क्या आप जानते हैं कि “जलधर”, “मनोहर” या “विद्यालय” जैसे शब्द हिंदी व्याकरण में कैसे बनते हैं? ये शब्द तत्पुरुष समास की अनूठी मिसालें हैं, जो हिंदी की सरलता और अर्थपूर्ण संक्षिप्तता को उजागर करते हैं। तत्पुरुष समास हिंदी व्याकरण का एक खास हिस्सा है, जहाँ उत्तर पद (दूसरा शब्द) मुख्य होता है, जबकि पूर्व पद (पहला शब्द) सहायक की भूमिका निभाता है। इसकी खासियत यह है कि इसमें ‘का’, ‘से’, ‘में’ जैसे कारक चिह्न हट जाते हैं, मगर शब्दों का अर्थ पूरी तरह स्पष्ट रहता है।
इस ब्लॉग में, हम तत्पुरुष समास की परिभाषा (Tatpurush Samas Kise Kahate Hain) से लेकर इसके 6 मुख्य प्रकार, आसान उदाहरण (Tatpurush Samas ke Udaharan), और परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों व MCQ तक सब कुछ समझाएँगे। चाहे आप कक्षा में पढ़ रहे हों या हिंदी भाषा में रुचि रखते हों, यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद होगी!
तत्पुरूष समास किसे कहते हैं (Tatpurush Samas kise kahate hain)?
“जिस समास का उत्तर पद प्रधान तथा पूर्व पद गौण रहता है, उसे तत्पुरूष समास कहते हैं।” उदाहरण :- जलधर = जल को धारण करने वाला, ज्ञानयुक्त = ज्ञान से युक्त इत्यादि ।
- जलधर = जल को धारण करने वाला ।
विश्लेषण :- जलधर सामासिक पद का समास-विग्रह “जल को धारण करनेवाला” है। जिसमें “जल” पूर्व या प्रथम पद, बल्कि “धर” (धारण करने वाला) उत्तर पद है । अतः प्रथम पद “जल” गौण है तथा उत्तर पद “धर” (धारण करने वाला) प्रधान है ।
- ज्ञानयुक्त = ज्ञान से युक्त ।
विश्लेषण :- ज्ञानयुक्त सामासिक पद का समास-विग्रह “ज्ञान से युक्त” है। जिसमें “ज्ञान” पूर्व या प्रथम पद, बल्कि “युक्त” उत्तर पद है । अतः प्रथम पद “ज्ञान” गौण है तथा उत्तर पद “युक्त” प्रधान है ।
- मनोहर = मन को हरनेवाला ।
विश्लेषण :- मनोहर सामासिक पद का समास-विग्रह “मन को हरनेवाला ” है। जिसमें “मन” पूर्व या प्रथम पद, बल्कि “हर” (हरनेवाला) उत्तर पद है । अतः प्रथम पद “मन” गौण है तथा उत्तर पद “हर” (हरनेवाला) प्रधान है ।
- मालगोदाम = माल के लिए गोदाम ।
विश्लेषण :- मालगोदाम सामासिक पद का समास-विग्रह “माल के लिए गोदाम ” है। जिसमें “माल” पूर्व या प्रथम पद, बल्कि “गोदाम” उत्तर पद है । अतः प्रथम पद “माल” गौण है तथा उत्तर पद “गोदाम” प्रधान है ।
- महँगाईभत्ता = महँगाई के लिए भत्ता ।
विश्लेषण :- महँगाईभत्ता सामासिक पद का समास-विग्रह “महँगाई के लिए भत्ता ” है। जिसमें “महँगाई” पूर्व या प्रथम पद, बल्कि “भत्ता” उत्तर पद है । अतः प्रथम पद “महँगाई” गौण है तथा उत्तर पद “भत्ता” प्रधान है आदि ।
तत्पुरूष समास की परिभाषा: (Tatpurush Samas ki Paribhasha)
परिभाषा: “तत्पुरुष समास वह समास है, जिसमें उत्तर पद (दूसरा शब्द) प्रधान होता है, और पूर्व पद (पहला शब्द) गौण होता है।” इसमें कर्ता और संबोधन को छोड़कर अन्य कारकों के विभक्ति चिह्न (जैसे: ‘का’, ‘से’, ‘में’) लुप्त हो जाते हैं।
उदाहरण:
- विद्यालय = विद्या के लिए आलय (विद्या + आलय)।
- जलधर = जल को धारण करने वाला (जल + धर)।
तत्पुरुष समास के उदाहरण: (Tatpurush Samas ke Udaharan)
- विदेशगमन = विदेश को गमन ।
- पुस्तकालय = पुस्तक के लिए आलय ।
- चित्तचोर = चित्त को चुरानेवाला ।
- जीभर = जी को भरनेवाला ।
- रत्नजड़ित = रत्नों से जड़ित ।
- गोशाला = गायों के लिए शाला ।
- विद्याहीन = विद्या से हीन ।
- हथघड़ी = हाथ के लिए घड़ी ।
- रक्तदान = रक्त का दान ।
- लोकप्रिय = लोक में प्रिय । इत्यादि ।
तत्पुरुष समास की 4 प्रमुख विशेषताएँ:
(i) तत्पुरुष समास का उत्तर पद प्रधान होता है ।अर्थ का निर्धारण उत्तर पद से होता है। जैसे: “ऋषिकन्या” में “कन्या” प्रधान है।
(ii) इस समास में कर्ता तथा संबोधन कारक को छोड़कर शेष सभी कारकों के विभक्ति-चिन्हों का लोप (गायब) होता है ।
(iii) तत्पुरुष समास का पूर्व पद (पहला पद) प्रायः संज्ञा या विशेषण होते हैं ।
(iv) तत्पुरुष समास के लिंग, वचन अंतिम पद के अनुसार ही प्रयुक्त होते हैं । प्रथम पद मात्र विशेषण का कार्य करता है । इसलिए वह दूसरे पद विशेष्य पर निर्भर करता है । जैसे :- ऋषिकन्या स्नान कर रही है ।
- विश्लेषण :- उक्त वाक्य में “कर रही है” का संबंध “कन्या” से है न कि “ऋषि” से । “कर रही है” क्रिया स्त्रीलिंग, एकवचन है, क्योंकि “कन्या” भी स्त्रीलिंग, एक वचन है ।
तत्पुरुष समास के भेद: (Tatpurush Samas ke Bhed)
“तत्पुरुष समास के निम्नांकित छः (6) भेद होते हैं”

(i) कर्म तत्पुरुष (द्वितीया तत्पुरुष)
(ii) करण तत्पुरुष (तृतीया तत्पुरुष)
(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी तत्पुरुष)
(iv) आपादान तत्पुरुष (पंचमी तत्पुरुष)
(v) संबंध तत्पुरुष (षष्ठी तत्पुरुष)
(vi) अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी तत्पुरुष) ।
(i) कर्म तत्पुरुष समास : (Karm Tatpurush Samas)
परिभाषा: “जिस तत्पुरुष समास के पद के साथ कर्म कारक या विभक्ति चिन्ह (0, को) लगा रहता है, उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं।” उदाहरण :- माखनचोर, चित्तचोर, जीभर, चिड़ीमार इत्यादि ।
- माखनचोर = माखन को चुरानेवाला ।
- चित्तचोर = चित्त (मन) को चुरानेवाला ।
- चिड़ीमार = चिड़िया को मारनेवाला ।
- धनुर्धर = धनुः (धनुष) को धारण करने वाला ।
- जीभर = जी को भरनेवाला इत्यादि ।
नोट(Note):- कर्म तत्पुरुष समास को “द्वितीय तत्पुरुष समास” भी कहा जाता है ।
अन्य, कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण (Karm Tatpurush Samas ke Udaharan)
- सामासिक पद – समास-विग्रह ।
- गिरहकट – गिरह (जेब) को काटनेवाला ।
- स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त ।
- विदेशगमन – विदेश को गमन ।
- हस्तगत – हस्त को गत (गया हुआ) ।
- विकासोन्मुख – विकास को उन्मुख ।
- रोजगारोन्मुख – रोजगार को उन्मुख ।
- जीभर – जी को भरनेवाला ।
- जलधर – जल को धारण करनेवाला ।
- चित्तचोर – चित्त (मन) को चुरानेवाला ।
- दुखापन्न – दुःख को आपन्न ।
(ii) करण तत्पुरुष समास : (Karan Tatpurush Samas)
“जिस तत्पुरुष समास के प्रथम पद या पूर्व पद के साथ करण कारक/विभक्ति चिन्ह (से, द्वारा) लगा रहता है, उसे करण तत्पुरुष समास कहते हैं।” उदाहरण:- रसभरी, धर्मयुक्त, ज्ञानयुक्त, रेलयात्रा इत्यादि ।
- रसभरी = रस से भरी
- धर्मयुक्त = धर्म से युक्त
- ज्ञानयुक्त = ज्ञान से युक्त
- रेलयात्रा = रेल के द्वारा यात्रा इत्यादि ।
नोट (Note):- करण तत्पुरुष समास को “तृतीया तत्पुरुष समास” भी कहा जाता है ।
अन्य , करण तत्पुरुष समास के 10 उदाहरण: (Karan Karan Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- सामासिक पद – समास विग्रह ।
- पददलित = पद से दलित ।
- वाग्युद्ध = वाक् (वाणी) से युद्ध ।
- शोकाकुल = शोक से आकुल (घिरा हुआ/बैचेन) ।
- रेखांकित = रेखा से अंकित ।
- हस्तलिखित = हस्त (हाथ) से लिखित (लिखा हुआ) ।
- रेलयात्रा = रेल के द्वारा यात्रा ।
- ईश्वरप्रदत्त = ईश्वर के द्वारा प्रदत्त ।
- रत्नजड़ित = रत्नों से जड़ित ।
- गुणयुक्त = गुणों से युक्त ।
- तुलसीकृत = तुलसी के द्वारा कृत (रचित) ।
(iii) संप्रदान तत्पुरुष समास: (Sampradan Tatpurush Samas)
“जिस तत्पुरुष समास के प्रथम पद के साथ संप्रदान कारक या विभक्ति चिन्ह (को, के लिए) लगा रहता है, उसे संप्रदान तत्पुरुष समास कहते हैं । उदाहरण :- देशार्पण, विद्यालय, मालगोदाम, फलाकांक्षी, प्रयोगशाला इत्यादि ।
- देशार्पण = देश के लिए अर्पण
- विद्यालय = विद्या के लिए आलय
- मालगोदाम = माल के लिए गोदाम
- फलाकांक्षी = फल के लिए आकांक्षी
- प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला इत्यादि ।
नोट (Note):- संप्रदान तत्पुरुष समास को “चतुर्थी तत्पुरुष समास” भी कहा जाता है ।
अन्य, संप्रदान- तत्पुरुष समास का उदाहरण: (Sampradan Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- सामासिक पद – समास-विग्रह ।
- रनिवास = रानियों के लिए वास ।
- पुस्तकालय = पुस्तकों के लिए आलय ।
- गौशाला = गायों के लिए शाला ।
- रणभूमि = रण (युद्ध) के लिए भूमि ।
- हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी ।
- आवेदन-पत्र =आवेदन के लिए पत्र ।
- गुरुदक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा ।
- हवन-सामग्री = हवन के लिए सामग्री ।
- विधानसभा = विधान के लिए सभा ।
- सभाभवन = सभा के लिए भवन ।
(iv) अपादान तत्पुरुष समास: (Apadan Tatpurush Samas)
“जिस तत्पुरुष समास का प्रथम पद अपादान कारक या विभक्ति चिन्ह (से) से युक्त होता है, उसे अपादान तत्पुरुष समास कहते हैं । उदाहरण :- देशनिकाला, लक्ष्यभ्रष्ट, क्रियाहीन, कामचोर इत्यादि।
- देशनिकाला = देश से निकाला ।
- लक्ष्यभ्रष्ट = लक्ष्य से भ्रष्ट ।
- क्रियाहीन = क्रिया से हीन ।
- कामचोर = काम से चोर ।
- जलशून्य = जल से शून्य इत्यादि ।
नोट (Note):- अपादान तत्पुरुष समास को “पंचमी तत्पुरुष समास” भी कहा जाता है ।
अन्य, अपादान तत्पुरुष समास का उदाहरण: (Apadan Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- सामासिक पद – समास-विग्रह ।
- पापमुक्त = पाप से मुक्त
- मृत्युभय = मृत्यु से भय ।
- विद्याहीन = विद्या से हीन ।
- जन्मांध = जन्म से अंधा ।
- सत्ताच्यूत = सत्ता से च्यूत (अलग) ।
- आकाशपतित = आकाश से पतित ।
- हतश्री = श्री से हत (रहित) ।
- सेवानिवृत्त = सेवा से निवृत्त ।
- इंद्रियातीत = इंद्रियों से अतीत (परे) ।
- गर्वशून्य = गर्व से शून्य ।
(v) संबंध तत्पुरुष समास: (Sambandh Tatpurush Samas)
“जिस तत्पुरुष समास के प्रथम पद से अपादान कारक या विभक्ति चिन्ह (का, के, की) लगा रहता है, उसे संबंध तत्पुरुष समास कहते हैं।” उदाहरण :- राजकुमार, पराधीन, रक्तदान, नरबलि, प्राणाहुति इत्यादि ।
- राजकुमार = राजा का कुमार ।
- पराधीन = पर के अधीन ।
- रक्तदान = रक्त का दान ।
- नरबलि = नर की बलि ।
- प्राणाहुति = प्राणों की आहुति इत्यादि ।
नोट (Note): संबंध तत्पुरुष समास को “षष्ठी तत्पुरुष समास” भी कहा जाता है ।
अन्य, संबंध तत्पुरुष समास का उदाहरण: (Sambandh Tatpurush Samas ke Udaharan)
- सामासिक पद – समास विग्रह ।
- रक्तदान = रक्त का दान ।
- विश्वासपात्र = विश्वास का पत्र ।
- वाग्दान = वाक् का दान ।
- नरबलि = नर की बलि ।
- प्राणाहुति = प्राणों की आहुति ।
- मंत्रीपरिषद् = मंत्रियों की परिषद् ।
- राज्यसभा = राजा की सभा ।
- कन्यादान = कन्या का दान ।
- राजमाता = राजा की माता ।
- सद्संगति = सत् पुरुषों की संगति ।
(vi) अधिकरण तत्पुरुष समास: (Adhikaran Tatpurush Samas)
“जिस तत्पुरुष समास का पूर्व पद या प्रथम पद के साथ अधिकरण कारक या विभक्ति चिन्ह (में, पर) लगा होता है, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं।” उदाहरण:- कलाप्रवीण, आपबीती, कार्यकुशल, कविश्रेष्ठ, नराधम इत्यादि।
- कलाप्रवीण = कला में प्रवीण ।
- आपबीती = आप (स्वयं) पर बीती ।
- कार्यकुशल = कार्य में कुशल ।
- कविश्रेष्ठ = कवियों में श्रेष्ठ ।
- नराधम = नरों में अधम इत्यादि ।
नोट (Note): अधिकरण तत्पुरुष समास को “सप्तमी तत्पुरुष समास” भी कहा जाता है ।
अन्य, अधिकरण तत्पुरुष समास का उदाहरण: (Adhikaran Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- जलमग्न = जल में मग्न ।
- ऋषिराज = ऋषियों में राजा ।
- नरोत्तम = नरों में उत्तम ।
- मुनिश्रेष्ठ = मुनियों में श्रेष्ठ ।
- कविपुंगव = कवियों में पुंगव ।
- हरफनमौला = हड़फन (कला) में मौला (उस्ताद) ।
- शिलालेख = शीला पर लेख ।
- नीतिनिपुण = नीति में निपुण ।
- क्षणभंगुर = क्षण में भंगुर (नष्ट) होने वाला ।
- कलाप्रवीण = कलाओं में प्रवीण ।
तत्पुरुष समास के प्रमुख सहायक भेद: (Tatpurush Samas Ke Pramukh Sahayak Bhed)
“तत्पुरुष समास के प्रमुख सहायक भेद निम्नलिखित हैं:-
(i) अलुक् तत्पुरुष समास किसे कहते हैं : (Alku Tatpurush Samas Kise kahate Hain)
“जिस तत्पुरुष समास में संस्कृत भाषा के शब्दों में पूर्व पद या प्रथम पद की विभक्ति का पूरी तरह लोप (गायब) नहीं होता है, उसे अलुक् तत्पुरुष समास कहते हैं।” उदाहरण: वनेचर (वने + चर), खेचर (खे + चर), वाचस्पति (वाचस् + पति) आदि।
- वनेचर (वने + चर) = वन में विचरण करनेवाला ।
- खेचर (खे + चर) = आकाश में विचरण करनेवाला ।
- युधिष्ठिर (युधि + स्थिर) = युद्ध में स्थिर रहनेवाला ।
- वाचस्पति (वाचस् + पति) = वाणी का पति ।
- मनसिज (मनसि + ज) = मन में सृजित होनेवाला आदि।
अतः उक्त शब्दों में प्रथम पद अपनी-अपनी विभक्तियों के साथ प्रयुक्त हुआ है ।
अन्य, अलुक् तत्पुरुष के उदाहरण (पूर्व पद विभक्ति सहित): (Alku Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- दुकानदार = दुकान का दार (मलिक) ।
- दूधवाला = दूध देने वाला ।
- बच्चेदानी = बच्चे की दानी ।
- चूहेदानी = चूहे की दानी ।
- सूबेदार = सूबे का दार । आदि ।
(ii) नेञ् तत्पुरुष किसे कहते हैं ? (Neh Tatpurush Samas Kise kahate hain)
“जिस तत्पुरुष समास के पूर्व पद या प्रथम पद में संस्कृत का “अ, अन तथा उर्दू का ना” उपसर्ग लगे होते हैं, जो नकारात्मक अर्थ प्रकट करते हैं, उसे नेञ् तत्पुरुष समास कहते हैं।” उदाहरण: अमर (न मरनेवाला),अनश्वर, नागवार, अनाशक्त, नापाक इत्यादि।
- अशांति = न शांति ।
- अनश्वर = न नश्वर होनेवाला ।
- नागवार = नहीं है गवारा (मंजूर) जो ।
- नालायक = नहीं है लायक जो ।
- अनाशक्त = आसक्ति से रहित ।
- अनसन = असन (भोजन) से रहित । 8
- नापाक = नहीं है पाक जो ।
- नापसंद = नहीं है पसंद जो ।
- असभ्य = नहीं है सभ्य जो ।
- अमर = न मरनेवाला ।
- अधीर = न धीर रखनेवाला । इत्यादि ।
नेञ् तत्पुरुष समास का पहचान:- नेञ् तत्पुरुष समास के प्रथम या पूर्व पद में “अ, अन एवं ना” लगा होता है। जैसे :-
- अनाधिकार = अधिकार से रहित ।
- अनमना = मन से रहित ।
- असत्य = न सत्य । आदि ।
(iii) उपपद तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? (Upapad Tatpurush Samas Kise kahate hain)
“जिस सामासिक पद में उत्तर पद कोई स्वतंत्र सार्थक शब्द न होकर कोई “प्रत्यय” होता है, तब उपपद तत्पुरुष समास होता है।”
जैसे :- जलचर = जल में विचरण करनेवाला, पादप = पाद (पैर) से पीनेवाला इत्यादि ।
- जलचर = जल में विचरण करनेवाला
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “जलचर” सामासिक पद का समास-विग्रह “जल में विचरण करनेवाला” है । जिसमें उत्तर पद “चर” पद कोई स्वतंत्र सार्थक शब्द न होकर “एक प्रत्यय” है ।
- कृतज्ञ = कृत (उपकार) को माननेवाला ।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “कृतज्ञ” सामासिक पद का समास-विग्रह “कृत (उपकार) को माननेवाला ” है । जिसमें उत्तर पद “ज्ञ” पद कोई स्वतंत्र सार्थक शब्द न होकर “एक प्रत्यय” है ।
- पादप = पाद (पैर) से पीनेवाला ।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “पादप” सामासिक पद का समास-विग्रह “पाद (पैर) से पीनेवाला ” है । जिसमें उत्तर पद “प” पद कोई स्वतंत्र सार्थक शब्द न होकर “एक प्रत्यय” है ।
- खग = ख (आकाश) में गमन करनेवाला ।
विश्लेषण:- उक्त उदाहरण में “खग” सामासिक पद का समास-विग्रह “ख (आकाश) में गमन करनेवाला ” है । जिसमें उत्तर पद “ग” पद कोई स्वतंत्र सार्थक शब्द न होकर “एक प्रत्यय” है ।
- स्वर्णकार = स्वर्ण का काम करनेवाला ।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “खग” सामासिक पद का समास-विग्रह “ख (आकाश) में गमन करनेवाला ” है । जिसमें उत्तर पद “ग” पद कोई स्वतंत्र सार्थक शब्द न होकर “एक प्रत्यय” है इत्यादि ।
उपपद तत्पुरुष समास के अन्य उदाहरण: (Uppad Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- चर्मकार = चर्म का काम करनेवाला ।
- नभचर = नभ में विचरण करनेवाला ।
- जलज = जल से जन्म लेनेवाला ।
- राजनीतिज्ञ = राजनीतिक को जाननेवाला ।
- जलद = जल को देनेवाला ।
- लाभप्रद = लाभ को प्रदान करनेवाला ।
- सुखदायी = सुख को देनेवाला ।
- शक्तिदायक = शक्ति को देनेवाला ।
- कठफोड़वा = काठ को फोड़नेवाला । इत्यादि ।
(iv) लुप्तपद तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? (Luptpad Tatpurush Samas Kise kahate hain)
“जब किसी सामासिक पद में कारकीय चिन्हों के साथ-साथ अन्य पद भी लुप्त (गायब) हो जाते हैं, उसे लुप्तपद तत्पुरुष समास कहते हैं।” जैसे:- मधुमक्खी = मधु को एकत्र करनेवाली मक्खी, रेलगाड़ी = रेल पर चलनेवाली गाड़ी। इत्यादि |
- मधुमक्खी = मधु को एकत्र करनेवाली मक्खी।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “मधु को एकत्र करनेवाली मक्खी” में कारकीय चिन्ह ‘को’ के साथ-साथ अन्य पद “एकत्र करनेवाली ” लुप्त होकर “मधुमक्खी” सामासिक पद का निर्माण किया है ।
- रेलगाड़ी = रेल पर चलनेवाली गाड़ी ।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “रेल पर चलनेवाली गाड़ी” में कारकीय चिन्ह ‘पर’ के साथ-साथ अन्य पद “चलनेवाली ” लुप्त होकर “रेलगाड़ी” सामासिक पद का निर्माण किया है।
- जलकुंभी = जल में उत्पन्न होनेवाली कुंभी ।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “जल में उत्पन्न होनेवाली कुंभी” में कारकीय चिन्ह ‘में’ के साथ-साथ अन्य पद “उत्पन्न होनेवाली ” लुप्त होकर “जलकुंभी” सामासिक पद का निर्माण किया है।
- बैलगाड़ी = बैलों से चलनेवाली गाड़ी ।
विश्लेषण :- उक्त उदाहरण में “बैलों से चलनेवाली गाड़ी ” में कारकीय चिन्ह ‘से’ के साथ-साथ अन्य पद “चलनेवाली ” लुप्त होकर “बैलगाड़ी” सामासिक पद का निर्माण किया है।
लुप्तपद तत्पुरुष समास का अन्य उदाहरण:- (Luptpad Tatpurush Samas Ke Udaharan)
- तुलादान = तुला से बराबर कर दिया जानेवाला दान ।
- वनमानुष = वन में रहनेवाला मानुष ।
- पर्णशाला = पर्ण (घास/तिनका) से बनी हुई शाला ।
- कन्यादान = कन्या के पिता द्वारा श्रेष्ठ वर को घर बुलाकर विधिपूर्वक दिया जानेवाला कन्या का दान ।
- पवनचक्की = पवन से चलनेवाली चक्की ।
- दहीबड़ा = दही में डूबा हुआ बड़ा ।
- रसगुल्ला = रस में डूबा हुआ गुल्ला । इत्यादि
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FAQs: (तत्पुरुष समास)
1. तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
उत्तर: “जिस समास में उत्तर पद प्रधान और पूर्व पद गौण होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।” जैसे: जलधर = जल को धारण करने वाला इत्यादि।
2. तत्पुरुष समास की 3 विशेषताएँ बताएँ।
- उत्तर पद प्रधान होता है।
- कर्ता व संबोधन को छोड़कर अन्य कारकों की विभक्तियाँ लुप्त होती हैं।
- लिंग और वचन उत्तर पद के अनुसार होते हैं।
3. तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
उत्तर: 6 प्रमुख भेद हैं: (कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण।)
4. कर्म तत्पुरुष समास का उदाहरण दें।
उत्तर: माखनचोर = माखन को चुरानेवाला (द्वितीया विभक्ति ‘को’ लुप्त)।
5. संबंध तत्पुरुष समास क्या है?
उत्तर: जिसमें पूर्व पद ‘का/के/की’ से युक्त होता है। जैसे: राजकुमार = राजा का कुमार।
6. अलुक् तत्पुरुष समास किसे कहते हैं?
उत्तर: जहाँ पूर्व पद की विभक्ति लुप्त नहीं होती। जैसे: वनेचर = वने (वन में) + चर।
7. नेञ् तत्पुरुष समास की पहचान बताएँ।
उत्तर: इसमें ‘अन्/अ/ना’ उपसर्ग लगा होता है। जैसे: अमर = न मरने वाला।
8. ‘जलज’ किस प्रकार का तत्पुरुष समास है?
उत्तर: उपपद तत्पुरुष (उत्तर पद ‘ज’ प्रत्यय है)।
9. ‘मधुमक्खी’ किस समास का उदाहरण है?
उत्तर: लुप्तपद तत्पुरुष (मधु को एकत्र करनेवाली मक्खी)।
10. तत्पुरुष और बहुव्रीहि समास में अंतर बताएँ।
उत्तर: तत्पुरुष में उत्तर पद प्रधान होता है, जबकि बहुव्रीहि में पूरा पद किसी तीसरे अर्थ की ओर संकेत करता है।
11. ‘विद्यालय’ किस तत्पुरुष भेद का उदाहरण है?
उत्तर: संप्रदान तत्पुरुष (विद्या के लिए आलय)।
12. ‘कविश्रेष्ठ’ में कौन-सा समास है?
उत्तर: अधिकरण तत्पुरुष (कवियों में श्रेष्ठ)।
“Tatpurush Samas से जुड़े बोर्ड परीक्षा के लिए उपयोगी MCQs टाइप प्रश्नोत्तर”
1. तत्पुरुष समास में कौन-सा पद प्रधान होता है?
a) पूर्व पद
b) उत्तर पद
c) दोनों
उत्तर: b) उत्तर पद
2. ‘रक्तदान’ किस तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
a) संबंध
b) कर्म
c) संप्रदान
उत्तर: a) संबंध
3. ‘मनोहर’ का समास-विग्रह क्या है?
a) मन से हर
b) मन को हरने वाला
c) मन का हर
उत्तर: b) मन को हरने वाला
4. ‘अमर’ किस Tatpurush Samas Ke Udaharan है?
a) नेञ्
b) उपपद
c) लुप्तपद
उत्तर: a) नेञ्
5. ‘पुस्तकालय’ में कौन-सा समास है?
a) संप्रदान
b) संबंध
c) कर्म
उत्तर: a) संप्रदान
6. ‘जलचर’ किस तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
a) उपपद
b) अलुक्
c) लुप्तपद
उत्तर: a) उपपद
7. ‘देशनिकाला’ किस तत्पुरुष समास से संबंधित है?
a) अपादान
b) अधिकरण
c) करण
उत्तर: a) अपादान
8. ‘नीतिनिपुण’ में कौन-सा समास है?
a) अधिकरण
b) कर्म
c) करण
उत्तर: a) अधिकरण
9. ‘गुणयुक्त’ किस तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
a) करण
b) संबंध
c) कर्म
उत्तर: a) करण
10. ‘हतश्री’ का सही विग्रह क्या है?
a) श्री से हत
b) श्री का हत
c) श्री के लिए हत
उत्तर: a) श्री से हत
11. ‘कलाप्रवीण’ में समास बताएँ।
a) अधिकरण
b) संप्रदान
c) अपादान
उत्तर: a) अधिकरण
12. ‘नराधम’ का विग्रह क्या है?
a) नरों में अधम
b) नर का अधम
c) नर से अधम
उत्तर: a) नरों में अधम
13. ‘वाचस्पति’ किस समास का उदाहरण है?
a) अलुक्
b) नेञ्
c) उपपद
उत्तर: a) अलुक्
14. ‘सेवानिवृत्त’ में कौन-सा समास है?
a) अपादान
b) संबंध
c) अधिकरण
उत्तर: a) अपादान
15. ‘हस्तलिखित’ किस Tatpurush Samas Ke Udaharan है?
a) करण
b) कर्म
c) संप्रदान
उत्तर: a) करण
16. ‘प्राणाहुति’ का समास-विग्रह क्या है?
a) प्राणों की आहुति
b) प्राण से आहुति
c) प्राण के लिए आहुति
उत्तर: a) प्राणों की आहुति
17. ‘लोकप्रिय’ किस समास का उदाहरण है?
a) अधिकरण
b) संबंध
c) अपादान
उत्तर: a) अधिकरण
18. ‘असत्य’ किस तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
a) नेञ्
b) उपपद
c) लुप्तपद
उत्तर: a) नेञ्
19. ‘मालगोदाम’ किस तत्पुरुष समास भेद का उदाहरण है?
a) संप्रदान
b) संबंध
c) कर्म
उत्तर: a) संप्रदान
20. ‘जलमग्न’ का विग्रह क्या है?
a) जल में मग्न
b) जल को मग्न
c) जल से मग्न
उत्तर: a) जल में मग्न
21. ‘वनमानुष’ किस समास का उदाहरण है?
a) लुप्तपद
b) अलुक्
c) नेञ्
उत्तर: a) लुप्तपद
22. ‘धर्मयुक्त’ किस तत्पुरुष समास का उदाहरण है?
a) करण
b) कर्म
c) संबंध
उत्तर: a) करण
23. ‘कामचोर’ का सही विग्रह क्या है?
a) काम से चोर
b) काम का चोर
c) काम के लिए चोर
उत्तर: a) काम से चोर
24. ‘विद्याहीन’ किस तत्पुरुष का उदाहरण है?
a) अपादान
b) संबंध
c) करण
उत्तर: a) अपादान
25. ‘खेचर’ किस समास का उदाहरण है?
a) अलुक्
b) उपपद
c) लुप्तपद
उत्तर: a) अलुक्
निकर्ष: Of Tatpurush Samas
तत्पुरुष समास (Tatpurush Samas) हिंदी व्याकरण की वह अनोखी विधा है जो शब्दों को छोटा करने के साथ-साथ उनके अर्थ को और भी सटीक बनाती है। इस लेख में हमने तत्पुरुष समास की परिभाषा (Tatpurush Samas Ki Paribhasha) से शुरुआत करके, इसके छह मुख्य प्रकार और प्रमुख उदाहरणों (Tatpurush Samas ke Udaharan) को विस्तार से समझाया है। “जलधर” जैसे शब्दों से लेकर “विद्यालय” तक, हर उदाहरण यह बताता है कि “तत्पुरुष समास किसे कहते हैं (Tatpurush Samas Kise Kahate Hain)” और कैसे यह भाषा को स्पष्टता और प्रभावशीलता देता है।
साथ ही, हमने FAQs और 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों (MCQs) के जरिए परीक्षा की तैयारी को सरल बनाने का प्रयास किया है। यदि आप हिंदी व्याकरण के अन्य महत्वपूर्ण विषयों जैसे “बहुव्रीहि समास” या “द्वंद्व समास” को भी गहराई से सीखना चाहते हैं, तो हमारे अन्य ब्लॉग पोस्ट्स अवश्य एक्सप्लोर करें! इसे शेयर करें और हिंदी व्याकरण के अन्य पाठों के लिए हमारे YouTube Channel को सब्सक्राइब करें और kamla classes के Facebook एवं Instagram के पेज को भी Follow करें, समय पर सभी नए लेख के Notification पाने के लिए ।