इस लेख में Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 10 (वर्ग 10, संस्कृत का अध्याय 10 ) के मन्दाकिनीवर्णनम् (Mandakinivarnanam) का संधि-विच्छेद, शब्दार्थ, श्लोकार्थ, और सभी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का विस्तृत विश्लेषण प्रदान किया गया है। इसके साथ ही, Bihar Board Exam में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का भी गहराई से अध्ययन कराया गया हैं।
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Toggleइस पोस्ट में आपके किताब के सभी वस्तुनिष्ठ और लघुउत्तरीय प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं। यह लेख Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 10 की तैयारी के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा और आपकी परीक्षा की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 || मन्दाकिनीवर्णनम् (Mandakinivarnanam)
[प्रस्तुतः पाठः वाल्मीकीयरामायणस्य अयोध्याकाण्डस्य पञ्चनवति (95) तमात् सर्गात् संकलितः । वनवासप्रसङ्गेः रामः सीतया लक्ष्मणेन च सह चित्रकूटं प्राप्नोति । तत्रस्थितां मन्दाकिनीनदीं वर्णयन् सीतां सम्बोधयति । इयं नदी प्राकृतिकैरूपादानैः संवलिता चित्तं हरति ।अस्याः वर्णनं कालिदासो रघुवंशकाव्येऽपि (त्रयोदशसर्गे) करोति । अनुष्टुप्छन्दसि महर्षिः वाल्मीकिः मन्दाकिनीवर्णने प्रकृतेः यथार्थं चित्रणं करोति ।]
* संधि-विच्छेद (Sandhi Vichchhed) :-
- तत्रस्थितां = तत्र + स्थितां ।
- प्राकृतिकैरूपादानैः = प्राकृतिकैः + उपादानैः ।
- रघुवंशकाव्येऽपि = रघुवंशकाव्ये + अपि ।
* शब्दार्थ :-
- पञ्चनवति – पंचान्वे (95) ।
- सर्गात् = सर्ग/ पाठ से ।
- सह – साथ ।
- प्राप्नोति – जाते हैं/ पहुँचते है।
- तत्रस्थितां – वहाँ स्थित ।
- उपादानैः – सम्पदाओं से ।
- संवलिता – शोभित ।
- चित्तं – मन को ।
- त्रयोदशसर्गे – तेरहवीं पाठ में ।
* व्याख्या :- ( प्रस्तुत पाठ बाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड के पंचान्वे (95) सर्ग से संकलित हैं । वनवास प्रसंग में श्रीराम माँ सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट पहुंचते हैं । वहां स्थित मंदाकिनी नदी की वर्णन करते हुए अपनी भार्या मां सीता को संबोधित करते हुए कहते हैं , कि यह नदी प्राकृतिक संपदाओं से सुसज्जित चित को हर रही है । इसकी वर्णन महाकवि कालिदास ने अपने “रघुवंश” महाकाव्य में भी किया है । अनुष्ठुप छंद में महर्षि वाल्मीकि जी मंदाकिनी वर्णन में प्राकृतिक के सुंदरता की यथार्थ चित्रण करता है ।)
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* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. “मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ” के रचयिता कौन है ?
उत्तर:- महर्षि वाल्मीकि ।
Q2. “मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ” किससे संकलित है ?
उत्तर:- रामायण से ।
Q3. “मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ” रामायण के किस कांड से लिया गया है ?
उत्तर:- अयोध्या कांड से ।
Q4. “मन्दाकिनीवर्णनम् पाठ” अयोध्या कांड के किस सर्ग से संकलित है ?
उत्तर:- पंचान्वें सर्ग से ।
Q5. “मंदाकिनीवर्णनम् पाठ” में किस नदी की वर्णन है ?
उत्तर:- मंदाकिनी नदी की ।
Q6. “रघुवंश” महाकाव्य के रचयिता कौन है ?
उत्तर:- कालिदास ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 1 ⇓
श्लोक संख्या - 01.
विचित्रपुलिनां रम्यां हंससारससेविताम् ।
कुसुमैरूपसंपन्नां पश्य मन्दाकिनीं नदीम् ।।

* अन्वयाः- (हे सीते !) कुसुमैः उपसम्पन्नां, विचित्रपुलिनां, हंससारससेवितां (च) रम्यां मन्दाकिनीं नदीं पश्य ।।
* संधि-विच्छेद :-
- कुसुमैरूपसंपन्नां = कुसुमैः + उपसंपन्नां ।
* शब्दार्थ :-
- विचित्रपुलिनां – रंग – बिरंगे
- तटोंवाली ।
- रम्यां – सुन्दर ।
- हंससारससेवितां – हंस – सार्स से सेवित ।
- कुसुमैः – फूलों से ।
- पश्य – देखो ।
* श्लोकार्थ :- हे सीते ! फूलों से संपन्न रंग-बिरंगे तटोंवाली और हंस – सारस सेशित से शोभित मंदाकिनी नदी को देखो ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 2 ⇓
श्लोक संख्या - 02.
ननविधैस्तीररूहैर्वृतां पुष्पफलद्रुमैं ।
राजन्तीं राजराजस्य नलिनीमिव सर्वतः ।।

* अन्वयाः- (हे सीते !) नानाविधैः तीररूहैः पुष्पफलद्रुमैः सर्वतः वृतां राजन्तीं (च) (मन्दाकिनीम्) राजराजस्य नलिनीम् इव (पश्य) ।।
* संधि-विच्छेद :-
- ननविधैस्तीररूहैर्वृतां = ननाविधैः + तीररूहैः + वृतां ।
- नलिनीमिव = नलिनीम् + एव ।
* शब्दार्थ :-
- ननाविधैः – अनेक प्रकार से ।
- द्रुमैः – वृक्षों से ।
- राजन्तीं – सुशोभित होती हुई ।
- नलिनीम् – पोखर या तालाब ।
- इव – भाँति ।
- सर्वतः – सभी ओर ।
* श्लोकार्थ :- हे सीते ! नाना प्रकार के फूलों – फलों और वृक्षों से घिरी तटोंवाली राजकीय तालाबों की भांति शोभित होती हुई मंदाकिनी नदी को देखो ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न –
Q1. राजकीय तालाबों की भांति कौन शोभित है ?
उत्तर:- मंदाकिनी नदी ।
Q2. सभी ओर से फूलों फलों और वृक्षों से घिरी हुई कौन सी नदी है ?
उत्तर:- मंदाकिनी नदी ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 3 ⇓
श्लोक संख्या - 03.
मृगयूथनिपीतानि कलुषाम्भांसि साम्प्रतम्।
तीर्थानि रमणीयानि रतिं संजनयन्ति मे ।।

* अन्वयाः- (हे सीते !) साम्प्रतं मृगयूथनिपीतानि कलुषाम्भांसि रमणीयानि तीर्थानि मे रतिं संजनयन्ति ।।
* संधि-विच्छेद :-
- कलुषाम्भांसि = कलुष + अम्भांसि ।
* शब्दार्थ –
- मृगयूथनिपीतानि – मृग समुहद्वारा पीये गये ।
- कलुषाम्भांसि – गंदे जल ।
- साम्प्रतं – इस समय ।
- रमणीयानि – (मन) को
- मोहित करनेवाले ।
- रतिं – आनन्ददायक ।
- मे – मुझे ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न –
Q1. इस समय मंदाकिनी नदी में गंदे जल किसके द्वारा किया गया ?
उत्तर:- मृग समूह के द्वारा ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 4 ⇓
श्लोक सख्या - 04.
जटाजिनधराः काले वल्कलोत्तरवाससः ।
ऋषयस्त्ववगाहन्ते नदीं मन्दाकिनीं प्रिये ।।

* अन्वयाः- हे प्रिये ! काले जटाजिनधराः वल्कलोत्तरवाससः ऋषयः तू मन्दाकिनीं नदीम् अवगाहन्ते ।।
* संधि-विच्छेद :-
- ऋषयस्त्ववगाहन्ते – ऋषयः + तु + अवगाहन्ते ।
* शब्दार्थ :-
- जटाजिनधराः – जटा या बटे हुए बाल और मृग चर्म धारण करने वाला ।
- वल्कलोत्तरवाससः – वृक्ष के छाल को वस्त्र के रूप में धारण करने वाला ।
- काले – इस काल में या काले (रंग विशेष) ।
- अवगाहन्ते – स्नान करते हैं ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. मृगचर्म और वृक्ष के छाल को वस्त्र के रूप में कौन धारण करता है ?
उत्तर:- ऋषिगण ।
Q2. मंदाकिनी नदी में कौन स्नान कर रहे हैं ?
उत्तर:- ऋषिगण ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 5 ⇓
श्लोक संख्या - 05.
आदित्यमुपतिष्ठन्ते नियमादूर्ध्वबाहवः ।
एते परे विशालाक्षि मुनयः संशितव्रताः ।।

* अन्वयाः- हे विशालाक्षि ! एते परे संशितव्रताः मुनयः ऊर्ध्वबाहवः नियमात् आदित्यम् उपतिष्ठन्ते ।।
* संधि-विच्छेद (Sandhi Vichchhed) :-
- आदित्यमुपतिष्ठन्ते – आदित्यम् + उपतिष्ठन्ते ।
- नियमादूर्ध्वबाहवः = नियमात् + उर्ध्वबाहवः ।
- विशालाक्षि = विशाल + अक्षि ।
* शब्दार्थ :–
- विशालाक्षि – विशालनयनोंवाली ।
- आदित्यम् – सूर्य के ।
- उर्ध्वबाहवः – जिन्होंने अपनी भुजा को ऊपर किये ।
- संशितव्रताः – प्रशंसनीय या तीक्ष्ण व्रत रखने वाले ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. ऋषिगण अपनी पूजा को ऊपर किए हुए किसका उपासना कर रहे हैं ?
उत्तर:- सूर्य का ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 6 ⇓
श्लोक संख्या - 06.
मारूतोद्धूतशिखरैः प्रनृत्त इव पर्वतः ।
पादपैः पुष्पपत्राणि सृजद्भिरभितो नदीम् ।।

* अन्वयाः- ( हे विशालाक्षि!) नदीम् अभितः पुष्पपत्राणि सृजद्भिः पादपैः मारूतोद्धूतशिखरैः पर्वतः प्रनृत्त इव ।।
* संधि-विच्छेद :-
- सृजद्भिरभितः – सृजद्भिः + अभितः ।
* शब्दार्थ :-
- मारूतोद्धूतशिखरैः – हवा के द्वारा चोटियों को उड़ाते हुए ।
- प्रनृत्त – झुमते/ नाचते हुए ।
- सृजद्भिः – सजे हुए ।
- अभितः – चारों ओर ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 7 ⇓
श्लोक संख्या - 07.
क्वचिन्मणिनिकाशोदां क्वचित्पुलिनशालिनीम्।
क्वचित्सिद्धजनाकीर्णा पश्य मन्दाकिनीं नदीम्।।

* अन्वयाः- (हे विशालाक्षि!) क्वचित् मणिनिकाशोदां क्वचित् पुलिनशालिनीम् क्वचित् सिद्धजनाकीर्णां मन्दाकिनीं नदीम् पश्य।।
* संधि-विच्छेद :-
- क्वचिन्मणिनिकाशोदां – क्वचित् + मणिनिकाशोदाम् ।
- क्वचित्पुलिनशालिनीम् – क्वचित् + पुलिनशालिनीम् ।
- क्वचित्सिद्धजनाकीर्णा – क्वचित् + सिद्धजन + आकिर्णाम् ।
* शब्दार्थ :-
- क्वचित् – कहीं पर ।
- मणिनिकाशोदाम् – मणि के समान जलवाली ।
- पुलिनशालिनीम् – रेतीले किनारों से शोभित ।
- सिद्धजनाकीर्णां – सिद्धजन अर्थात् ऋषि- मुनियों से सेवित ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. मणि के समान स्वच्छ और चमकीले जलवाली नदी कौन है ?
उत्तर:- मंदाकिनी नदी ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 8 ⇓
श्लोक संख्या - 08.
निर्धूतान् वायुना पश्य विततान् पुष्पसञ्चयान्।
पोप्लूयमानानपरान्पश्य त्वं जलमध्यगान् ।।

* अन्वयाः- हे तनुमध्यमे ! त्वं पश्य, वायुना निर्धूतान् विततान् पुष्पसंचयान् अपरान् (च) पोप्लूयमनान् जलमध्यगान् (पुष्पसंचयान् नदीम् अभितः) पश्य।।
* संधि-विच्छेद :-
- पोप्लूयमानानपरान्पश्य = पोप्लूयमानान् + अपरान् + पश्य ।
* शब्दार्थ :-
- निर्धूतान् – उड़ाए गये / हुए ।
- वायुना – वायु द्वारा ।
- विततान् – विस्तारित या
- फैलाए गए ।
- पोप्लूयमानान् – तैरते हुए ।
- जलमध्यगान् – जल के मध्य में ।
श्लोकार्थ :- हे सुनयनी ! तुम वायु द्वारा उड़ाए गए विस्तारित पुष्प समूहों तथा जल के मध्य में तैरते हुए फूलों से शोभित मंदाकिनी नदी को देखो ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 9 ⇓
श्लोक संख्या - 09.

तांश्चातिवल्गुवचसो रथाङ्गाह्वयना द्विजाः।
अधिरोहन्ति कल्याणि निष्कूजन्तः शुभा गिरः।।
अन्वयाः- हे कल्याणि ! पश्य ! (नदीम् अभितः) वल्गुवचसः रथाङ्गाह्वयनाः द्विजाः च शुभाः गिरः निष्कूजन्तः तान् अधिरोहन्ति ।।
संधि-विच्छेद :-
- तांश्चातिवल्गुवचसो = तान् + च + अतिवल्गुवचसः ।
शब्दार्थ :-
- वल्गुवचसः – मधूर बोली वाले ।
- रथाङ्गाह्वयनाः – चकवा – चकई ।
- द्विजाः – पक्षियाँ ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. मधुर बोली वाले चकवा – चकई किस नदी को विभूषित कर रहे हैं ?
उत्तर:- मंदाकिनी नदी ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Ka Slok no 10 ⇓
श्लोक संख्या - 10.
दर्शनं चित्रकूटस्य मन्दाकिन्याश्च शोभने ।
अधिकं पुरवासाच्च मन्ये तव च दर्शनात् ।।

अन्वयाः- हे शोभने ! (अत्र) चित्रकूटस्य मन्दाकिन्याः च (यत्) दर्शनं (भवति) (तत्) तव दर्शनात् च पुरवासात् च अधिकं मन्ये।।
संधि-विच्छेद :-
- मन्दाकिन्याश्च = मन्दाकिन्याः + च ।
- पुरवासाच्च = पुरवासात् + च ।
शब्दार्थ :-
- तव – तुम्हारे ।
- दर्शनात् – दर्शन से ।
- मन्ये – माना जाएगा ।
श्लोकार्थ :- हे शोभने ! यहाँ चित्रकूट और मन्दाकिनी का जो दर्शन हो रहा है । वह तुम्हारे पूर्व के अन्य दर्शनों से उत्तम माना जाएगा ।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. श्री रामचंद्र जी अन्य दर्शन का भी सबसे उत्तम दर्शन क्या है ?
उत्तर:- चित्रकूट ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 Question Answer in Hindi ⇓
Bihar Board Examinition में पूछे जानेवाले महत्वपूर्ण हिन्दी प्रश्नोत्तर :-
Q1. मंदाकिनी के जल में कैसे ऋषिगण स्नान कर रहे हैं ?
उत्तर:- मंदाकिनी नदी के स्वच्छ और चमकीले जल में जटा और मृगचर्म एवं वृक्ष के छाल को वस्त्र के रूप में धारण करने वाला परम प्रशंसनीय तीक्ष्ण व्रत रखने वाला ऋषिगण स्नान कर रहे हैं।
Q2. किस कारण से मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया था
उत्तर:- मृग (हिरण) समूह के द्वारा जल पिए जाने के कारण मंदाकिनी का जल कलुषित हो गया था ।
Q3. “मन्दाकिनी-वर्णनम्” पाठ में श्रीरामचंद्र जी ने सीता जी को किन-किन संबोधनों से संबोधित किया है ?
उत्तर:- “मन्दाकिनी-वर्णनम्” पाठ में श्री रामचंद्र ने अपनी भार्या मां सीता को हे सीते , हे प्रिये , हे विशालाक्षि , हे तनुमध्यमे , हे सुनयनी , हे मृगनयनी , हे कल्याणि एवं हे शोभने आदि शब्दों से संबोधित किया है ।
Q4. अयोध्या निवास के अपेक्षा श्रीराम जी को चित्रकूट सुखद क्यों जान पड़ता है ?
उत्तर:- वनवास काल में श्री राम , सीता और लक्ष्मण के साथ वास करते हैं । वहां कल कल धारा से प्रवाहित मंदाकिनी नदी अपनी अनुपम छटा आकर्षित कर रही थी । गंगा की निर्मल धारा ऊंची कछारें राम को मुग्ध कर देती है ।
इसलिए श्री राम को अयोध्या निवास की अपेक्षा चित्रकूट सुखद लगता है ।
Q5. मंदाकिनी की शोभा का वर्णन किस रूप में किया गया है ? या मंदाकिनी नदी का वर्णन संक्षेप में करें ?
उत्तर:- वनवास काल में जब श्रीराम सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट पहुंचते हैं, तो वह मंदाकिनी की प्राकृतिक सुषमा से प्रभावित होते हुए वे सीता को संबोधित करते हैं, की हे सीता ! यह प्राकृतिक संपदाओं से संवलित, रंग-बिरंगे तटों से सुशोभित, हंस – सरस से सेवित राजकीय तालाबों की भांति शोभित मेरे मन को हर रही है । कहीं पर मृगों का समूह जल पीते हैं, तो कहीं मुनिगन स्वच्छ और निर्मल जल में स्नान कर रहे हैं ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 का ⇓
अभ्यासः (मौखिक:)
1. एकपदेन उत्तरं वदत -
(क) अस्मिन् पाठे का नदी वर्णिता अस्ति ?
उत्तरं :- मन्दाकिनी ।
(ख) मन्दाकिनी कस्य नलिनी इव सर्वतः राजते ?
उत्तरं :- राजराजस्य ।
(ग) मन्दाकिनीं नदीं के अवगाहन्ते ?
उत्तरं :- ऋषयः ।
(घ) रामः मन्दाकिनीम् नदीं कां दर्शयति ?
उत्तरं :- सीतां ।
(ङ) मन्दाकिनी – वर्णनं कुतः संङ्गृहीतम् अस्ति ?
उत्तरं :- बाल्मीकिरामायणस्य ।
(च) मुनयः कम् उपतिष्ठन्ते ?
उत्तरं :- आदित्यम् ।
(छ) कीदृशानि तीर्थानि रतिं सञ्जनयन्ति ?
उत्तरं :- मृगयूथनिपितानि ।
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2. श्लोकांशं योजयित्वा पूर्णं श्लोकं वदत -
(क) जटाजिनधराः काले वल्कलोत्तरवाससः ।
ऋषयस्त्ववगाहन्ते नदीं मन्दाकिनीं प्रिये ।।
(ख) दर्शनं चित्रकूटस्य मन्दाकिन्याश्च शोभने ।
अधिकं पुरवासाच्च मन्ये तव च दर्शनात् ।।
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अभ्यासः (लिखितः)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत -
(क) मन्दाकिनी नदी कस्य पर्वतस्य निकटे प्रवहति ?
उत्तरं :- चित्रकूटस्य ।
(ख) नृत्यति इव कः प्रतिभाति ?
उत्तरं :- पर्वतः ।
(ग) साम्प्रतं कैः पीतानि जलानि कलुषितानि ?
उत्तरं :- मृगयूथैः ।
(घ) ऊर्धबाहवः के सन्ति ?
उत्तरं :- ऋषयः ।
(ङ) विशालाक्षि इति कस्याः कृते सम्बोधनम् ?
उत्तरं :- सीतायाः ।
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2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत -
(क) हंससारससेविता विचित्रपुलिना च का ?
उत्तरं :- हंससारससेविता विचित्रपुलिनां मन्दाकिनीं नदीं अस्ति।
(ख) संशितव्रताः मुनयः किं कुर्वन्ति ?
उत्तरं :- संशितव्रताः मुनयः आदित्यम् उपतिष्ठन्ते ।
(ग) श्रीरामः मन्दाकिन्यां पोप्लूयमानान् कान् दर्शयति ?
उत्तरं :- श्रीरामः मन्दाकिन्यां पोप्लूयमानान् सीतां दर्शयति ।
(घ) सिद्धजनाकीर्णां मन्दाकिनीम् का पश्यति ?
उत्तरं :- सिद्धजनाकीर्णां मन्दाकिनीम् सीतां पश्यति ।
(ङ) “मन्दाकिनी-वर्णनस्य” रचयिता कः ?
उत्तरं :- “मन्दाकिनी-वर्णनस्य” रचयिता महर्षि बाल्मिकी अस्ति ।
(च) “मन्दाकिनी-वर्णनम्” रामायणस्य कस्मिन् काण्डे अस्ति ?
उत्तरं :- “मन्दाकिनी-वर्णनम्” रामायणस्य अयोध्याकाण्डे अस्ति।
(छ) शुभा गिरः के निष्कूजन्ति ?
उत्तरं :- शुभा गिरः द्विजाः निष्कूजन्ति ।
Bihar Board class 10th sanskrit chapter 10 का ⇓
3. रिक्तस्थानानि पूरयत
(क) विचित्रपुलिनां रम्यां हंससारससेविताम् ।
कुसुमैरूपसंपन्नां पश्य मन्दाकिनीं नदीम् ।।
(ख) क्वचिन्मणिनिकाशोदां क्वचित्पुलिनशालिनीम्।
क्वचित्सिद्धजनाकीर्णा पश्य मन्दाकिनीं नदीम्।।
4. कोष्ठगतपदानां समुचितं प्रयोगं कृत्वा वाक्यानि योजयत -
(क) सीता रामचन्द्रस्य—प्रिया– अस्ति ।
(ख) जटाजिनधराः ऋषयः -मन्दाकिनीं–अवगाहन्ते ।
(ग) संशितव्रता मुनयः— आदित्यम् — उत्तिष्ठन्ते ।
(घ) नदीम् अभितः —वृक्षः — प्रनृत्त इव ।
(ङ) पुरवासात् — चित्रकूटस्य — दर्शनम् अधिकं महत्वपूर्णं ।
(च) पक्षिणः पर्यायवाची — द्विजः — अस्ति ।
(छ) अस्मिन् पाठे रथाङ्गाह्वयना — चक्रवाकस्य— खगस्य पर्यायवाची अस्ति ।
मुझे आशा है, कि उक्त लिखित पोस्ट Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 10, का मन्दाकिनीवर्णनम् (Mandakinivarnanam) के सभी श्लोकों एवं श्लोकों का पूर्ण विश्लेषण को क्रमबद्ध तरीका से पढ़ें और समझें होंगे और आपके Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 10 का पूर्ण विश्लेषण उपयोगी रहें होंगे ।
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