Class 10th Sanskrit Chapter 7 नीतिश्लोकाः का सम्पूर्ण हल हिंदी में |

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7: नीतिश्लोकाः (Nitisloka) संस्कृत पीयूषम भाग 2

प्रिय पाठकों, इस लेख में Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 (वर्ग 10, संस्कृत का अध्याय 7) के नीतिश्लोकों (Nitislokah) का संधि-विच्छेद, शब्दार्थ, श्लोकार्थ, और सभी वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का विस्तृत विश्लेषण प्रदान किया गया है। इसके साथ ही, बिहार बोर्ड परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्नों का भी गहराई से अध्ययन किया गया है।

                       इस पोस्ट में आपके  किताब के सभी वस्तुनिष्ठ और लघुउत्तरीय प्रश्नों के उत्तर भी दिए गए हैं। यह लेख  Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 की तैयारी के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध होगा और आपकी परीक्षा की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7: नीतिश्लोकाः (Nitisloka)

[अयं पाठः सुप्रसिद्धस्य ग्रन्थस्य महाभारतस्य उद्योगपर्वणः अंशविशेष (अध्यायाः 33-40) रूपायाः विदूरनीतेः संकलितः ।युद्धम् आसन्नं प्राप्य धृतराष्ट्रो मन्त्रिप्रवरं विदुरं स्वचित्तस्य शान्तये कांश्चित् प्रश्नान् नीतिविषयकान् पृच्छति । तेषां समुचितमुत्तरं विदुरो ददाति। तदेव प्रश्नोत्तररूपं ग्रन्थरत्नं विदुरनीतिः । इयमपि भगवद्गीतेव महाभारतस्याङ्गमपि स्वतन्त्रग्रन्थरूपा वर्तते]

* संधि-विच्छेद (Sandhi Vichhed ):-

  • समुचितमुत्तरं = समुचित + उत्तरं
  • प्रश्नोत्तररूपं = प्रश्न + उत्तररूपं ।
  • तदेव = तत् + एव ।
  • इयमपि = इयम् + अपि ।
  • भगवद्गीतेव = भगवतगीता + एव ।
  • महाभारतस्याङ्गमपि = महाभारतस्य + अङ्गम् + अपि ।

* शब्दार्थ –

  • अयं – यह (पुलिंग) ।
  • आसन्नं – निकट ।
  • प्राप्य – पाकर ।
  • मन्त्रिप्रवरं – श्रेष्ठ मंत्री ।
  • कांश्चित् – कुछ ।
  • तेषां – उन्हीं ।
  • तदेव – वहीं ।
  • इयमपि – यह भी ।

* व्याख्या :- (यह पाठ सुप्रसिद्ध ग्रंथ महाभारत के उद्योग पर्व के अंश विशेष (अध्याय – 33 – 40) के रूप में विदुर नीति में संकलित है । युद्ध को निकट पाकर महाराज धृतराष्ट्र अपने श्रेष्ठ मंत्री महात्मा विदुर से अपने मन के शांति के लिए कुछ प्रश्न पूछते नीतिविषय से पूछते हैं । और उनका उचित उत्तर महात्मा विदुर देते हैं । वही प्रश्नोत्तर रूप ग्रंथों में रत्न विदुरनीति है । यह भी भगवत गीता की तरह महाभारत के अंग स्वतंत्र ग्रंथ के रूप में हैं ।)

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न –
Q1. नीतिश्लोक पाठ के रचनाकार कौन है ( Nitislok path ke Rachanakar)?
उत्तर:- महात्मा विदुर ।
Q2. नीतिश्लोक पाठ किससे लिया गया है या संकलित है ?
उत्तर:- विदुर नीति से ।
Q3. युद्ध को निकट पाकर महाराज धृतराष्ट्र किससे नीति विषय के बारे में प्रश्न करते हैं ?
उत्तर:- महात्मा विदुर से ।
Q4. विदुर नीति किस ग्रंथ का अंश विशेष है ?
उत्तर:- महाभारत का ।
Q5. महाभारत के रचनाकार कौन है ?
उत्तर:- महर्षि वेदव्यास ।
Q6. “नीतिश्लोकाः” पाठ में कितने मंत्र या श्लोक संकलित हैं ?
उत्तर:- दस ।
Q7. “नीतिश्लोकाः” पाठ महाभारत के किस पर्व से लिया गया है ?
उत्तर:- उद्योग पर्व से ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 1 ⇓

श्लोक संख्या - 01.

यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति शीतमुष्णं भयं रतिः।
समृद्धिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah
Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 01

* अन्वयाः– यस्य कृत्यं शीतम्, उष्णं, भयं, रतिः, समृद्धि, असमृद्धिः वा (च) न विघ्नन्ति सः वै पण्डित उच्यते ।।

* संधि-विच्छेद :-

  • शीतमुष्णं = शीतम् + उष्णं ।
  • समृद्धिरसमृद्धिर्वा = समृद्धिः + असमृद्धिः + वा ।

* शब्दार्थ :-

  • यस्य – जिसके ।
  • कृत्यं – कर्म को ।
  • शीतम् – सर्दी ।
  • उष्णं – गर्मी ।
  • रतिः – आनंद ।
  • समृद्धिः – उन्नति ।
  • असमृद्धिः – अवनति ।
  • विघ्नन्ति – बाधा डालते हैं ।
  • उच्यते – कहलाते हैं ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- जिनके कर्म को सर्दी – गर्मी, भय, आनंद, उन्नति अथवा अवनति बाधा नहीं डालते हैं, वहीं पुरुष पंडित कहलाते हैं या कहे जाते हैं ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. जिनके कर्म को सर्दी – गर्मी, भय, आनंद ,उन्नति अथवा अवनति बाधा नहीं डालते हैं , वे क्या कहलाते हैं ?
उत्तर:- पण्डित ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 2 ⇓

श्लोक संख्या - 02.

तत्त्वज्ञः सर्वभूतानां योगज्ञः सर्वकर्मणाम् ।
उपायज्ञो मनुष्याणां नरः पण्डित उच्यते ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitisloka || Nitisloka 02

* अन्वयाः- तत्त्वज्ञः सर्वकर्मणाम् योगज्ञः मनुष्याणां (च) उपायज्ञः नरः पण्डित उच्यते ।।

* शब्दार्थ (Sabdarth):-

  • तत्त्वज्ञः – तत्त्व (आत्मा) ।
  • सर्वकर्मणाम् – सभी कर्मों के ।
  • योगज्ञः – योग को जानने वाला ।
  • मनुष्याणां – मनुष्यों के ।
  • उपायज्ञः – उपाय को जाननेवाला ।
  • नरः – पुरुष ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- सभी प्राणियों के तत्व को जाननेवाला , सभी कर्मों के योग को जाननेवाला और मनुष्यों के उपाय को जाननेवाला पुरूष पण्डित कहे जाते हैं ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

Q1. किसके तत्व को जानने वाला व्यक्ति पंडित कहलाते हैं ?
उत्तर:- सर्वभूतानां ।

Q2. सभी कर्मों के योग को जानने वाला क्या कहलाता है ?
उत्तर:- पंडित ।

Q3. मनुष्यों के उपाय को जानने वाला व्यक्ति क्या कहलाता है ?
उत्तर:- पंडित ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 3 ⇓

श्लोक संख्या - 03.

अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहुभाषते ।
अविश्वते विश्वसिति मूढचेता नराधमः ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitisloka || Nitisloka 03

* अन्वयाः- मूढचेता नराधमः अनाहूतः प्रविशति , अपृष्टः (अपि) बहु भाषते , अविश्वते (च) विश्वसिति ।

* संधि-विच्छेद :-

  • मूढचेता = मूढः + च + एता ।
  • नराधम = नर + अधमः ।

* शब्दार्थ (Sabdarth) :-

  • अनाहूतः – बिना बुलाए ।
  • प्रविशति – प्रवेश करता है ।
  • अपृष्टः – बिना पूछे ।
  • बहुभाषते – बहुत बोलता है ।
  • अविश्वते – अविश्वासियों पर ।
  • विश्वसिति – विश्वास करता है ।
  • मूढ – मूर्ख ।
  • एता – ऐसा ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- ऐसे पुरुष जो बिना बुलाए प्रवेश करता है , बिना पूछे बहुत बोलता है तथा अविश्वासियों पर विश्वास करता है । वे पुरुष मूर्ख और अधम होता है ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. बिना बुलाए कौन प्रवेश करता है ?
उत्तर:- मूर्ख और अधम ।

Q2. मूर्ख और अधम व्यक्ति किस पर विश्वास करते हैं ?
उत्तर:- अविश्वासियों पर ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 4 ⇓

श्लोक संख्या - 04.

एको धर्मः परं श्रेयः क्षमैका शान्तिरूत्तमा ।
विद्यैका परमा तृप्तिः अहिंसैका सुखावहा ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 04

* अन्वयाः- एकः (एव) धर्मः परं श्रेयः , एका (एव) क्षमा उत्तमा शान्ति , एका विद्या परमा तृप्ति: , एका अहिंसा (च) (परमा) सुखावहा (भवति) ।।

* संधि-विच्छेद :-

  • क्षमैका = क्षमा + एका ।
  • शान्तिरूत्तमा = शान्तिः + उत्तमा ।
  • विद्यैका = क्षमा + एका ।
  • अहिंसैका = अहिंसा + एका ।

* शब्दार्थ (Sabdarth) :-

  • एको – एक (ही) ।
  • परं – सबसे बड़ा ।
  • श्रेयः – कल्याणकारी ।
  • शान्तिरूत्तमा – उत्तमशान्ति ।
  • तृप्तिः – संतुष्टि ।
  • सुखावहा – सुखकारी ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- एक ही धर्म परम कल्याणकारी , एक ही क्षमा उत्तम शांति , एक ही विद्या सबसे बड़ी संतुष्टि और एक ही अहिंसा सर्व सूखकारी है ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. उत्तम शांति क्या है ?
उत्तर:- क्षमा ।

Q2. सबसे बड़ी संतुष्टि क्या है ?
उत्तर:- एक ही विद्या ।
Q3. सर्व सूखकारी क्या है ?
उत्तर:- अहिंसा ।
Q4. एक ही धर्म परम ————– है ?
उत्तर:- कल्याणकारी ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 5 ⇓

श्लोक संख्या - 05.

त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः ।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत् त्रयं त्यजेत् ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 05

* अन्वयाः- नरकस्य इदम् त्रिविधं द्वारं कामः , क्रोधः तथा लोभः (चेति) । तस्मात् आत्मनः नाशनम् एतत् त्रयं त्यजेत् ।।

* संधि-विच्छेद :-

  • नरकस्येदं = नरकस्य + इदम् ।
  • नाशनमात्मनः = नाशनम् + आत्मनः ।
  • क्रोधस्तथा = क्रोधः + तथा ।
  • लोभस्तस्मादेतत् = लोभः + तस्मात् + एतत् ।

* शब्दार्थ (Sabdarth) :-

  • त्रिविधं – तीन प्रकार के ।
  • तस्मात् – इसीलिए ।
  • एतत् – इन (को) ।
  • त्रयं – तीनों को ।
  • त्यजेत् – त्याग देनी चाहिए ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- नरक के यह तीन प्रकार के द्वारा काम , क्रोध तथा लाभ है । जो आत्मा (स्वयं) को नष्ट कर देते हैं , इसलिए इन तीनों को त्याग देनी चाहिए ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. नरक के कितने द्वारा होते हैं ?
उत्तर:- तीन ।
Q2. “काम” किसके द्वार होते हैं ?
उत्तर:- नरक के ।
Q3. “क्रोध” किसके द्वार होता है ?
उत्तर:- नरक के ।
Q4. “लोभ” किसके द्वारा होते हैं ?
उत्तर:- नरक के ।
Q5. नरक के ये तीन प्रकार के द्वार किसे नष्ट कर देते हैं ?
उत्तर:- स्वयं (आत्मा) को ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 6 ⇓

श्लोक संख्या - 06.

षड् दोषाः पुरूषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 05

* अन्वयाः- भूतिम् इच्छता पुरूषेण इह निद्रा , तन्द्रा , भयं , क्रोधः , आलस्यं , दीर्घसूत्रता (च) षड् दोषाः हातव्याः ।।

* संधि-विच्छेद :-

  • भूतिमिच्छता = भूतिम् + इच्छता ।
  • पुरूषेणेह = पुरूषेण + इह ।


* शब्दार्थ (Sabdarth) :-

  • षड् – छः ।
  • इह – यहाँ ।
  • हातव्या – त्याग देनी चाहिए ।
  • भूतिम् – एश्वर्य को ।
  • इच्छता – चाहनेवाले ।
  • दीर्घसुत्रता – किसी कार्य में देर तक लगे रहना ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- ऐश्वर्य चाहने वाले पुरुष द्वारा ये छः दोष निंद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घ सूत्रता को त्याग देनी चाहिए ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. ऐश्वर्य चाहने वाले पुरुष को कितने प्रकार के दोष को त्याग देनी चाहिए ?
उत्तर:- छः ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 7 ⇓

श्लोक संख्या - 07.

सत्येन रक्ष्यते धर्मों विद्या योगेन रक्ष्यते ।
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 07

* अन्वयाः- धर्मः सत्येन रक्ष्यते , विद्या योगेन रक्ष्यते , रूपं मृजया रक्ष्यते , कुलं (च) वृत्तेन रक्ष्यते ।।

* शब्दार्थ:-

  • सत्येन – सत्य से ।
  • रक्ष्यते – रक्षा होता है ।
  • योगेन – अभ्यास से ।
  • मृजया – श्रृंगार प्रशाधन ।
  • वृत्तेन – आचरण से ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- सत्य से धर्म की , अभ्यास से विद्या की , श्रृंगार प्रशाधन से रूप की और अच्छे आचरण से कुल की रक्षा होती है।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. सत्य से किसकी रक्षा होती है ?
उत्तर:- धर्म के ।

Q2. अभ्यास से किसकी रक्षा होती है ?
उत्तर:- विद्या की ।
Q3. श्रृंगार प्रशाधन से किसकी रक्षा होती है ?
उत्तर:- रूप की ।
Q4. अच्छे आचार – विचार से किसकी रक्षा होती है ?
उत्तर:- खानदान की ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 8 ⇓

श्लोक संख्या - 08.

सुलभाः पुरूषा राजन् सततं प्रियवादिनः।
अप्रियस्य तु पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 08

* अन्वयाः :- हे राजन् ! सततं प्रियवादिनः पुरूषाः सुलभाः (सन्ति) तु अप्रियस्य पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः (अस्ति) ।।

* शब्दार्थ (Sabdarth) :-

  • सततं – हमेशा ।
  • प्रियवादिनः – प्रिय बोलनेवाला ।
  • सुलभाः – आसानी से ।
  • तु – तो ।
  • पथ्यस्य – रास्ता (पथ) का ।
  • वक्ता – बोलनेवाला ।
  • श्रोता – सुननेवाला ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- हे राजन ! हमेशा प्रिय बोलनेवाले पुरुष आसानी से मिल जाते हैं । अप्रिय लेकिन पथ का सत्य बोलनेवाला और सुननेवाला दोनों दुर्लभ है ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. किस प्रकार के व्यक्ति हमेशा मिल जाते हैं ?
उत्तर:- प्रिय बोलने वाले ।
Q2. सत्य और अप्रिय बोलने वाले व्यक्ति मिलना —— है ?
उत्तर:- दुर्लभ ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 9 ⇓

श्लोक संख्या - 09.

पूजनीया महाभागाः पुण्याश्च गृहदीप्तयः ।
स्त्रियः श्रियो गृहस्योक्तास्तस्माद्रक्ष्या विशेषतः।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 09

* अन्वयाः – गृहस्य श्रियः , गृहदीप्तयः पुण्याः महाभागाश्च स्त्रियः पूजनीयाः उक्ताः (सन्ति) । तस्मात् (एताः) विशेषतः रक्ष्याः (भवन्ति) ।।

* संधि-विच्छेद –

  • पुण्याश्च = पुण्याः + च ।
  • गृहस्योक्तास्तस्माद्रक्ष्या = गृहस्य + उक्ताः + तस्मात् + रक्ष्या ।

* शब्दार्थ :-

  • गृहदीप्तयः – घर को आलोकित करनेवाली ।
  • उक्ताः – कही गयी है ।
  • तस्मात् – इसीलिए ।
  • रक्ष्या – रक्षा ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) :- स्त्रियां घर को आलोकित करनेवाली , पुण्यमयी और महाभाग्यशाली और पूजनीय ये कही गई हैं । इसलिए इनकी रक्षा विशेष रूप से होनी चाहिए ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. किसकी रक्षा विशेष रूप से होनी चाहिए ?
उत्तर:- स्त्रियों की ।
Q2. स्त्रियों को क्या-क्या कही गयी है ?
उत्तर:- पुण्यमयी , महाभाग्यशाली, ममतामयी ।


Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 Ka Slok no 10 ⇓

श्लोक संख्या- 10.

अकीर्ति विनयो हन्ति हन्त्यनर्थं पराक्रमः ।
हन्ति नित्यं क्षमा क्रोधमाचारो हन्त्यलक्षणम् ।।

Class 10th Sanskrit Chapter 7 || Nitislokah || Nitisloka 10

* अन्वयाः – विनयः अकीर्ति हन्ति पराक्रमः अनर्थं हन्ति क्षमा नित्यं क्रोधं हन्ति , आचारः (च) अलक्षणं हन्ति ।

* संधि-विच्छेद Sandhi Vichhed:-

  • हन्त्यनर्थं – हन्ति + अनर्थं ।
  • क्रोधमाचारः = क्रोधम् + आचारः ।

* शब्दार्थ :-

  • अकीर्ति – अपयश ।
  • पराक्रमः – वीरता ।
  • हन्ति – नष्ट करते हैं ।
  • अलक्षणम् – कुलक्षण ।

* श्लोकार्थ (Slokarth) – विनयशीलता अपयश को , वीरता अनर्थ को , क्षमा क्रोध तथा सुंदर आचरण कुलक्षण को नष्ट करते हैं ।

* वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

Q1. अपयश को कौन नष्ट कर देता है ?
उत्तर:- विनयशीलता ।
Q2. अनर्थ को कौन नष्ट कर देता है ?
उत्तर:- वीरता ।
q3. क्रोध को कौन नष्ट कर देता है ?
उत्तर:- क्षमा ।
Q4. कल लक्षण को कौन नष्ट कर देता है ?
उत्तर:- आचरण ।


Class 10th Sanskrit Chapter 7 का ⇓

Bihar Board में पूछे जानेवाला महत्वपूर्ण हिन्दी प्रश्नोत्तर ।

Q1. अपनी प्रगति चाहने वालों को किन-किन दोषों को त्याग देना चाहिए ?
उत्तर :- अपनी प्रगति या ऐश्वर्य चाहने वाले पुरुषों को ये छः प्रकार के दोषों – निद्रा, तन्द्रा, भय, क्रोध, आलस्य और दीर्घ सूत्रता को त्याग देनी चाहिए ।
Q2. पंडित किसे कहा जाता है ?
उत्तर :- वैसे पुरुष जिनके कर्म को सर्दी – गर्मी, भय, आनंद, उन्नति या अवनति बाधा नहीं डालते हैं तथा जो सभी प्राणियों के तत्व, सभी कर्मों के योग को और मनुष्यों के उपाय को जानता है । वहीं पुरुष पंडित कहलाते हैं ।
Q3. “मूढचेता नराधम” किसे कहा गया है ?
उत्तर :- जो पुरुष बिना बुलाए एक – दूसरे के यहां जाता है , बिना पूछे बहुत बोलता है और अविश्वासियों पर विश्वास करता है । वह निश्चय ही मूर्ख और मनुष्यों में नीच (अधम) होता है ।
Q4. नरक के द्वारा कौन-कौन हैं ?
उत्तर :- महान नीतिज्ञ महात्मा विदुर के अनुसार नरक के तीन द्वार काम – वासना , क्रोध तथा लोभ को माना गया है ।
Q5. नरक के तीन प्रकार के द्वार किसे नष्ट कर देते हैं ?
उत्तर :- महान नीतिज्ञ महात्मा विदुर के अनुसार नरक के ये तीन प्रकार के द्वार काम , क्रोध तथा लोभ है , जो मनुष्य के आत्मा को नष्ट कर देता है । इसलिए इसे त्याग देनी चाहिए ।
Q6. कुल की रक्षा कैसे होती है ?
उत्तर :- महान नीति के महात्मा विदुर के अनुसार सात्विक कर्म एवं सदा अचार – विचार से हमेशा कल (खानदान) की रक्षा होती है ।
Q7. रक्षा के योग्य कौन-कौन हैं ?
उत्तर :- महात्मा विदुर के नीति संस्करण के अनुसार स्त्रियाँ, धर्म, विद्या, रूप एवं कुल या खानदान ये सभी रक्षा के योग्य हैं । अतः उक्त सभी की रक्षा होने से घर में सदा लक्ष्मी – बुद्धि विलास करती है ।


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अभ्यासः (मौखिकः)

1. एकपदेन उत्तरं वदत -

(क) विदुरः कः आसीत् ?
उत्तर:- मन्त्रिप्रवरः ।

(ख) मूढचेता नराधमः कस्मिन् विश्वसिति ?
उत्तर:- अविश्वस्ते ।

(ग) उत्तमा शान्तिः का ?
उत्तर:- क्षमा ।

(घ) का परमा तृप्ति ?
उत्तर:- विद्या ।

(ङ) नरकस्य कियद् द्वारं परिगणितम् ?
उत्तर:- त्रिविधं ।

(च) विद्या केन रक्ष्यते ?
उत्तर:- योगेन।

(छ) विनयः कं हन्ति ?
उत्तर:- अकिर्ति ।


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2. श्लोकांशं योजयित्वा वदत -

(क) त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत् त्रयं त्यजेत् ।।

(ख) सत्येन रक्ष्यते धर्मों विद्या योगेन रक्ष्यते
मृजया रक्ष्यते रूपं कुलं वृत्तेन रक्ष्यते ।।

अभ्यास: (लिखितः)

1. एकपदेन उत्तरं वदत -

(क) केषां तत्वज्ञः पण्डितः उच्यते ?
उत्तर:- सर्वभूतानाम् ।
(ख) अनाहूतः कः प्रविशति ?
उत्तर:- मूढः ।
(ग) धर्मः केन रक्ष्यते ?
उत्तर:- सत्येन ।
(घ) क्षमा कं हन्ति ?
उत्तर:- क्रोधम् ।
(ङ) सुखावहा का ?
उत्तर:- अहिंसा ।
(च) नरकस्य त्रिविधं द्वारं कस्य नाशनम् ?
उत्तर:- आत्मनः ।
(छ) केन षड् दोषाः हातव्याः ?
उत्तर:- पुरूषेणेह ।


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2. "क्तिन" प्रत्यय-योगेन शब्द निर्माणं करणीयम् -

(क) गम् + क्तिन = गतिः ।
(ख) शम् + क्तिन = शन्तिः ।
(ग) तृप् + क्तिन = तृप्तिः ।
(घ) रम् + क्तिन् = रतिः ।
(ङ) श्रम् + क्तिन् = क्षतिः ।
(च) सम् + ऋध् + क्तिन् = समृद्धिः ।
(छ) नी + क्तिन् = नीतिः ।
(ज) हन् + क्तिन् = हतिः ।
(झ) कृ + क्तिन् = कृतिः ।


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4. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत

(क) पुरूषेण के षड् दोषाः हातव्याः ?
उत्तर:- पुरूषेण भूतिमच्छता षड् दोषाः हातव्याः ।
(ख) पण्डितः कः उच्यते ?
उत्तर:- सर्वभूतानां तत्तवज्ञः सर्वकर्मणाम् मनुष्याणां च उपायज्ञः नरः पण्डित उच्यते ।
(ग) एक एव धर्मः किं कथ्यते ?
उत्तर:- एक एव धर्मः परं कथ्यते ।
(घ) नरकस्य कानि त्रीणि द्वाराणि सन्ति ?
उत्तर:-  नरकस्य कामः, क्रोधः, लोभः इति त्रीणि द्वाराणि सन्ति ।
(ङ) कस्य कस्य च वक्ता श्रोता च दुर्लभः ?
उत्तर:- अप्रियस्य पथ्यस्य वक्ता श्रोता च दुर्लभः ।
(च) स्त्रियः गृहस्य काः उक्ताः सन्ति ?
उत्तर:- स्त्रियः गृहस्य पूजनीया महाभागाः गृहदीप्तयः च उक्ताः सन्ति ।
(छ) कुलं केन रक्ष्यते ?
उत्तर:- कुलं वृतेन रक्ष्यते ।

मुझे आशा है, कि उक्त लिखित पोस्ट Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7, का नीतिश्लोकाः (Nitislokah) के सभी श्लोकों एवं श्लोकों का पूर्ण विश्लेषण को क्रमबद्ध तरीका से पढ़ें और समझें होंगे और आपके Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 7 का पूर्ण विश्लेषण उपयोगी रहें होंगे । संस्कृत के सप्तमः पाठः Nitislokah (Class 10th Sanskrit Chapter 5), भारतमहिमा से अधिक-से-अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं । इसलिए आपके Exam में यह लेख बहुत ही उपयोगी है ।

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