Bihar Board Class 10 Sanskrit Chapter 6 Solutions || भारतीयसंस्काराः पीयूषम् भाग 2 || BhartiySanskarah Piyusham Bhag 2
Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 Solutions (वर्ग – 10, संस्कृत का अध्याय 6 का भारतीयसंस्काराः ) भारतीय संस्कृति में जीवनभर आयोजित होने वाले संस्कारों का विशेष वर्णन करता है। आधुनिक समय में इसका अर्थ सीमित हो गया है, लेकिन संस्कार भारतीय पहचान का अभिन्न हिस्सा बने हुए हैं।
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Toggleइस अध्याय में, Kamla Classes के माध्यम से Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 Solutions के तहत इन संस्कारों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जो विदेशों में बसे भारतीयों के लिए भी अत्यंत मूल्यवान है। Bihar Board Exam Objective Questions के दृष्टिकोण से भी संस्कारों का ज्ञान महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्राचीन संस्कृति को प्रतिबिंबित करता है।
संस्कारों के माध्यम से वेद-मंत्रों का पाठ, बड़ों का आशीर्वाद और परिवार का मिलन होता है, जैसा कि Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 Solutions में बताया गया है। इन संस्कारों के माध्यम से व्यक्ति अपने दोषों को सुधारता है, जो Bihar Board Exam Objective Questions के लिए भी प्रमुख हैं।
Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 Solutions का
1st Paragraph
[भारतीयसंस्कृतेः अन्यतमं वैशिष्ट्यं विद्यते यत् जीवने इह समये समये संस्कारा अनुष्ठिता भवन्ति । अद्य संस्कारशब्दः सीमितो व्यङ्ग्यरूपः प्रयुज्यते किन्तु संस्कृतेरूपकरणमिदं भारतस्य व्यक्तित्वं रचयति । विदेशे निवसन्तो भारतीयाः संस्कारान् प्रति उन्मुखा जिज्ञासवश्च । पाठेऽस्मिन् तेषां संस्काराणां संक्षिप्तः परिचयो महत्वञ्च निरूपितम् ।]
संधि-विच्छेद :-
- संस्कृतेरूपकरणमिदं = संस्कृतेः + उपकरणं + इदम् ।
- जिज्ञासवश्च = जिज्ञासवः + च ।
- महत्वञ्च = महत्वम् + च ।
शब्दार्थ :-
- भारतीयसंस्कृतेः – भारतीय संस्कृति में ।
- अन्यतमं – एक ।
- विद्यते – हैं ।
- इह – यहाँ ।
- अनुष्ठिता – आयोजन ।
- प्रयुज्यते – प्रयोग किये जाते हैं ।
- निवसन्तो – निवास कर रहें ।
- तेषां – उन्हीं ।
- निरूपितम् – निरूपित हैं ।
व्याख्या :- [ भारतीय संस्कृति में एक विशेषता है , कि जीवन में यहां समय-समय पर संस्कारों के आयोजन होते हैं । आज संस्कार शब्द सीमित और व्यंग्य के रूप में प्रयोग किए जाते हैं , किंतु संस्कृति रूपी उपकरण में यह भारत के व्यक्तित्व को रचती है । विदेश में निवास कर रहे भारतीय संस्कारों के प्रति उन्मुख और जिज्ञासावान है । इस पाठ में उन्हीं संस्कारों का संक्षिप्त परिचय और महत्व निरूपित हैं ।]
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. किस संस्कृति में समय-समय पर संस्कारों का आयोजन होता है ?
उत्तर:- ” भारतीय संस्कृति में ।”
Q2. विदेश में निवास कर रहे लोग किसके प्रति उन्मुख और जिज्ञासावान है ?
उत्तर:- ” भारतीय संस्कारों के प्रति ।”
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2nd Paragraph
भारतीयजीवने प्राचीनकालतः संस्काराः महत्त्वमधारयन्। प्राचीनसंस्कृतेरभिज्ञानं संस्कारेभ्यो जायते। अत्र ऋषीणां कल्पनासीत् यत् जीवनस्य सर्वेषु मुख्यावसरेषु वेदमन्त्राणां पाठः, वरिष्ठाणाम् आशीर्वादः, होमः, परिवारसदस्यानां सम्मेलनं च भवेत्। तत् सर्वं संस्काराणामनुष्ठाने संभवति। एवं संस्काराः महत्त्वं धारयन्ति। किञ्च संस्कारस्य मौलिकः अर्थः परिमार्जनरूपः गुणाधानरूपश्च न विस्मर्यते। अतः संस्काराः मानवस्य क्रमशः परिमार्जने दोषापनयने गुणाधाने च योगदानं कुर्वन्ति।
संधि-विच्छेद :-
- महत्त्वमधारयन् = महत्त्वम् + अधारयन् ।
- प्राचीनसंस्कृतेरभिज्ञानं = प्राचीनसंस्कृतेः + अभिज्ञानं ।
- कल्पनासीत् = कल्पना + आसीत् ।
- मुख्यावसरेषु = मुख्य + अवरसेषु ।
- आशीर्वादः = आशीः + वादः ।
- संस्काराणामनुष्ठाने = संस्काराणाम् + अनुष्ठाने ।
- किञ्च = किम् + च ।
- गुणाधानरूपश्च = गुण + आधानरूपः + च ।
- दोषापनयने = दोष + अपनयने ।
शब्दार्थ :-
- अधारयन् – धारण किया ।
- अभिज्ञानं – पहचान या ज्ञान ।
- जायते – ज्ञात होता है ।
- मुख्यावसरेषु – मुख्य अवसरों पर ।
- वरिष्ठाणाम् – बड़ों के ।
- होमः – हवन ।
- भवेत् – होना चाहिए ।
- एवं – इसप्रकार ।
- दोषापनयने – दोषों को दूर करने में ।
- गुणाधाने – गुणों के ग्रहण में ।
- क्रमशः – लगातार
हिंदी अनुवाद:- भारतीय जीवन में प्राचीन काल से संस्कारों ने महत्व धारण किया। प्राचीन संस्कृति का पहचान संस्कारों से ज्ञात होता है। यहां ऋषियों का कल्पना था, कि जीवन के सभी मुख्य अवसरों पर वेद – मंत्रों का पाठ , बड़ों का आशीर्वाद, हवन और परिवार सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। ऐसा सभी संस्कारों के अवसर पर संभव होता है। इसप्रकार संस्कारों ने महत्व धारण किया। और कुछ संस्कार के मौलिक अर्थ परिमार्जन रूप और गुणाधान रूप भूलने योग्य नहीं है। इस प्रकार संस्कार मानव के क्रमशः परिमार्जन में दोषों को दूर और गुणों को आधान (ग्रहण) करने में योगदान देता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. भारत में प्राचीन संस्कृति की पहचान किससे होती है ?
उत्तर:- “संस्कार से ।”
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3rd Paragraph
संस्काराः प्रायेण पञ्चविधाः सन्ति – जन्मपूर्वास्त्रयः , शैशवाः षट्, शैक्षणिकाः पञ्च, गृहस्थसंस्कारः विवाहरूपः एकः , मरणोत्तरसंस्कारश्चैकः। एवं षोडश संस्काराः भवन्ति । जन्मपूर्वसंस्कारेषु गर्भाधानं पुंसवनं सीमन्तोन्नयनं चेति त्रयो भवन्ति । अत्र गर्भरक्षा, गर्भस्थस्य संस्कारारोपणम्, गर्भवत्याश्च प्रसन्नता चेति प्रयोजनं कल्पितमस्ति। शैशवसंस्कारेषु जातकर्म, नामकरणम्, निष्क्रमणम्, अन्नप्राशनम्, चूडाकर्म, कर्णवेधश्चेति क्रमशो भवन्ति।
संधि-विच्छेद (Sandhi Vichchhed) :-
- जन्मपूर्वास्त्रयः = जन्मपूर्वाः + त्रयः ।
- मरणोत्तरसंस्कारश्चैकः = मरण + उत्तर + संस्कारः + च + एकः ।
- चेति = च + इति ।
- सीमन्तोन्नयनं = सीमन्त + उत् + नयनम् ।
- कल्पितमस्ति = कल्पितम् + अस्ति ।
- गर्भवत्याश्च = गर्भवत्याः + च ।
- निष्क्रमणम् = निः + क्रमणम् ।
- कर्णवेधश्चेति = कर्णवेधः + च + इति ।
शब्दार्थ :-
- पञ्चविधाः – पाँच प्रकार के ।
- जन्मपूर्वास्त्रयः – जन्म से पूर्व तीन ।
- शैशवाः षट् – शिशु अवस्था के छः ।
- मरणोत्तर – मरने के बाद ।
- षोडश – सोलह ।
- गर्भाधानं – गर्भ धारण को ।
- निष्क्रमणम् – बाहर निकलना ।
- अन्नप्राशनम् – अन्न का भोजन ।
हिंदी अनुवाद:- संस्कार प्रायः पांच प्रकार के हैं – जन्म से पूर्व तीन, शिशु अवस्था के छः , शिक्षा के पांच, गृहस्थ संस्कार विवाह के रूप में एक और मरने के बाद एक संस्कार होते हैं। इस प्रकार सोलह संस्कार होते हैं । जन्म से पूर्व के संस्कारों में गर्भाधान, पुंसवन और सीमंतोनयन ये तीन होते हैं। यहां गर्भरक्षा गर्भ में स्थित के संस्कार और गर्भवती के प्रसन्नता के लिए प्रयोजन कल्पित हैं । शिशु अवस्था के संस्कारों में जातकर्म, नामकरण, बाहर निकलना, अन्न का भोजन कराना, चूडाकर्म और कर्णवेध ये क्रमशः होते हैं।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. संस्कार कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर:- ” छः प्रकार के ।”
Q2. जन्म से पूर्व कितने संस्कार होते हैं ?
उत्तर:- ” तीन ।”
Q3. शिशु अवस्था में कितने संस्कार होते हैं ?
उत्तर:- ” छः ।”
Q4. शिक्षा के कितने संस्कार होते हैं ?
उत्तर:- ” पांच ।”
Q5. गृहस्थ संस्कार कितने होते हैं ?
उत्तर:- ” एक ।”
Q6. विवाह किस प्रकार का संस्कार है ?
उत्तर:- ” गृहस्थ संस्कार ।”
Q7. मरने के बाद कितने संस्कार होते हैं ?
उत्तर:- ” एक ।”
Q8. संस्कार कितने होते हैं ?
उत्तर:- ” सोलह ।”
Q9. जन्म से पूर्व कौन-कौन संस्कार होते हैं ?
उत्तर:- ” गर्भाधान , पुंसवन और सीमंतोनयन ।”
Q10. शिशु अवस्था के संस्कार कौन-कौन होते हैं ?
उत्तर:- ” जातकर्म, नामकरण, बाहर निकलना, अन्न का भोजन कराना, चूडाकर्म और कर्णवेध ।”
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4th Paragraph
शिक्षासंस्कारेषु अक्षरारम्भः , उपनयनम्, वेदारम्भः , केशान्तः समावर्त्तनञ्चेति संस्काराः प्रकल्पिताः। अक्षरारम्भे अक्षरलेखनम् अङ्कलेखनं च शिशुः प्रारभते। उपनयनसंस्कारस्य अर्थः गुरूणा शिष्यस्य स्व गृहे नयनं भवति। तत्र शिष्यः शिक्षानियमान् पालयन् अध्ययनं करोति। ते नियमाः ब्रह्मचर्यव्रते समाविष्टाः। प्राचीनकाले शिष्यः ब्रह्मचारी इति कथ्यते स्म। गुरूगृहे एव शिष्यः वेदारम्भः करोति स्म।
वेदानां महत्त्वं प्राचीनशिक्षायाम् उत्कृष्टं मन्यते स्म। केशान्तसंस्कारे गुरूगृहे एव शिष्यस्य प्रथमं क्षौरकर्म भवति स्म। अत्र गोदानं मुख्यं कर्म। अतः साहित्यग्रन्थेषु अस्य नामान्तरं गोदानसंस्कारोऽपि लभ्यते। समावर्त्तनसंस्कारस्योद्देश्यं शिष्यस्य गुरूगृहात् गृहस्थजीवने प्रवेशः। शिक्षावसाने गुरूः शिष्यान् उपदिश्य गृहं प्रेषयति। उपदेशेषु प्रायेण जीवनस्य धर्माः प्रतिपाद्यन्ते। यथा – सत्यं वद, धर्मं चर, स्वाध्यायान्मा प्रमदः इत्यादि।
संधि-विच्छेद (Sandhi Vichchhed) :-
- अक्षरारम्भः = अक्षर + आरम्भः ।
- वेदारम्भः = वेद + आरम्भः ।
- समावर्त्तनञ्चेति = समावर्त्तनम् + च + इति ।
- उत्कृष्टं = उत् + कृष्टम् ।
- नामान्तरं = नाम + अन्तरं ।
- गोदानसंस्कारोऽपि = गोदानसंस्कारः + अपि ।
- समावर्त्तनसंस्कारस्योद्देश्यं = समावर्त्तन + संस्कारस्य + उद्देश्यं ।
- इत्यादि = इति + आदि ।
शब्दार्थ (Sabdarth) :-
- शिक्षासंस्कारेषु – शिक्षा संस्कारों में ।
- उपनयनम् – गुरू के पास ले जाने वाला संस्कार ।
- प्रारभते – प्रारंभ करते हैं ।
- गुरूणा – गुरू द्वारा ।
- नयनं – ले जाना ।
- शिक्षानियमान् – शिक्षा के नियम का ।
- पालयन् – पालन कर ।
- समाविष्टाः – शामिल है ।
- कथ्यते स्म – कहलाते थे ।
- उत्कृष्टं – सर्वश्रेष्ठ ।
- मन्यते स्म – माने जाते थे ।
- क्षौरकर्म – केशों को
- काटनेवाला कर्म ।
- नामान्तरं – बदला हुआ नाम ।
- लभ्यते – मिलते हैं ।
- शिक्षावसाने – शिक्षा समाप्त होने पर ।
- उपदिश्य – उपदेश देकर ।
- प्रेषयति – भेजता है ।
- स्वाध्यायान्मा – अपने अध्ययन में ।
- प्रमदः – घमंड ।
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हिंदी अनुवाद:- शिक्षा संस्कारों में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत और समावर्तन संस्कार प्रकल्पित हैं। अक्षर आरंभ में अक्षर लेखन और अंक लेखन शिशु प्रारंभ करते हैं। उपनयन संस्कार का अर्थ गुरु द्वारा शिष्य के अपने घर में नयन (लाना) होता है। वहां शिष्य शिक्षा के नियम का पालन कर अध्ययन करते हैं। वे नियम ब्रह्मचर्य व्रत में शामिल हैं। प्राचीन काल में शिष्य ब्रह्मचारी ऐसा कहलाते थे। गुरु के घर में ही शिष्य वेद आरंभ करते थे।
वेदों का महत्व प्राचीन शिक्षा में सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे। केशान्त संस्कार के रूप में गुरु के घर में ही शिष्य का प्रथम क्षौरकर्म होता था। यहां गोदान मुख्य कर्म हैं। इसलिए साहित्य ग्रन्थों में इसका बदला हुआ नाम गोदान संस्कार भी मिलते हैं। समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु के आश्रम (घर) से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। शिक्षा समाप्त होने पर गुरू शिष्य को उपदेश देकर घर भेजते हैं। उपदेशों में प्रायः जीवन के धर्म प्रतिपादन किया जाते थे। जैसे – सत्य बोलो! धर्म का आचरण करो अपने अध्ययन में अहंकार मत करो इत्यादि।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. शिक्षा संस्कार के अंतर्गत कौन-कौन सा संस्कार आते हैं ?
उत्तर:- ” अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत और समावर्तन संस्कार।”
Q2. अक्षर आरंभ और अंक लेखन किस संस्कार के अंतर्गत आते हैं ?
उत्तर:- ” शिक्षा संस्कार ।”
Q3. उपनयन संस्कार किस संस्कार के अंतर्गत आते हैं ?
उत्तर:- ” शिक्षा संस्कार ।”
Q4. किस संस्कार का बदला हुआ नाम गोदान संस्कार भी है ?
उत्तर:- ” केशान्त संस्कार ।”
Q5. किस संस्कार के बाद शिशु गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता है ?
उत्तर:- ” समावर्त्तन संस्कार ।”
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5th Paragraph
विवाहसंस्कारपूर्वकमेव मनुष्यः वस्तुतो गृहस्थजीवनं प्रविशति । विवाहः पवित्रसंस्कारः मतः यत्र नानाविधानि कर्मकाण्डानि भवन्ति । तेषु वाग्दानम्, मण्डपनिर्माणम् , वधूगृहे वरपक्षस्य स्वागतम् , वरवध्वोः परस्परं निरीक्षणम्, कन्यादानम्, अग्निस्थापनम्, पाणिग्रहणम्, लाजाहोमः, सप्तपदी, सिन्दूदानम् इत्यादि। सर्वत्र समानरूपेण विवाहसंस्कारस्य प्रायेण आयोजनं भवति। तदनन्तरं गर्भाधानादयः संस्काराः पुनरावर्तन्ते जीवनचक्रं च भ्रमति। मरणादनन्तरम् अन्त्येष्टिसंस्कारः अनुष्ठीयते। एवं भारतीयजीवनदर्शनस्य महत्त्वपूर्णमुपादानं संस्कारः इति।
विवाहसंस्कारपूर्वकमेव मनुष्यः ………………………………………………….. संस्कारः इति ।
संधि-विच्छेद :-
- विवाहसंस्कारपूर्वकमेव = विवाहसंस्कार + पूर्वकम् + एव ।
- स्वागतम् = सु + आगतम् ।
- तदनन्तरं = तत् + अन्तरं ।
- गर्भाधानादयः = गर्भाधान + आदयः ।
- पुनरावर्तन्ते = पुनः + आवर्तन्ते ।
- मरणादनन्तरम् = मरणात् + अनन्तरम् ।
- महत्त्वपूर्णमुपादानं = महत्त्वपूर्णं + उपादानम् ।
शब्दार्थ :-
- वस्तुतो – वास्तव में ।
- मतः – हैं ।
- तेषु – उनमें ।
- वरवध्वोः – वर और वधू के ।
- लाजाहोमः – धान के लावे से किया जाने वाला हवन ।
- सप्तपदी – विवाह संस्कार में पति के साथ पत्नी का सात बार अल्पना – विशेष में पैर देना ।
- मरणादनन्तरम् – मरने के बाद ।
- उपादानम् – स्त्रोत स्वरूप / खजाना ।
हिंदी अनुवाद:- विवाह संस्कार पूर्वक ही मनुष्य वास्तव में गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह एक पवित्र संस्कार हैं, जहां अनेक प्रकार के कर्मकांड होते हैं, उसमें वाग्दान, मण्डपनिर्माण, वधु के घर में वर पक्ष का स्वागत, वर और वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, हवन, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सप्तपदी, सिन्दूरदान आदि। सभी जगह समान रूप से विवाह संस्कारों का प्रायः आयोजन होता है। इसके बाद गर्भाधान आदि संस्कार फिर शुरू होता है और जीवन चक्र घूमता है। मरने के बाद अंत्येष्टि संस्कार होते हैं। इस प्रकार संस्कार भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत स्वरूप (खजाना) है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. विवाह संस्कार के बाद शिशु किस जीवन में प्रवेश करता है ?
उत्तर:- “गृहस्थ जीवन ।”
Q2. सप्तपदी क्रिया किस संस्कार में आते हैं ?
उत्तर:- “विवाह संस्कार ।”
Q3. भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण उपादान क्या है ?
उत्तर:- ” संस्कार ।”
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बिहार बोर्ड एग्जाम (Bihar Board Exam) में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण हिंदी प्रश्नोत्तर -
Q1. शैक्षणिक संस्कार कौन-कौन है ?
उत्तर:- “शिक्षा काल के संस्कारों में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, केशांत और समापवर्त्तन संस्कार होते हैं ।”
Q2. विवाह संस्कार में कौन-कौन से मुख्य कर्म (कर्मकांड) किए जाते हैं ?
उत्तर:- “विवाह संस्कार में मुख्य रूप से वाग्दान, मण्डपनिर्माण, वधू के घर में वर पक्ष का स्वागत, वर और वधू का परस्पर निरीक्षण , कन्यादान, हवन, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सप्तपदी, सिन्दूरदान आदि कर्म (कर्मकांड) किये जाते हैं।”
Q3. संस्कारों को कितने भागों में विभाजित किया गया है ?उनके नाम लिखें ।
उत्तर:- “संस्कार पांच प्रकार के होते हैं, जो अग्रलिखित हैं :- जन्म से पूर्व तीन, शैशव अवस्था के छः, शैक्षणिक काल के पांच, गृहस्थ संस्कार विवाह के रूप में एक एवं अंत्येष्टि संस्कार एक होते हैं ।”
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Q4. भारतीय संस्कार का वर्णन किस रूप में हुआ है ?
उत्तर:- “भारतीय संस्कार में भारतीय संस्कृति की वर्णन अनूठी प्रसंग के रूप में हुआ है । जहां व्यक्ति के जन्म के पूर्व से लेकर मृत्यु तक के संस्कार का अनुपम संगम हुआ है, जो केवल भारतीय संस्कृति में है । बल्कि अन्य देशों की संस्कृति में नहीं है । इस संस्कृति की विशेषता है, कि जीवन में यहां समय-समय पर संस्कारों का आयोजन होता है । इस संस्कृति में संस्कार व्यक्ति के व्यक्तित्व को रचती है ।
अतः संस्कार मानव में क्रमशः परिमार्जन दोषों को दूर करने और गुना को समावेश करने में योगदान करते हैं ।”
Q5. भारतीय जीवन में संस्कार का क्या महत्व है ?
उत्तर:- “भारत प्राचीन काल से ही ऋषि- मुनियों का देश रहा है । और ऋषियों का कल्पना था, कि जीवन के सभी मुख्य अवसरों पर वेद मंत्रों का पाठ, बड़ों का आशीर्वाद, हवन तथा परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए ताकि परिवार के सभी सदस्यों का आपसी प्रेम बना रहे और हवन से प्रकृति में फैली गंदगियों की शुद्धिकरण हो सकें।
अतः भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोत स्वरूप संस्कार हैं।”
Q6. संस्कार कितने प्रकार के हैं उसके क्या-क्या स्वरूप हैं?
उत्तर:- “भारतीय संस्कार मूलतः पांच प्रकार के होते हैं । जन्म के पूर्व तीन, शैशव अवस्था के छः, शैक्षणिक पाँच, गृहस्थ संस्कार विवाह के रूप में एक, मरने के बाद एक संस्कार होते हैं । जन्म से पूर्व संस्कारों में गर्भाधान, पुंसवन और सीमंतोनयन है । शैशव अवस्था में जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, चूडाकर्म एवं शिक्षा संस्कार में अक्षराम्भ, उपनयन, केशांत, क्षौरकर्म एवं समापवर्त्तन हैं । गृहस्थ संस्कार विवाह के रूप में एक एवं मृत्यू के बाद एक संस्कार हैं।”
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अभ्यासः (मौखिक:)
1. एकपदेन वदत -
(क) संस्काराः कति सन्ति ?
उत्तरं :- षोडशः ।
(ख) जन्मतः पूर्वं कति संस्काराः भवन्ति ?
उत्तरं :- त्रयः ।
(ग) शैशवे कति संस्काराः भवन्ति ?
उत्तरं :- षट् ।
(घ) अक्षरारम्भः कीदृशः संस्कारः ?
उत्तरं :- शिक्षासंस्कारः ।
(ङ) गृहस्थजीवनस्य एकः संस्कारः कः ?
उत्तरं :- विवाहः ।
अभ्यासः (लिखितः)
1. एकपदेन उत्तराणि लिखत -
(क) भारतीयसंस्कृतेः परिचयः केभ्यः जायते ?
उत्तरं :- संस्कारेभ्यः ।
(ख) शैक्षणिकाः संस्काराः कति सन्ति ?
उत्तरं :- पञ्चः ।
(ग) “सप्तपदी” क्रिया कस्मिन् संस्कारे विधीयते ?
उत्तरं :- विवाहसंस्कारेः ।
(घ) भारतीयदर्शनस्य महत्त्वपूर्णम् उपादानं किम् ?
उत्तरं :- संस्काराः ।
(ङ) सीमन्तोन्नयनं केषु संस्कारेषु गण्यते ?
उत्तरं :- जन्मपूर्वसंस्कारेषु ।
(च) अन्नप्राशनम् केषु संस्कारेषु गण्यते ?
उत्तरं :- शैशावसंस्कारेषु ।
(छ) गुरूगृहे शिष्यः कान् पालयन् अध्ययनं करोति ?
उत्तरं :- शिक्षानियमान् ।
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2. पूर्णवाक्येन उत्तराणि लिखत -
(क) संस्काराः मानवस्य कुत्र-कुत्र योगदानं कुर्वन्ति?
उत्तरं :- “संस्काराः मानवस्य क्रमशः परिमार्जने, दोषापनयने, गूणाधाने च योगदानं कुर्वन्ति।”
(ख) शैक्षणिकसंस्कारेषु के के संस्काराः प्रकल्पिताः?
उत्तरं :- “शैक्षणिकसंस्कारेषु अक्षरारम्भः, उपनयनम्, वेदारम्भ, केशान्तः समावर्त्तनम् च संस्काराः प्रकल्पिताः।”
(ग) शैशवसंस्कारेषु के के संस्काराः सम्पद्यन्ते ?
उत्तरं :- “शैशवसंस्कारेषु जातकर्म, नामकरणम्, निष्क्रमणम्, अन्नप्राशनम्, चूडाकर्म कर्णवेध च संस्काराः सम्पद्यन्ते।”
(घ) विवाहसंस्कारे कानि मुख्यानि कार्याणि भवन्ति ?
उत्तरं :- “विवाहसंस्कारे वाग्दानम्, मण्डपनिर्माणम्, वधूगृहे वरपक्षस्य स्वागतम्, वरवध्वोः परस्परं निरीक्षणम्, कन्यादानम्, अग्निस्थापनम्, पाणिग्रहणम्, लाजाहोमः, सप्तपदी, सिन्दूदानम् इत्यादि मुख्यानि कार्याणि भवन्ति।”
(ङ) अन्त्येष्टिसंस्कारः कदा सम्पद्यन्ते ?
उत्तरं :- “अन्त्येष्टिसंस्कारः मरणादनन्तरम् सम्पद्यन्ते।”
(च) पुंसवनसंस्कारः कदा क्रियते ?
उत्तरं :- “पुंसवनसंस्कारः जन्मपूर्वः क्रियते।”
(छ) पुरा शिष्यः वेदारम्भं कुत्र करोति स्म?
उत्तरं :- “पुरा शिष्यः वेदारम्भं गुरूगृहे करोति स्म।”
4. अधोलिखित-स्तम्भद्वये प्रदत्तपदानां समुचितविलोमपदैः सह मेलनं कृत्वा लिखत -
स्तम्भः(क) स्तम्भः(ख)
(अ) प्रयोजनम् (ख) निष्प्रयोजनम् ।
(आ) प्रसन्नता (क) अप्रसन्नता ।
(इ) संस्काराः (ङ) कुसंस्काराः ।
(ई) अपनयनम् (ग) आनयनम् ।
(उ) स्मर्यते (घ) विस्मर्यते ।
(ऊ) वरिष्ठानाम् (छ) कनिष्ठानाम् ।
(ऋ) गुणाधानम् (च) गुणापनयनम्
Conclusion :-
मुझे आशा है, कि उक्त लिखित पोस्ट Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 Solutions, का संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पीयूषम् भाग 2 (Sanskrit sahitye Lekhikah) के सभी श्लोकों का पूर्ण विश्लेषण को क्रमबद्ध तरीका से पढ़ें और समझें होंगे और आपके Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 6 Solutions (वर्ग – 10, संस्कृत का अध्याय 6 का भारतीयसंस्काराः )का पूर्ण विश्लेषण उपयोगी रहें होंगे ।
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