यण् संधि, नियम, और 50 उदाहरण | Yan Sandhi Ke 50 Udaharan

यण् संधि किसे कहते हैं ? (Yan Sandhi Kise Kahate Hain) यण् संधि के परिभाषा , नियम और उदाहरण आदि |

मेरे मित्रों एवं पाठकों आपलोगों को इस लेख (Article) में यण् संधि ( Yan Sandhi ) , यण् संधि के 50 उदाहरण ( Yan Sandhi Ke Uadaharan ) को साधारण भाषा में समझानें का प्रयास किया गया है ।मुझे आशा है, कि आपलोग यण् संधि , यण् संधि के 50 उदाहरण को kamlaclasses.com के माध्यम से समझ पाएँगे ।

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यण् स्वर संधि ( Yan Sandhi or Yan Swar Sandhi )

“यदि इ /ई , उ/ऊ और के बाद कोई भिन्न स्वर आए तो  इ/ई’ का य्   , उ/ऊ’ का व्”   और का  र् हो जाता है “।

 

 यण् संधि के तीन नियम देखे जाते हैं :-

Yan Sandhi ke Udaharan
Yan Sandhi

 

(i) इ/ई + भिन्न स्वर = य्

जैसे :- + = य् = यदि + अपि = यद्यपि  ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘इ’ एवं ‘अ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘इ’ एवं ‘अ’ मिलकर “य्” बनाते हैं। अतः ‘यदि’ एवं ‘अपि’ से मिलकर  “यद्यपि” बनता है। अतः “यद्यपि” यण् संधि है ।)

 

+ = य् = नदी + अगम = नद्यगम ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ई’ एवं ‘अ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘ई’ एवं ‘अ’ मिलकर “य्” बनाते हैं। अतः ‘नदी’ एवं ‘अगम’ से मिलकर  “नद्यगम” बनता है। अतः “नद्यगम” यण् संधि है ।)

 

+ = या = इति + आदि = इत्यादि   

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘इ’ एवं ‘आ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘इ’ एवं ‘आ’ मिलकर “या” बनाते हैं। अतः ‘इति’ एवं ‘आदि’ से मिलकर  “इत्यादि” बनता है। अतः “इत्यादि” यण् संधि है ।)

 

+ = या = नदी + आगम = नद्यागम  ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ई’ एवं ‘आ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘ई’ एवं ‘आ’ मिलकर “या” बनाते हैं। अतः ‘नदी’ एवं ‘आगम’ से मिलकर  “नद्यागम” बनता है। अतः “नद्यागम” यण् संधि है ।)

 

+ = यु = उपरि + उक्त = उपर्युक्त  ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘इ’ एवं ‘उ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘इ’ एवं ‘उ’ मिलकर “यु” बनाते हैं। अतः ‘उपरि’ एवं ‘उक्त’ से मिलकर  “उपर्युक्त” बनता है। अतः “उपर्युक्त” यण् संधि है ।)

 

+ = ये = प्रति + एक = प्रत्येक  ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘इ’ एवं ‘अ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘इ’ एवं ‘ए’ मिलकर “ये” बनाते हैं। अतः ‘प्रति’ एवं ‘एक’ से मिलकर  “प्रत्येक” बनता है। अतः “प्रत्येक” यण् संधि है ) आदि ।

 

(ii) उ/ऊ + भिन्न स्वर = व् 

जैसे :- + = व् = अनु + अय = अन्वय ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘उ’ एवं ‘अ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘उ’ एवं ‘अ’ मिलकर “व्” बनाते हैं। अतः ‘अनु’ एवं ‘अय’ से मिलकर  “अन्वय” बनता है। अतः “अन्वय” यण्  संधि है ।)

 

+ = वा = सु + आगत = स्वागत ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘उ’ एवं ‘आ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘उ’ एवं ‘‘ मिलकर “वा” बनाते हैं। अतः ‘सु’ एवं ‘आगत’ से मिलकर  “स्वागत” बनता है। अतः “स्वागत” यण्  संधि है ।)

 

+ = वे = अनु + एषण = अन्वेषण ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘उ’ एवं ‘ए’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘उ’ एवं ‘ए’ मिलकर “वे” बनाते हैं। अतः ‘अनु’ एवं ‘एषण’ से मिलकर  “अन्वेषण” बनता है। अतः “अन्वेषण” यण् संधि है ।)

 

+ = वी = अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘उ’ एवं ‘ई’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘उ’ एवं ‘ई’ मिलकर “वी”  बनाते हैं। अतः ‘अनु’ एवं ‘ईक्षण’ से मिलकर  “अन्वीक्षण” बनता है। अतः  “अन्वीक्षण” अयादि संधि है ।)

संधि किसे कहते है?Click here

 

(iii) + भिन्न स्वर = रा

जैसे :- + = रा = पितृ + आदेश = पित्रादेश ।

(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ऋ’ एवं ‘आ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है ,तो ‘ऋ’ एवं ‘आ’ मिलकर “रा” बनाते हैं। अतः ‘पितृ’ एवं ‘आदेश’ से मिलकर  “पित्रादेश” बनता है। अतः “पित्रादेश” अयादि संधि है ) आदि ।

 

यण् संधि का उदाहरण ( Yan Sandhi Ke Udaharan ):-

   संधिपद  —   संधि-विच्छेद

1. अन्वेषण  = अनु + एषण   ।
2. अन्वय  = अनु + अय    ।
3. अत्याचार = अति + आचार     ।
4. आद्यन्त = आदि + अंत      ।
5. अत्यन्त = अति + अन्त    ।
6. अत्यधिक = अति + अधिक    ।
7. अत्यावश्यक = अति + आवश्यक
8. अत्युत्तम = अति + उत्तम     ।
9. अन्वीक्षण = अनु + ईक्षण     ।
10. अभ्यागत = अभि + आगत   ।

11. अभ्युदय = अभि + उदय    ।
12. इत्यादि = इति + आदि     ।
13. उपर्युक्त  = उपरि + उक्त   ।
14. गत्यवरोध = गति + अवरोध    ।
15. गत्यात्मक = गति + आत्मक   ।
16. गत्यात्मकता =गति + आत्मकता
17. गीत्युपदेश = गीति + उपदेश   ।
18. गौर्यादेश = गौरी + आदेश   ।
19. देव्यागम = देवी + आगम   ।
20. दध्योदन = दधि + ओदन    ।

21. ध्वन्यात्मक = ध्वनि + अर्थ    ।
22. ध्वन्यात्मक = ध्वनि + आत्मक   ।
23. न्यून = नि + ऊन   ।
24. प्रत्यय = प्रति + अय    ।
25. प्रत्युत्तर = प्रति + उत्तर     ।
26. प्रत्येक = प्रति + एक   ।
27. प्रत्युपकार = प्रति + उपकार     ।
28. प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष     ।
29. पश्वादि = पशु + आदि   ।
30. पश्वधम = पशु + अधम   ।

31. माध्वाचार्य = मधु + आचार्य    ।
32. मन्वंतर = मनु + अन्तर    ।
33. मध्वासव = मधु + आसव   ।
34. मात्रानंद = मातृ + आनंद    ।
35. यद्यपि = यदि + अपि    ।
36. लघ्वाहार = लघु + आहार    ।
37. लोटा = लृ + ओटा     ।
38. व्यर्थ = वि + अर्थ     ।
39. व्यापक = वि + आपक    ।
40. व्याप्त = वि + आप्त    ।

41. व्याकुल = वि + आकुल     ।
42. व्यायाम  = वि + आयाम   ।
43. व्याधि = वि + आधि    ।
44. व्याघात = वि + आघात
45. व्युत्पति = वि + उत्पत्ति
45. व्यूह = वि + ऊह   ।
46. वध्वागमन = वधू + आगमन
48. वध्वैश्वर्य = वधू + ऐश्वर्य    ।
49. स्वागत = सु + आगत   ।
50.स्वल्प = सु + अल्प  ।

 

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