररोज़, हरबार आदि ।
5.लाबिनालाचार, लाइलाज, लापरवाह, लावारिस, लापता आदि ।
6.हमसाथ, समानहमउम्र, हमदर्द, हमसफर, हमवतन, हमदम, हमराह आदि ।
7.कमन्यून, हीनकमबख़्त, कमसिन, कमउम्र, कमअक्ल आदि ।
8.नानहीं, बिनानादान, नाचीज, नाबालिग, नाराज़, नालायक, नामुराद, नापाक आदि ।
9.दरमेंदरवेश, दरबार, दरकिनार, दरअसल, दरभियान आदि ।
10.सरमुख्य, अच्छा , श्रेष्ठसरताज़, सरदार, सरकार, सरक़श, सरपंच, सरनाम आदि ।
11.ऐनठीकऐनमौक़ा, ऐनआदमी, ऐनइनायत, ऐनवक़्त आदि ।
12.ग़ैररहित, भिन्नग़ैरमर्द, ग़ैरज़रूरी, गैरज़िम्मेदार, ग़ैरहाज़िर, ग़ैरहाज़िर आदि ।
13.अलनिश्चितअलबत्ता, अलहदा, अलविदा, अलमस्त, अलग़रज आदि ।
14.बिलाबिनाबिलाक़सुर, बिलाशर्त, बिलावज़ह, बिलाशक़ आदि ।
15.बदबुराबदनाम, बदचलन, बदमिज़ाज, बदहज़मी, बदनसीब आदि ।
16.खुशअच्छा, प्रसन्न, श्रेष्ठख़ुशक़िस्मत, ख़ुशमिजाज, खुशखबरी, ख़ुशनुमा आदि ।

अंगरेजी भाषा के उपसर्ग (Angregi Bhasha ke Upsarg):-

क्रम संख्याउपसर्गअर्थउदाहरण
1.हैडप्रधानहैडकलर्क, हैडमिस्ट्रेस, हैडमास्टर, हैडऑफिस आदि ।
2.चीफप्रमुखचीफ मिनिस्टर, चीफसेक्रेटरी आदि ।
3.डिप्टीसहायकंडिप्टी रजिस्ट्रार, डिप्टी इंस्पेक्टर , डिप्टी कलेक्टर आदि ।
4.सबउपसब इंस्पेक्टर , सब स्टेशन, सबकमेटी, सब रजिस्ट्रार आदि ।
5.वाइसउपवाइस चेयरमैन, वाइस प्रिंसिपल, वाइस चांसलर, वाइस प्रसीडेन्ट आदि ।
6.हाफआधाहाफ टिकट, हाफमाइंड, हाफपैंट, हाफशर्ट, हाफटाइम आदि ।

निष्कर्ष (Conclusion of Upsarg)

हिंदी व्याकरण में upsarg शब्द-निर्माण का एक महत्वपूर्ण भाग हैं। सरल शब्दों में upsarg kise kahate hain—वे अवयव जो मूल शब्द के पहले लगकर उसका अर्थ बदल देते हैं। इसलिए upsarg in Hindi को समझना भाषा की पकड़ मजबूत करता है और सीखने वालों को नए शब्द बनाने में मदद देता है। ऊपर दिए गए upsarg ke udaharan इस प्रक्रिया को और स्पष्ट बनाते हैं।

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