गुण संधि किसे कहते हैं (Gun Sandhi Kise kahate hain), गुण संधि के उदाहरण
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गुण स्वर संधि (Gun Swar Sandhi Ya Gun Sandhi ):-
“यदि ‘अ‘ या ‘आ‘ के बाद ‘इ‘ या ‘ई‘ आए तो -“ए“, ‘उ‘ या ‘ऊ‘ आए तो- “ओ ” एवं ‘ऋ‘ का – “अर् ” हो जाता हैं “।
गुण संधि के तीन नियम देखे जाते हैं (Gun Sandhi Ke Niyam):-
(क) अ/आ + इ/ई = ए ।
जैसे :- अ + इ = ए = देव + इन्द्र = देवेन्द्र ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘इ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है ,तो ‘अ‘ एवं ‘इ‘ मिलकर “ए“ बनाते हैं। अतः ‘देव‘ एवं ‘इन्द्र से मिलकर “देवेन्द्र“ बनता है। अतः “देवेन्द्र” गुण संधि है ।)
अ + ई = ए = देव + ईश = देवेश ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘ई‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘अ‘ एवं ‘ई‘ मिलकर “ए” बनाते हैं। अतः ‘देव‘ एवं ‘ईश‘ से मिलकर “देवेश“ बनता है। अतः “देवेश” गुण संधि है ।)
आ + इ = ए = महा + इन्द्र = महेन्द्र ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ‘ एवं ‘इ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है ,तो ‘आ‘ एवं ‘इ‘ मिलकर “ए“ बनाते हैं। अतः ‘महा‘ एवं ‘इन्द्र‘ से मिलकर “महेन्द्र“ बनता है। अतः “महेन्द्र” गुण संधि है ।)
आ + ई = ए = महा + ईश = महेश ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ एवं ‘ई‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि ‘की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘आ‘ एवं ‘ई‘ मिलकर “ए“ बनाते हैं। अतः ‘महा‘ एवं ‘ईश‘ से मिलकर “महेश“ बनता है। अतः “महेश” गुण संधि है ।)
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(ख) अ/आ + उ/ऊ = ओ ।
जैसे :- अ + उ = ओ = चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘उ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘अ‘ एवं ‘उ‘ मिलकर “ओ“ बनाते हैं। अतः ‘चन्द्र’ एवं ‘उदय’ से मिलकर “चन्द्रोदय” बनता है। अतः “चन्द्रोदय” गुण संधि है ।)
अ + ऊ = ओ = जल + ऊर्मि = जलोर्मि ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘ऊ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘अ‘ एवं ‘ऊ‘ मिलकर “ओ“ बनाते हैं। अतः ‘जल’ एवं ‘ऊर्मि’ से मिलकर “जलोर्मि” बनता है। अतः “जलोर्मि” गुण संधि है ।)
आ + उ = ओ = महा + उत्सव = महोत्सव ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ‘ एवं ‘उ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘आ‘ एवं ‘उ‘ मिलकर “ओ“ बनाते हैं। अतः ‘महा’ एवं ‘उत्सव’ से मिलकर “महोत्सव” बनता है। अतः “महोत्सव” गुण संधि है ।)
आ + ऊ = ओ = गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ‘ एवं ‘ऊ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘आ‘ एवं ‘ऊ‘ मिलकर “ओ“ बनाते हैं। अतः ‘गंगा’ एवं ‘ऊर्मि’ से मिलकर “गंगोर्मि” बनता है। अतः “गंगोर्मि” गुण संधि है ।)
(ग) अ/आ + ऋ = अर् ।
जैसे :- अ + ऋ = अर् = देव + ऋषि = देवर्षि ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘ऋ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘अ‘ एवं ‘ऋ‘ मिलकर “अर्“ बनाते हैं। अतः ‘देव‘ एवं ‘ऋषि’ से मिलकर “देवर्षि” बनता है। अतः “देवर्षि” गुण संधि है ।)
आ + ऋ = अर् = महा + ऋषि = महर्षि ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ‘ एवं ‘ऋ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है तो ‘आ‘ एवं ‘ऋ‘ मिलकर “अर्“ बनाते हैं। अतः ‘महा’ एवं ‘ऋ‘ से मिलकर “महर्षि” बनता है। अतः “महर्षि” गुण संधि है ।
अन्य, गुण संधि के उदाहरण (Gun Sandhi Ke Udaharan):-
संधिपद — संधि-विच्छेद
1. आत्मोत्सर्ग = आत्म + उत्सर्ग ।
2. अर्थोपार्जन = अर्थ + उपार्जन ।
3. आनन्दोत्सव = आनंद + उत्सव ।
4. ईश्वरेच्छा = ईश्वर + इच्छा ।
5. उपेक्षा = उप + ईक्षा ।
6. ऊर्मिलेश = ऊर्मिला + ईश ।
7.उमेश = उमा + ईश ।
8. एकेश्वर = एक + ईश्वर ।
9. कमलेश = कमल + ईश ।
10. कर्णोद्धार = कर्ण + उधार ।
11. खगेश्वर = खग + ईश्वर ।
12. खगेश = कख + ईश ।
13. खगेन्द्र = खग + इन्द्र ।
14. गंगोदक = गंगा + उदक ।
15. गजेन्द्र = गज + इन्द्र ।
16. ग्रामोद्धार = ग्राम + उद्धार ।
17. गणेश = गण + ईश ।
18. ग्रामोद्योग = ग्राम + उद्योग ।
19. गंगोर्मि = गंगा + ऊर्मि ।
20. गंगेश = गंगा + ईश ।
21. चन्द्रोदय = चन्द्र + उदय ।
22. चिन्तोन्मुक्त = चिन्ता + उन्मुक्त ।
23. जलोर्मि = जल + ऊर्मि ।
24. जन्मोत्सव = जन्म + उत्सव ।
25. जितेन्द्रिय = जित + इन्द्रिय ।
26. झण्डोत्तोलन = झण्डा + उत्तोलन ।
27. डिम्बोद्घोष = डिम्ब + उद्घोष ।
28. तारकेश्वर = तारक + ईश्वर ।
29. तारकेश = तारक + ईश ।
30. तपेश्वर = तप + ईश्वर ।
31. थानेश्वर = थाना + ईश्वर ।
32. देवर्षि = देव + ऋषि ।
33. देवेश = देव + ईश ।
34. देवेन्द्र = देव + इन्द्र ।
35. दर्शनेच्छा = दर्शन + इच्छा ।
36. दीपोत्सव = दीप + उत्सव ।
37. देवोत्थान = देव + उत्थान ।
38. धर्मोपदेश = धर्म + उपदेश ।
39. धनेश = धन + ईश ।
40. धारोष्ण = धारा + ऊष्ण ।
41. धीरोदात्त = धीर + उदात्त ।
42. धीरोद्धत = धीर + उद्धत ।
43. ध्वजोत्तोलन = ध्वज + उत्तोलन ।
44. नागेंद्र = नाग + इन्द्र ।
45. नागेश = नाग + ईश ।
46. नरेश = नर + ईश ।
47. नरेन्द्र = नर + इन्द्र ।
48. नदीश = नदी + ईश ।
49. नवोदय = नव + उदय ।
50. नीलोत्पल = नील + उत्पल ।
51. नक्षत्रेश = नक्षत्र + ईश ।
52. पदोन्नति = पद + उन्नति ।
53. परोपकार = पर + उपकार ।
54. परमेश्वर = परम + ईश्वर ।
55. पश्चिमोत्तर = पश्चिम + उत्तर ।
56. पुरूषोत्तम = पुरूष + उत्तम ।
57. पूर्वोदय = पूर्व + उदय ।
58. प्रोत्साहन = प्र + उत्साहन ।
59. पुष्पोद्ध्यान = पुष्प + उद्ध्यान ।
60. प्राणेश्वर = प्राण + ईश्वर ।
61. फलेच्छा = फल + इच्छा ।
62. फलोदय = फल + उदय ।
63. फेनोज्ज्वल = फेन + उज्जवल ।
64. बालेन्द्र = बाल + इन्द्र ।
65. ब्रजेश = ब्रज + ईश ।
66. ब्रह्मर्षि = ब्रह्म + ऋषि ।
67. भाग्योदय = भाग्य + उदय ।
68. भवेश = भव + ईश ।
69. भावेश = भाव + ईश ।
70. भुजगेन्द्र = भुजग + इन्द्र ।
71. भुवनेश्वर = भुवन + ईश्वर ।
72. भूपेश = भूप + ईश ।
73. भूतेश = भूत + ईश ।
74. भूतेश्वर = भूत + ईश्वर ।
75. मदोन्मत्त = मद + उन्मत्त ।
76. मदनोत्सव = मदन + उत्सव ।
77. महोत्सव = महा + उत्सव ।
78. महर्षि = महा + ऋषि ।
79. महेन्द्र = महा + इन्द्र ।
80. मरणोपरांत = मरण + उपरान्त ।
81. महेश = महा + ईश ।
82. महोदय = महा + उदय ।
83. महोपदेश = महा + उपदेश ।
84. मृगेन्द्र = मृग + इन्द्र ।
85. यथेष्ट = यथा + इष्ट ।
86. यथोचित = यथा + उचित ।
87. यज्ञोपवीत = यज्ञा + उपवीत ।
88.योगेन्द्र = योग + इन्द्र ।
89. रमेश = रमा + ईश ।
90. रमेन्द्र = रमा + इन्द्र ।
91. राकेश = राका + ईश ।
92. राजर्षि = राजा + ऋषि ।
93. राजेन्द्र = राजा + इन्द्र ।
94. राघवेन्द्र = राघव + इन्द्र ।
95. रामेश्वर = राम + ईश्वर ।
96. रावणेश्वर = रावण + ईश्वर ।
97. लंबोदर = लंबा + उदर ।
98. लंकेश्वर = लंका + ईश्वर ।
99. लोकोक्ति = लोक + उक्ति ।
100. लोकेश = लोक + ईश ।
101. लुप्तोपमा = लुप्त + उपमा ।
102. लोकोत्तर = लोक + उत्तर ।
103. वनोत्सव = वन + उत्सव ।
104. वसंतोत्सव = वसंत + उत्सव ।
105. वामेश्वर = वाम + ईश्वर ।
106. विद्योपार्जन = विद्या + उपार्जन ।
107. विकासोन्मुख = विकाश + उन्मुख ।
108. विजयेच्छा = विजय + इच्छा ।
109. विचारोचित = विचार + उचित ।
110. वीरेंद्र = वीर + इन्द्र ।
111. शिवेंद्र = शिव + इन्द्र ।
112. शुभेच्छा = शुभ + इच्छा ।
113. षोड्शोपचार=षोड्श + उपचार।
114. सर्वोच्च = सर्व + उच्च ।
115. सप्तर्षि = सप्त + ऋषि ।
116. सर्वोदय = सर्व + उदय ।
117. समुद्रोर्मि = समुद्र + ऊर्मि ।
118. सर्वोत्तम = सर्व + उत्तम ।
119. सर्वेश्वर = सर्व + ईश्वर ।
120. सुरेन्द्र = सुर + इन्द्र ।
121. सुरेश = सुर + ईश ।
122. सुरोद्ध्यान = सुर + उद्यान ।
123. सूर्योदय = सूर्य + उदय ।
124. हर्षोल्लास = हर्ष + उल्लास ।
125. हितोपदेश = हित + उपदेश
126. ज्ञानेश = ज्ञान + ईश ।
127. ज्ञानेश्वर = ज्ञान + ईश्वर ।
128. ज्ञानेन्द्रिय = ज्ञान + इन्द्रिय ।
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लॉग से गुण संधि किसे कहते हैं (Gun Sandhi Kise kahate hain), गुण संधि के 20 से अधिक उदाहरण ( Gun Sandhi Ke Udaharan ) मिले होंगे । गुण संधि के उदाहरण (Gun Sandhi Ke Udaharan) तथा हिंदी व्याकरण से जुड़े हुए अन्य लेख पढ़ने के लिए हमारे YouTube Channel को सब्सक्राइब करें और kamla Classes के Facebook एवं Instagram के पेज को भी Follow करें, समय पर सभी नए लेख के Notification पाने के लिए । धन्यवाद !
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