हिंदी वर्णमाला || Hindi Varnmala || व्यंजन वर्ण (Vyanjan Varn) की परिभाषा, भेद, विशेषता, उच्चारण और उदाहरण आदि ।
प्रिया पाठको! यह पोस्ट वर्णमाला का द्वितीय भाग है, जिसमें व्यंजन वर्ण की परिभाषा, उदाहरण, भेद के साथ-साथ वर्णों के उच्चारण स्थान ट्रिक के साथ कर्मबद्धता, सरलता व आसान भाषा में पूर्णतः विश्लेषण किया गया है । जो आप लोगों के सही बोर्ड एग्जाम के साथ-साथ कॉम्पिटेटिव एक्जाम में भी हेल्पफुल होंगे।
वर्ण विचार का यह द्वितीय भाग है प्रथम भाग के लिए यहां क्लिक करें।
व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं ? (Vyanjan Varn Kise Kahate Hain)?
“जिस वर्ण का उच्चारण स्वर वर्ण की सहायता से होता है, उसे व्यंजन वर्ण कहते हैं ।
या,
“वे वर्ण जिनके उच्चारण में निकलने वाली वायु मुख के अलग-अलग स्थानों से टकराकर बाहर निकलती है, उसे व्यंजन वर्ण (Vyanjan Varn) कहते हैं” ।
जैसे – क, ख, ग, घ, च, छ, ड, ढ, ण, त, थ, ध, न, फ, य, र, ल, व, श आदि ।
मूल व्यंजन-वर्ण की कुल संख्या कितनी है ? (Mul Vyanjan Vern)
“मूल व्यंजन वर्ण की कुल संख्या 33 (तैंतीस) हैं, जो निम्नांकित “हैं –
क, ख, ग, घ, ङ,
च, छ, ज, झ, ञ,
ट, ठ, ड, ढ, ण,
त, थ, द, ध, न,
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व, श, ष, स तथा ह ।
व्यंजन वर्ण के कितने भेद हैं (Vyanjan Varn Ke Kitne Bhed Hain)?
व्यंजन-वर्ण के निम्नलिखित तीन (03) भेद हैं :-
(क) स्पर्श व्यंजन
(ख) अंतःस्थ व्यंजन
(ग) उष्म व्यंजन ।
(क) स्पर्श व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं ( Sparsh Vyanjan Varn Kise Kahate Hain) ?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में वायु मुख के अलग-अलग उच्चारण-स्थान (कंठ, तालू, मूर्द्धा, दंत, ओष्ठ एवं नासिका) के स्पर्श (छूकर) करती हुई बाहर निकलती है, उसे स्पर्श व्यंजन वर्ण कहते हैं ।
जैसे – क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ आदि ।
स्पर्श व्यंजन वर्ण की कुल संख्या कितनी हैं ?
“स्पर्श व्यंजन वर्ण की कुल संख्या 25 (पच्चीस) है, जो निम्नांकित हैं –
क, ख, ग, घ, ङ,,
च, छ, ज, झ, ञ,
ट, ठ, ड, ढ, ण,
त, थ, द, ध, न,
प, फ, ब, भ, म ।
नोट (Note) – (i) स्पर्श व्यंजन-वर्ण को “वर्गीय व्यंजन वर्ण” भी कहते है।
(ii) इसे “उदित व्यंजन-वर्ण “ भी कहते है।
(iii) क से म तक के 25 व्यंजनों को 5 वर्गों (समुहों) में विभाजित किया जाता है।
(iv) प्रत्येक वर्ग का नामकरण उसके वर्ग
(जैसे – क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग) प्रथम वर्ण के नाम पर पड़ा है ।
(ख) अंतःस्थ व्यंजन वर्ग किसे कहते हैं (Antahsth Vyanjan Varn kaise kahate hain )?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में निकलने वाली वायू उच्चारण स्थान को नाममात्र या हल्का-सा स्पर्श करती हुई बाहर निकलती हैं, उसे अंतःस्थ व्यंजन-वर्ण कहते हैं “।
जैसे – य, र, ल तथा व ।
नोट (Note) – (i) सभी अंतःस्थ व्यंजन वर्ण “अर्द्धस्वर” होते हैं।
(ii) “य और व” को विशेषरूप से “अर्द्धस्वर” कहा जाता है ।
अंतःस्थ व्यंजन वर्ण की कुल संख्या कितनी हैं ?
“अंतःस्थ व्यंजन-वर्ण की कुल संख्या चार है, जो अग्रलिखित हैं – य, र, ल तथा व ।
(ग) उष्म व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं (Ushm Vyanjan Varn kaise kahate hain ) ?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में निकलने वाली वायु जिह्वा एवं उच्चारण-स्थान के बीच से घर्षण करती हुई बाहर निकलती है,उष्म व्यंजन वर्ण कहते हैं “।
जैसे – श, ष, स तथा ह ।
नोट (Note)– (i) इसे “संघर्षी व्यंजन वर्ण” भी कहते है ।
(ii) च, छ, ज, झ के उच्चारण मैं भी संघर्ष होता है और चूँकि ये स्पर्श व्यंजन भी है। अतः इन्हें “स्पर्श संघर्ष व्यंजन वर्ण” कहते हैं ।
हिंदी की अन्य ध्वनियां :-
संयुक्त व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं (Sanyukt Vyanjan Varn Kise Kahate Hain ) ?
“वैसी व्यंजन वर्ण जिसमें पहला व्यंजन आधा होता है तथा इसके बाद का व्यंजन पूरा होता है, अर्थात् एक या अधिक आधा व्यंजन तथा एक पूरा व्यंजन मिलकर जिस वर्ण का निर्माण करता है, उसे संयुक्त व्यंजन वर्ण कहते हैं “।
जैसे – क् + ष = क्ष
त् + र = त्र
ज् + ञ = ज्ञ
श् + र = श्र ।
नोट (Note) – दो पूर्ण स्वर आपस में जुड़ सकते हैं, जबकि दो पूर्ण व्यंजन (स्वर सहित व्यंजन) कभी भी आपस में जुड़ नहीं सकते हैं ।
व्यंजन संधि किसे कहते हैं ? Click Here
श्वास कंपन के आधार पर व्यंजन वर्ण के कितने भेद हैं ?
“श्वास कंपन के आधार पर व्यंजन वर्ण के निम्नांकित दो भेद हैं ” :-
(क) घोष व्यंजन वर्ण
(ख) अघोष व्यंजन वर्ण ।
(क) घोष व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं ( Ghosh Vyanjan Varn Kise Kahate Hain ) ?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ अधिक झंकृत होता है, उसे घोष व्यंजन वर्ण कहते हैं “।
जैसे – ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व एवं सभी स्वर वर्ण (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ) घोष व्यंजन वर्ण होते हैं ।
*नोट (Note) –(i) प्रत्येक वर्गीय व्यंजनों का तीसरा, चौथा एवं पांचवा अक्षर घोष व्यंजन वर्ण होता है ।
(ii) अंतःस्थ व्यंजन वर्ण (य, र, ल, व) + ह धोष होते हैं।
(iii) सभी स्वर वर्ण घोष व्यंजन वर्ण होते हैं ।
*सुत्र – 3, 4, 5 ( यानी तीसरा चौथा एवं पांचवा वर्ण) ।
(ख) अघोष व्यंजन वर्ण किसे कहते है (Aghosh Vyanjan Varn Kise Kahate Hain) ?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में स्वर तंत्रियाँ कम झंकृत होता है, उसे अघोष व्यंजन वर्ण कहते हैं “।
जैसे – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स ।
नोट (Note)– (i) वर्गीय व्यंजन वर्णों का पहला और दूसरा वर्ण अघोष व्यंजन वर्ण होते हैं ।
(ii) श, ष, स अघोष होते हैं ।
श्वास (प्राण) वायु के मात्रा के आधार पर व्यंजन वर्ण के कितने भेद हैं ?
श्वास (प्राण) वायु के मात्रा के आधार पर व्यंजन वर्ण के निम्नांकित दो (02) भेद हैं –
(क)अल्पप्राण
(ख)महाप्राण ।
(क) अल्पप्राण किसे कहते है (Alppran Kise Kahate Hai) ?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में कम (कम) प्राणवायु बाहर निकलती है उसे अल्प्राण कहते हैं “।
जैसे- क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म, य, र, ल, व एवं सभी स्वर वर्ण (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ,ओ, औ ।
*नोट (Note)- (i) प्रत्येक वर्गीय व्यंजनों वर्णों का पहला, तीसरा एवं पांचवा (1 ,3, 5) वर्ण अल्प प्राण होते हैं ।
(ii)अंतःस्थ व्यंजन वर्ण (य, र, ल, व) अल्पप्राण होते हैं ।
(iii) सभी स्वर वर्ण अल्पप्राण होते हैं ।
(ख) महाप्राण किसे कहते हैं (Mahapran kise kahate hai) ?
“जिस व्यंजन वर्ण के उच्चारण में प्राणवायु अधिक मात्रा में बाहर निकलती है, उसे महाप्राण कहते हैं “।
जैसे- ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ, श, ष, स, ह ।
*नोट (Note)– (i) प्रत्येक वर्गीय व्यंजन वर्णों का दूसरा एवं चौथा (2,4) वर्ण महाप्राण होते हैं ।
(ii) उष्म व्यंजन-वर्ण महाप्राण होते हैं ।
हिंदी के अन्य व्यंजन :-
उश्रिप्य व्यंजन या (उश्रिप्त/ उच्छिप्त) व्यंजन-किसे कहते हैं (Ushripya Vyanjan Varn Kise Kahate Hain) ?
“जिस व्यंजन-वर्ण के उच्चारण में जीव झटके से ऊपर की ओर उठते हैं उसे उश्रिप्य व्यंजन कहते हैं “।
जैसे- ड़ तथा ढ़ ।
*नोट (Note) – (i) इसे “द्विगुण व्यंजन वर्ण” भी कहते है ।
(ii) द्विगुण व्यंजन किसी भी शब्द के प्रारंभ में नहीं आते हैं । ये किसी शब्द के मध्य या अंत में ही आते है ।
जैसे – सड़क, धाकड़, धड़ाम, मेढ़क आदि ।
(iii) ड़ तथा ढ़ का प्रयोग केवल हिंदी में किया जाता है, जबकि संस्कृत में इसका प्रयोग नहीं होता है ।
(iv) द्विगुण व्यंजन-वर्ण का प्रयोग हिंदी में किसी शब्द के प्रथम वर्ण के शुरू में नहीं होता है ।
जैसे – ढोलक, ढक्कन, डमरू, डरपोक आदि ।
वर्णों के उच्चारण स्थान किसे कहते हैं ? (Varnau ka Uchcharan Sthan)?
“मुख के जिस भाग से वर्णों का उच्चारण होता है उस भाग को उस वर्णों का उच्चारण स्थान कहते हैं “।
जैसे- कंठ, तालू, दंत, ओष्ठ आदि ।
उच्चारण स्थान की कुल संख्या कितनी हैं ?
“उच्चारण स्थान की कुल संख्या निम्नांकित छः (06) हैं ” :-
(क) कंठ
(ख) तालु
(ग) मूर्द्धा
(घ) दंत
(ङ) ओष्ठ
(च) नासिका (नाक) ।
उच्चारण स्थान के आधार पर वर्णों को कितने भागों में बांटा गया हैं ?
“उच्चारण स्थान के आधार पर वर्णों को निम्नांकित नौ (09) भागों में बांटा गया हैं –
(क) कण्ठ्य वर्ण
(ख) तालव्य वर्ण
(ग) मूर्धन्य वर्ण
(घ) दंत्य वर्ण
(ङ) ओष्ठ्य वर्ण
(च) अनुनासिका वर्ण
(छ) कण्ठतालव्य वर्ण
(ज) कण्ठोष्ठ्य वर्ण
(झ) दंतोष्ठ्य वर्ण ।
(क) कण्ठ्य वर्ण किसे कहते हैं (Kanthya Varn Kise Kahate Hain)?
“जिस वर्ण का उच्चारण कण्ठ से होता है, उसे कण्ठ्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे – अ, आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), ह तथा विसर्ग ।
*सुत्र – अकुह विसर्ग नीया नाम कंठः – अ, आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), ह ,विसर्ग ।
*नोट(Note)- (i) इसे “काकल्य ध्वनि” भी कहते है ।
(ii) इनमें भी ‘ह’ शुद्ध “काकल्य ध्वनि” है ।
(ख) तालव्य वर्ण किसे कहते हैं (Talavya Varn Kise Kahate Hain) ?
“जिस वर्ण का उच्चारण तालू से होता है, उसे तालव्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे – इ, ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ), य एवं श ।
*सुत्र – इचुयश नाम् तालूः – इ, ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ), य एवं श ।
(ग) मूर्धन्य वर्ण किसे कहते है (Murdhanya varn kise kahate hain) ?
“जिस वर्ण का उच्चारण मूर्द्धा से होता है उसे कहते हैं, मूर्धन्य वर्ण कहते हैं ।
जैसे- ऋ, ॠ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र एवं ष ।
*सुत्र – ऋटुरष नाम् मूर्द्धाः- ऋ, ॠ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र एवं ष ।
(घ) दंत्य वर्ण किसे कहते है (Dantya Varn Kise Kahate Hai) ?
“जिस वर्ण का उच्चारण दांत से होता है, उसे दंत्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे – लृ, त वर्ग (त, थ, द, ध, न), ल, स ।
*सुत्र – लृतुलस नाम् दंतः- लृ, त वर्ग (त, थ, द, ध, न), ल, स ।
(ङ) ओष्ठ्य वर्ण किसे कहते है ?(Oshthy Varn Kise Kahate Hain)?
“जिस वर्ण का उच्चारण ओष्ठ से होता है, उसे ओष्ठ्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे – उ, ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म) ।
*सुत्र – उपु नाम् ओष्ठः- उ, ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म) ।
(च) अनुनासिका वर्ण किसे कहते है? (Anunasika Varn Kise Kahate Hain) ?
“जिस वर्ण का उच्चारण नाक से होता है, उसे अनुनासिका वर्ण कहते हैं “।
जैसे- ङ, ञ, ण, न, म ।
*सुत्र – ञङाणानाम् नासिका- ङ, ञ, ण, न, म ।
(छ) कण्ठतालव्य वर्ण किसे कहते है ?
“जिस वर्ण का उच्चारण कंठ एवं तालु से होता है, उसे कण्ठतालव्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे – ए एवं ऐ ।
(ज) कण्ठोष्ठ्य वर्ण किसे कहते हैं ?
“जिस वर्ण का उच्चारण कंठ एवं ओष्ठ से होता है, उसे कण्ठोष्ठ्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे – ओ तथा औ ।
(झ) दंतोष्ठ्य वर्ण किसे कहते हैं ?
“जिस वर्ण का उच्चारण दांत एवं ओष्ठ से होता है, उसे दंतोष्ठ्य वर्ण कहते हैं “।
जैसे- व ।
उच्चारण-स्थान वर्णों का नाम उच्चरित वर्ण :-
कंठ कंठ्य वर्ण – अ, आ, कवर्ग, ह और विसर्ग |
तालु तालव्य वर्ण- इ, ई, चवर्ग, य और श ।
मूर्द्धा मूर्धन्य वर्ण- ऋ, टवर्ग, र और ष |
दंत दंत्य वर्ण- लृ, तवर्ग, ल और स |
ओष्ठ ओष्ठ्य वर्ण- उ, ऊ, और पवर्ग |
नासिका और अनुनासिका वर्ण- पंचमाक्षर, अनुस्वार, चन्द्रबिंदु ।
कंठ और तालु कण्ठतालव्य वर्ण- ए तथा ऐ |
कंठ और ओष्ठ कंठौष्ठ्य वर्ण- ओ तथा औ |
दंत और ओष्ठ दंतौष्ठाय वर्ण- व ।
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हिंदी की कुछ विशेष ध्वनियाँ
(i)आगत ध्वनियाँ किसे कहते हैं (Agat dhwania kise kahate hain) ?
“वे ध्वनियां जो विदेशी भाषा से हिंदी में आई है, उन्हें आगत धनिया कहते हैं “।
जैसे – क़, ख़, ग़, ज़, फ़, ऑ ।
*’क़’ इसे “क” नोकता पढ़ा जाता है । ये एक फारसी ध्वनि है ।
जैसे – गज़ल, कज़ाकिस्तान आदि ।
*”ऑ” एक अंगरेजी ध्वनि है ।
जैसे – डॉक्टर, चॉकलेट, टॉफी आदि ।
(ii)पार्श्विक ध्वनियां किसे कहते है (Parshwi kdhvania kise kahate Hain) ?
“वे वर्ण जिनके उच्चारण में जिह्वा के पार्श्व भाग या बगल वाले भाग पर बल पड़ता है, उसे पार्श्विक ध्वनियां कहते हैं “।
जैसे – ल, ल्ह आदि।
(iii)लुंठित ध्वनियां किसे कहते है (Lunthit Dhwania kise kahate hain) ?
“वे वर्ण जिनके उच्चारण में जिह्वा धीरे-धीरे पीछे की ओर उठती है, उसे लुंठित ध्वनियां कहते हैं “।
जैसे – र, र् ह आदि ।
व्यंजन-गुच्छ एवं द्वित्व
व्यंजन-गुच्छ – यदि किसी शब्द में दो-तीन व्यंजन लगातार हों और उनके बीच कोई स्वर न हो, तो उसे व्यंजन-समूह को व्यंजन – गुच्छ कहते हैं ।
जैसे- अच्छा = अ + च् + छ् +आ (च्, छ् – दो व्यंजनों का गुच्छ) ।
मत्स्य = म् +अ + त् + स् + य् + अ (त्, स्, य्—तीन व्यंजनों का गुच्छ) क्यारी, क्लेश, स्पष्ट आदि ।
*नोट – कभी-कभी एक ही शब्द में एक से अधिक व्यंजन गुच्छ पाए जाते हैं ।
जैसे – स्वास्थ्य = स् + व् + आ + स् + थ् + य् + अ (इसमें दो व्यंजन-गुच्छ है ।)
ज्योत्सना = ज् + य् + ओ + त् + स् + अ + न् + आ (इसमें दो व्यंजन-गुच्छ है ।), ध्वस्त, च्यवनप्राश आदि ।
द्वित्व वर्ण- यदि दो समान व्यंजनों के बीच कोई स्वर न हो तो वह संयुक्त व्यंजन या व्यंजन – गुच्छ द्वित्व कहलाता है ।
जैसे- अड्डा, पट्टी, बच्चा, धक्का, सत्ता, पक्का आदि।
उदाहरण- पक्का = प् + क् + क् +आ (इसमें क् + क् – द्वित्व है ।)
*नोट – वर्गीय व्यंजन की दूसरे अथवा चौथे वर्णों को द्वित्व (दो बार) के रूप में नहीं लिखा जाता हैं, अर्थात् दो महाप्राण आपस में संयुक्त नहीं होते हैं ।
जैसे – (ख-ख), (घ-घ), (छ-छ), (झ-झ), (ठ-ठ), (ढ-ढ), (थ-थ), (ध-ध), (फ-फ), (भ-भ) ।
Conclusion:-
मैं आशा करता हूँ ,कि उक्त लिखित पोस्ट (Post) में व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं (Vyanjan Varn kise kahate hain) , उदाहरण, प्रकार को सरलतम व क्रमबद्धता पूर्वक समझे होगे । जो आप लोगों का बोर्ड एग्जाम के साथ-साथ कॉम्पिटेटिव एग्जाम के लिए भी उपयोगी लगे होंगे । इसी तरह के अन्य पोस्ट के लिए kamlaclasses.com के साथ बने रहे एवं फेसबुक(Facebook), व्हाट्सएप (Whatsapp) एवं इंस्टाग्राम (Instagram)आदि पेज को भी फॉलो (Follow)करें ।
दोस्तों आप इस पोस्ट में व्यंजन वर्ण किसे कहते हैं (Vyanjan Varn Kise Kahate Hain), Vyanjan Varn ki paribhasha, व्यंजन-वर्ण के भेद, विशेषता, भेद, उच्चारण, आदि उदाहरण सहित सरल व क्रमबद्ध तौर पर वर्णन किया गया है । मुझे पूर्ण आशा है कि आप साधारण व स्पष्ट ढंग से समझे होगे ।
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