“हिंदी व्याकरण में , कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) को अक्सर छात्र जटिल मानते हैं। जिस कारण से उन्हें समास बोझिल लगने लगता है । क्या आप “कर्मधराय समास” को सरल व आसान भाषा में समझना चाहेंगे, कि विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय के संबंध से यह समास कैसे बनता है? या फिर परीक्षा में पूछे जाने वाले कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmdharay Samas ke Udaharan) याद करते समय आपको मुश्किल होती है? अगर हाँ, तो यह लेख विशेष रूप से आप और उन सभी छात्र के लिए तैयार किया गया है । जो मानसिक तौर पर समास को बोझिल मान लिया है ।
इस लेख में, आपको कर्मधारय समास (Karmdharay Samas ki Paribhasha) की परिभाषा से लेकर 50+ सटीक व स्पष्ट उदाहरण (Karmdharay Samas ke Udaharan) तक सब कुछ मिलेगा। चाहे आप विशेषण और संज्ञा के संयोग को समझना चाहते हैं या तुलना आधारित उदाहरणों को, यहाँ हर पहलू को सरल और स्पष्ट भाषा में समझाया गया है। साथ ही, इस समास के विशेष नियम, प्रकार, और समास-विग्रह के नियम भी सीखेंगे, जो न केवल आपकी समझ को गहरा करेंगे, बल्कि परीक्षा में सफलता का आधार भी बनेंगे।
आइए, इस लेख के माध्यम से कर्मधारय समास के जटिलताओं को सरल बनाएँ और अपनी तैयारी को एक नई दिशा प्रदान करें ।”
कर्मधारय समास किसे कहते हैं (Karmdharay Samas kise kahate hain) ?
“जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो तथा प्रथम पद विशेषण एवं उत्तरपद विशेष्य हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं ।
अथवा,
“जिस समास का प्रथम पद/पूर्व पद उपमान तथा उत्तर पद उपमेय हो, उसे कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) कहते हैं।”
उदाहरण :-
- महोत्सव = महान् है,जो उत्सव ।
विश्लेषण:- उक्त उदाहरण में महोत्सव सामाजिक पद का समास-विग्रह – “महान है, जो उत्सव” में पूर्व या प्रथम पद “महान” विशेषण तथा उत्तर पद “उत्सव” विशेष्य हैं ।
- कमलनयन = कमल के समान नयन ।
विश्लेषण:- उक्त उदाहरण में कमलनयन सामाजिक पद का समास-विग्रह – “कमल के समान नयन ” में पूर्व या प्रथम पद “कमल” विशेषण तथा उत्तर पद “नयन” विशेष्य हैं ।
- महादेवी = महान् है, जो देवी ।
विश्लेषण:- उक्त उदाहरण में महादेवी सामाजिक पद का समास-विग्रह – “महान् है, जो देवी ” में पूर्व या प्रथम पद “महान्” विशेषण तथा उत्तर पद “देवी” विशेष्य हैं । इत्यादि ।
विशेषण :-
“जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम का विशेषता बतलाता है, उसे विशेषण कहते हैं।”
उदाहरण:-
- सीता सुंदर है । (विशेषण – सुंदर)
- गीता कुरूप है । (विशेषण – कुरूप)
- आम मीठा है । (विशेषण – मीठा)
- नारंगी खट्टा है । (विशेषण – खट्टा) आदि ।
विशेष्य:-
“जिन संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाई जाती है उसे विशेष्य कहते हैं।”
उदाहरण:-
कल सुबह मैंने एक “श्वेतमृग” देखा ।
(अतः उक्त वाक्य में श्वेत – विशेषण तथा मृग – “विशेष्य” है, क्योंकि श्वेत (रंग), मृग का विशेषता बता रहा है ।)
तालाब में नीलकमल खिले हैं ।
(अतः उक्त वाक्य में “नील” – विशेषण तथा कमल – विशेष्य है, क्योंकि नीला (रंग), कमल का विशेषता बतला रहा है ।) आदि ।
उपमेय :- “जिसकी तुलना की जाती है, वह उपमेय कहलाता है।”
उपमान :-
“जिससे तुलना की जाती है, वह उपमान कहलाता है।”
उदाहरण :- चरणकमल = कमल के समान चरण ।
(अतः उक्त समास-विग्रह में ‘कमल’- उपमान तथा ‘चरण’ – उपमेय है ।)
कमलनयन = कमल के समान नयन ।
(अतः उक्त समास-विग्रह में ‘कमल’ – उपमान तथा ‘नयन’ – उपमेय है )
चंद्रमुखी = चंद्रमा के समान मुख वाली ।
अतः उक्त समास-विग्रह में ‘चंद्रमा’ – उपमान तथा ‘मुख’ – उपमेय है । इत्यादि ।
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कर्मधारय समास के महत्वपूर्ण विशेषताएं :-
(i) कर्मधारय समास (Karmdharay Samas ) का उत्तर पद प्रधान होता है ।
(ii) कर्मधारय समास के दोनों पदों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमेय-उपमान का संबंध होता है ।
कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) का अन्य महत्वपूर्ण उदाहरण एवं समास- विग्रह करने का नियम :-
(क) जब प्रथम पद या पूर्व पद विशेषण तथा उत्तर पद विशेष्य हो, तो :-
विशेषण + है + जो /जिसका/जिसकी + विशेष्य ।
उदाहरण :-
- महावीर = महान् है जो वीर ।
- प्रियजन = प्रिय है जो जन ।
- कदाचार = कुत्सित है जो आचार ।
- महाकाव्य = महान् है जो काव्य ।
- पूर्णावतार = पूर्ण है जो अवतार ।
- सदाचार = सत् है जो अचार ।
- अल्पाहार = अल्प है जो आहार ।
- उड़नखटोला = उड़ता है जो खटोला ।
- महाकाल = महान् है जो काल ।
- महर्षि = महान् है जो ऋषि ।
- महादेवी = महान् है जो देवी ।
- महात्मा = महान् है जो आत्मा ।
- कुपुत्र = बुरा है जो पुत्र ।
- परमआयु = परम है जो आयु । इत्यादि ।
(ख) जब पूर्व/पहला पद विशेष्य हो तथा उत्तर पद/अंतिम पद विशेषण हो, तो समास-विग्रह करते समय उत्तर पद को पहले लिखेंगे एवं पूर्व पद को “है जो, है जिसका, है जिसकी” को बाद में लिखेंगे ।
उदाहरण :-
- नराधम = अधम है जो नरों में ।
- प्रभूदयाल = दयालु है जो प्रभू ।
- मुनिवर = वर (श्रेष्ठ) है जो मुनियों में ।
- शक्तिवर्धक = वर्धक है जो शक्ति का ।
- शिवदयाल = दयालु है जो शिव ।
- रामदीन = दिन (गरीब) है जो राम आदि ।
(ग) जब सामाजिक पद या समस्त पद में विशेष्य न होकर दोनों ही पद विशेषण हो तो :-
जो + पूर्व पद + है जो + उत्तर पद + है ।
उदाहरण :-
- श्यामसुंदर = जो श्याम है जो सुंदर है ।
- बड़ा-छोटा = जो बड़ा है जो छोटा है ।
- पीलाजर्द = जो पीला है जो जर्द (पीला) है ।
- लाल-सुर्ख = जो लाल है जो सुर्ख है ।
- मोटा-ताजा = जो मोटा है जो ताजा है ।
- लाल-पीला = जो लाल है जो पीला है । इत्यादि ।
(घ) जब समस्त पद में पूर्व पद या प्रथम पद उपमान हो तथा उत्तर पद उपमेय हो तो :-
उपमान + के समान + उपमेय ।
उदाहरण :-
- कमलाक्ष = कमल के समान अक्षि (आंखें) ।
- अरविंदलोचन = अरविंद (कमल) के समान लोचन ।
- वज्रदेह = वज्र के सामान देह ।
- पाषाणहृदय = पाषाण (पत्थर) के समान हृदय ।
- कमलनयन = कमल के समान नयन ।
- चंद्रवदन = चंद्र के समान वदन (मुंह) ।
- कुसुमकोमल = कुसुम के समान कोमल ।
- राजीवलोचन = राजीव (कमल) के समान लोचन । लौहपुरुष = लोहे के समान पुरुष ।
- तुषारधवल = तुषार (बर्फ) के समान धवल (सफेद)
- आदि ।
(ङ) जब पूर्व पद या पहला पद उपमेय तथा दूसरा पद या अंतिम पद उपमान हो, तो – पहले उपमान लिख देंगे तत्पश्चात् रूपी लिखकर “उपमेय” लिख देंगे ।
( क्योंकि ऐसे उदाहरण में उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप स्थापित होता है, जिसके कारण यह रूपक अलंकार बन जाता है।)
उदाहरण :-
- हस्तारविंद = अरविंद रूपी हस्त ।
- चरणकमल = कमल रूपी चरण ।
- मुखचंद्र = चन्द्र रूपी मुख ।
- देहलता = लता रूपी देह ।
- देहलता = लता रूपी देह ।
- चरणारविंद = अरविन्द रूपी चरण ।
- करकमल = कमल रूपी कर (हाथ) ।
- मुखारविंद = अरविन्द रूपी मुख ।
- भुजदंड = दंड (डंडा) रूपी भूजा ।
- कीर्तिलता = लता रूपी कीर्ति । इत्यादि ।
FAQs on कर्मधारय समास (Karmdharay Samas)
1. कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) किसे कहते हैं?
उत्तर: जिस समास में उत्तर पद प्रधान हो और पूर्व पद विशेषण/उपमान हो, उसे कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) कहते हैं।
2. कर्मधारय समास की दो प्रमुख विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
(i) उत्तर पद प्रधान होता है।
(ii) विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का संबंध होता है।
3. विशेषण और विशेष्य के संबंध वाले कर्मधारय समास का उदाहरण दें।
उत्तर: महात्मा = महान है जो आत्मा (महान + आत्मा)।
4. उपमान-उपमेय संबंध वाला उदाहरण दें।
उत्तर: कमलनयन = कमल के समान नयन (कमल + नयन)।
5. कर्मधारय समास में समास-विग्रह कैसे करते हैं?
उत्तर:
- विशेषण-विशेष्य: “विशेषण + है जो + विशेष्य” (जैसे: नीलकमल = नीला है जो कमल)।
- उपमान-उपमेय: “उपमान + के समान + उपमेय” (जैसे: पाषाणहृदय = पत्थर के समान हृदय)।
6. ‘महादेवी’ का समास-विग्रह क्या होगा?
उत्तर: महान है जो देवी।
7. उपमेय और उपमान में अंतर बताएँ।
उत्तर: उपमेय वह होता है जिसकी तुलना की जाती है (जैसे: नयन), और उपमान वह जिससे तुलना की जाती है (जैसे: कमल)।
8. ‘चंद्रमुखी’ में उपमान और उपमेय क्या हैं?
उत्तर: उपमान = चंद्रमा, उपमेय = मुख।
9. कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) के दो प्रकार बताएँ।
उत्तर:
(i) विशेषण-विशेष्य आधारित
(ii) उपमान-उपमेय आधारित
10. ‘सदाचार’ का विग्रह क्या है?
उत्तर: सत् है जो आचार।
11. कर्मधारय समास और तत्पुरुष समास में अंतर बताएँ।
उत्तर: तत्पुरुष में पूर्व पद प्रधान होता है, जबकि कर्मधारय में उत्तर पद प्रधान होता है।
12. ‘नीलगाय’ में विशेषण और विशेष्य क्या हैं?
उत्तर: विशेषण = नीली, विशेष्य = गाय।
13. ‘कुपुत्र’ का समास-विग्रह करें।
उत्तर: कुत्सित (बुरा) है जो पुत्र।
14. ‘श्यामसुंदर’ जैसे युग्मों का समास-विग्रह कैसे होगा?
उत्तर: जो श्याम है और सुंदर है।
15. परीक्षा में कर्मधारय समास के उदाहरण (Karmdharay Samas ke Udaharan) पहचानने का टिप्स बताएँ।
उत्तर:
- विशेषण + संज्ञा (जैसे: महावीर)
- उपमान + उपमेय (जैसे: चंद्रमुखी)
MCQs on Karmdharay Samas
1. ‘महात्मा’ का समास-विग्रह क्या है?
a) महान आत्मा
b) महान है जो आत्मा
c) आत्मा का महान
d) आत्मा और महान
उत्तर: b) महान है जो आत्मा
2. निम्न में कर्मधारय समास का उदाहरण कौन-सा है?
a) रामायण
b) चक्रव्यूह
c) नीलकमल
d) पंचतंत्र
उत्तर: c) नीलकमल
3. ‘कमलनयन’ में उपमान क्या है?
a) नयन
b) कमल
c) नयन के समान
d) कोई नहीं
उत्तर: b) कमल
4. कर्मधारय समास में कौन-सा पद प्रधान होता है?
a) पूर्व पद
b) उत्तर पद
c) दोनों समान
d) कोई नहीं
उत्तर: b) उत्तर पद
5. ‘पीतांबर’ का सही विग्रह क्या है?
a) पीला है जो अंबर
b) पीत और अंबर
c) अंबर का पीत
d) पीत के समान अंबर
उत्तर: a) पीला है जो अंबर
6. ‘वज्रदेह’ का अर्थ है:
a) वज्र से बनी देह
b) वज्र के समान देह
c) देह का वज्र
d) वज्र और देह
उत्तर: b) वज्र के समान देह
7. ‘सद्गुण’ का समास-विग्रह क्या है?
a) सत् है जो गुण
b) गुण का सत्
c) सत् और गुण
d) सत् के समान गुण
उत्तर: a) सत् है जो गुण
8. निम्न में कौन-सा उपमेय है?
a) कमल (कमलनयन में)
b) नयन (कमलनयन में)
c) दोनों
d) कोई नहीं
उत्तर: b) नयन
9. ‘महाकाव्य’ का विग्रह है:
a) महान है जो काव्य
b) काव्य का महान
c) महान और काव्य
d) महाकाव्य का
उत्तर: a) महान है जो काव्य
10. ‘चरणकमल’ में संबंध है:
a) विशेषण-विशेष्य
b) उपमान-उपमेय
c) कर्म-धारय
d) b और c दोनों
उत्तर: d) b और c दोनों
11. ‘कालीमिर्च’ में विशेषण क्या है?
a) मिर्च
b) काली
c) कालीमिर्च
d) कोई नहीं
उत्तर: b) काली
12. कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) का पर्याय है:
a) विशेषण समास
b) तत्पुरुष समास
c) द्विगु समास
d) अव्ययीभाव
उत्तर: a) विशेषण समास
13. ‘महर्षि’ का सही विग्रह है:
a) महान है जो ऋषि
b) ऋषि का महान
c) महान और ऋषि
d) ऋषि के समान महान
उत्तर: a) महान है जो ऋषि
14. ‘लौहपुरुष’ में उपमान क्या है?
a) पुरुष
b) लोहा
c) लौह
d) कोई नहीं
उत्तर: b) लोहा
15. ‘नीलोत्पल’ में विशेष्य क्या है?
a) नीला
b) उत्पल
c) नीलोत्पल
d) कोई नहीं
उत्तर: b) उत्पल
निष्कर्ष (Conclusion Of Karmdharay Samas):
हिंदी व्याकरण में कर्मधारय समास (Karmdharay Samas), Karmdharay Samas ke udaharan, Karmdharay Samas ke visheshataye एक जरूरी और उपयोगी विषय है, जिसे सही ढंग से समझने से भाषा ज्ञान मजबूत होता है। इसमें शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय जैसा गहरा संबंध होता है, जो वाक्य को अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली बनाता है। इस लेख के माध्यम से आपने इसके नियमों, उदाहरणों और पहचान की तकनीकों को सरल भाषा में जाना, जिससे अब यह विषय पहले से कहीं अधिक सहज प्रतीत होगा।
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