Class 10th Sanskrit Chapter 5 : भारतमहिमा (Bharat Mahima) संस्कृत पीयूषम भाग 2
प्रिय पाठकों, इस लेख में Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 5, (वर्ग – 10, संस्कृत का अध्याय – 5) का भारतमहिमा (Bharat Mahima) के सभी श्लोकों का संधि-विच्छेद, शब्दार्थ, श्लोकार्थ, और वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर के साथ Bihar Board Exam में पूछे जानेवाली सभी प्रश्नों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। साथ ही, किताब के सभी वस्तुनिष्ठ और लघुउत्तरीय प्रश्नों के उत्तर भी दिए किए गए हैं। यह Post आपके Bihar Board Exam की तैयारी में अत्यंत उपयोगी साबित होगी।
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ToggleClass 10th Sanskrit Chapter 5 : भारतमहिमा (Bharat Mahima)
[अस्माकं देशः भारतवर्षमिति कथ्यते । अस्य महिमा सर्वत्र गीयते । पाठेऽस्मिन् विष्णुपुराणात् भागवतपुराणात् च प्रथमं द्वितीयं च क्रमशः पद्यं गृहीतमस्ति । अवशिष्टानि पद्यान्यध्यक्षेण निर्मीय प्रस्तावितानि । भारतं प्रति भक्तिरस्माकं कर्त्तव्यरूपेण वर्तते]
* संधि-विच्छेद :-
- भारतवर्षमिति = भारतवर्षम् + इति ।
- पाठेऽस्मिन् = पाठे + अस्माकं ।
- गृहीतमस्ति = गृहीतम् + अस्ति ।
- पद्यान्यध्यक्षेण = पद्यानि + अध्यक्षेण ।
- भक्तिरस्माकं = भक्तिः + अस्माकं ।
* शब्दार्थ:-
- अस्माकं = हमारा , हमारी , हमारे (तीनों लिंग के लिए) ।
- इति = यह या ऐसा ।
कथ्यते = कहलाते हैं या कहे जाते हैं । - अस्य = इसका , इसकी , इसके ।
- महिमा = महानता ।
- गीयते = गायी जाती है ।
- अस्मिन् = इस (में) ।
- क्रमशः = लगातार ।
- गृहीतमस्ति = लिया गया है ।
अवशिष्टानि = अन्य शेष ।
* व्याख्या :- [ हमारा देश यह भारतवर्ष कहलाते हैं । इसकी महानता सभी जगह गायी जाती है । इस पाठ में विष्णुपुराण और भागवतपुराण से प्रथम और द्वितीय पद क्रमशः लिया गया है । अन्य शेष पद (श्लोक) अध्यक्ष द्वारा निर्मित कर प्रस्तावित हैं । भारत के प्रति हमारी भक्ति कर्तव्य के रूप में हैं ।]
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. हमारा देश क्या कहलाते हैं ?
उत्तर:- भारतवर्ष ।
Q2. किस देश की महानता को सभी जगह गायी जाती हैं ?
उत्तर:- भारतवर्ष की ।
Q3. भारत महिमा पाठ में विष्णुपुराण और भागवतपुराण से कितने पद (श्लोक) लिए गए हैं ?
उत्तर:- दो (02) ।
Q4. भारत महिमा पाठ के अन्य पद किसके द्वारा निर्मित हैं ?
उत्तर:- पद अध्यक्ष के द्वारा ।
Q5. पुरानों की संख्या कितनी हैं ?
उत्तर:- 18 (अठारह) ।
Q6. “भारतमहिमा” पाठ में कुल कितने पद्य हैं
उत्तर:- पाँच ।
Q7. “भारतमहिमा” पाठ में पुराणों से कितने पद्य संकलित हैं ?
उत्तर:- दो ।
Class 10th Sanskrit Chapter 5 Ka Slok no 1 ⇓
श्लोक संख्या (01)
गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे ।
स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूयः पुरूषाः सुरत्वात् ।। (पौराणिकी )
* अन्वयाः- देवाः गीतकानि गायन्ति – ते पुरुषाः धन्याः किल (सन्ति ये) स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भारतभूमिभागे सुरत्वात् भूयः भवन्ति ।।
* संधि-विच्छेद :-
- धन्यास्तु = धन्याः + तु ।
- स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते = स्वर्ग + अपवर्ग + आस्पदमार्गभूते ।
* शब्दार्थ :-
- देवाः = देवता लोग ।
- गायन्ति = गाते हैं । विष्णु पुराण से विष्णु पुराण से विष्णु पुराण से
- ते – वे ।
- किल – अवश्य ।
- स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते – स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने योग्य साधना स्वरूपा।
- सुरत्वात् – देवत्व के रूप में ।
- भूयः – बार ।
* श्लोकार्थ :- देवतालोग गीत गाते हुए कहते हैं , कि वे पुरुष अवश्य धन्य हैं , जिन्होंने स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने योग्य साधना स्वरूपा भारत भूमि पर देवत्व के रूप में जन्म लिए हैं ।
[अध्याय – 01 मङ्गलम के सभी स्लोकार्थ एवं सभी प्रश्नोत्तर को हिंदी में समझने के लिए यहाँ क्लिक करें |]
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. गायन्ति —————- सुरत्वात्।। यह श्लोक किस पुराण से लिया गया है ?
उत्तर:- विष्णुपुराण से ।
Q2. देवता लोग किस देश का गुणगान करते हैं ?
उत्तर:- भारत देश का
Q3. देवता लोग किस देश में बार-बार जन्म लेना चाहते हैं ?
उत्तर:- भारत देश में ।
Class 10th Sanskrit Chapter 5 Ka Slok no 2 ⇓
श्लोक संख्या (02)
(पौराणिकी )
अहो अमीषां किमकारि शोभनं
प्रसन्न एषां स्विदुत स्वयं हरिः ।
यैर्जन्म लब्धं नृषु भारताजिरे
मुकुन्दसेवौपयिकं स्पृहा हि नः ।।
* अन्वयाः- (देवाः गायन्तः कथ्यन्ति) अहो! अमीषाम् (एभिः) किं शोभनम् अकारि ? (यत्) नृषु यैः भारताजिरे मुकुन्दसेवौपयिकं जन्म लब्धं। स्विदुत एषां स्वयं हरिः प्रसन्नः। हि नः (अपि) स्पृहा ।
* संधि-विच्छेद :-
- किमकारि = किम् + अकारि ।
- स्विदुत = स्वित् + उत् ।
- यैर्जन्म = यैन: + जन्म ।
- भारताजिरे = भारत + अजिरे ।
- मुकुन्दसेवौपयिकं = मुकुन्दसेवा + औपयिकम् ।
* शब्दार्थ :-
- अहो – अरे ।
- अमीषाम् – ईश्वर द्वारा ।
- अकारि – किया गया ।
- भारताजिरे – भारत भूमि में (पर) ।
- मुकुन्दसेवौपयिकं – श्री हरि के सेवा के योग्य ।
- लब्धम् – पाकर ।
- स्पृहा – इच्छा ।
* श्लोकार्थ :- आहो ! ईश्वर द्वारा कैसा शोभनीय कार्य किया गया । जिससे लोग इस भारत भूमि पर जन्म पाकर श्री हरि की सेवा के योग्य बन जाते हैं । हमारी भी यही इच्छा है ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. अहो! ————– हि नः । यह श्लोक किस पुराण से लिया गया है ?
उत्तर:- भागवतपुराण से ।
Q2. किस भूमि पर जन्म पाकर लोग श्री हरि के सेवा के योग बन जाते हैं ?
उत्तर:- भारत भूमि पर ।
Q3. भारत भूमि पर जन्म पाकर लोग किसके सेवा की योग्य बन जाते हैं ?
उत्तर:- श्री हरि के सेवा के योग्य ।
Class 10th Sanskrit Chapter 5 Ka Slok no 3 ⇓
श्लोक संख्या (03)
इयं निर्मला वत्सला मातृभूमिः
प्रसिद्धं सदा भारतं वर्षमेत्त ।
विभिन्ना जना धर्मजातिप्रभेदै-
रिहैकत्वभावं वहन्तो वसन्ति ।। (आधुनिकी)
* अन्वयाः- एतत् प्रसिद्धं भारतं वर्षम्, इयं सदा निर्मला वत्सला मातृभूमिः इह धर्मजातिप्रभेदैः विभिन्नाः जनाः एकत्वभावं वहन्तः वसन्ति ।।
* संधि-विच्छेद :-
- वर्षमेत्त = वर्षम् + एतत् ।
- धर्मजातिप्रभेदैरिहैकत्वभावं = धर्म- जाति- प्रभैदैः + इह + एकत्वभावम् ।
* शब्दार्थ :-
- इयं – यह (स्त्रीलिंग) ।
- निर्मला – पवित्र ।
- वत्सला – ममतामयी ।
- सदा – हमेशा ।
- धर्मजातिप्रभेदै: – धर्म और जाति के भेदों से ।
- एकत्वभावं – एकता के भाव से ।
- वहन्तः – धारण करते हुए ।
* श्लोकार्थ :- यह पवित्र और ममतामयी मातृभूमि भारतवर्ष हमेशा प्रसिद्ध रहा है । यहां विभिन्न लोग धर्म और जाति के भेदों को भूलाकर एकता के भाव को धारण करते हुए निवास करते हैं ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. भारत भूमि कैसी है ?
उत्तर:- पवित्र और ममतामयी ।
Q2. किस देश के लोग विभिन्न जाति – धर्म के भेद को भूलाकर एकता के भाव से निवास करते हैं या रहते हैं ?
उत्तर:- भारत देश के लोग ।
Class 10th Sanskrit Chapter 5 Ka Slok no 4 ⇓
श्लोक संख्या (04)
विशालास्मदीया धरा भारतीया
सदा सेविता सागरै रम्यरूपा ।
वनैः पर्वतैर्निर्झरैर्भव्यभूति-
र्वहन्तीभिरेषा शुभा चापगाभिः।। (आधुनिकी)
* अन्वया:- अस्मदीया भारतीया धरा विशाला, रम्यरूपा, शुभा भव्यभूतिः (च) एषा सागरैः, पर्वतैः, निर्झरैः वहन्तीभिः आपगाभिः च सदा सेविता (अस्ति) ।।
* संधि-विच्छेद :-
- विशालास्मदीया = विशाला + अस्मदीया ।
- पर्वतैर्निर्झरैर्भव्यभूतिर्वहन्तीभिरेषा = पर्वतैः + निर्झरैः + भव्यभूतिः + वहन्तीभिः + एषा ।
- चापगाभिः = च + आपगाभिः ।
* शब्दार्थ :-
- अस्मदीया – हमारी ।
- धरा – धरती / भूमि ।
- भव्यभूतिः – भव्य एश्वर्यवाली ।
- आपगाभिः – नदियों के द्वारा ।
- निर्झरैः – झरनों के द्वारा ।
* श्लोकार्थ :- हमारे भारत भूमि विशाल रूपवाली और भव्य – ऐश्वर्यशाली है । यह सागरों, पर्वतों, झड़नों तथा बहती हुई नदियों के द्वारा सदा सेवित हैं ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. हमारी मातृभूमि कैसी है ?
उत्तर:- वत्सला, निर्मला वत्सला च ।
Q2. भारत किससे सदा सेवित है ?
उत्तर:- नदियों , पर्वतों , सागरों से ।
Class 10th Sanskrit Chapter 5 Ka Slok no 5 ⇓
श्लोक संख्या (05)
जगद्गौरवं भारतं शोभनीयं
सदास्माभिरेतत्तथा पूजनीयम् ।
भवेद् देशभक्तिः समेषां जनानां
परादर्शरूपा सदावर्जनीया।। (आधुनिकी)
* अन्वयाः- तथा शोभनीयं जगद्गौरवं (च) एतत् भारतम् अस्माभिः सदा पूजनीयम्। (अत्रत्यानाम्) समेषां जनानां सदा आवर्जनीया परादर्शरूपा देशभक्तिः भवेत् ।।
* संधि-विच्छेद :-
- जगद्गौरवं = जगत् + गौरवं ।
- सदास्माभिरेतत्तथा = सदा + अस्माभिः + एतत् + तथा ।
- परादर्शरूपा = परा + आदर्शरूपा ।
- सदावर्जनीया = सदा + आवर्जनीया ।
* शब्दार्थ :-
- जगद्गौरवं – संसार का गौरव ।
- समेषाम् – सभी की ।
- परा – श्रेष्ठ ।
- आवर्जनीया – आकर्षक योग्य ।
* श्लोकार्थ :- यह भारत वर्ष शोभनीय, संसार का गौरव और हमारे लिए सदैव पूजनीय हैं । यहां के सभी लोगों की देशभक्ति हमेशा आकर्षक और दूसरों के लिए उदाहरण के योग्य होना चाहिए ।
* वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. एतत् भारतम् ————- सदा पूजनीयम् । रिक्त स्थान को भरें ।
उत्तर:- अस्माभिः
Q2. हम सबों में भारत के प्रति क्या होनी चाहिए ?
उत्तर:- देशभक्ति ।
Class 10th Sanskrit Chapter 5 का ⇓
Bihar Board Exam में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण हिंदी प्रश्नोत्तर
Q1. हमारी भारतभूमि कैसी है ?
उत्तर:- हमारी भारतभूमि विशाल, भव्यएश्वर्यवाली, पवित्र, ममतामयी एवं संसार का गौरव है । यहां लोग धर्म – जाति के भेद को भूलकर एक भाव से निवास करते हैं । वह सागरों, पर्वतों, झड़नों और नदियों से सदा सेवित हैं ।
Q2. भारतभूमि कैसी है और यहां कौन रहते हैं ?
उत्तर:- भारतभूमि विशाल , भव्यएश्वर्यवाली , पवित्र एवं ममतामयी है, जो सदा विशाल सागरों , पर्वतों और नदियों के द्वारा सेवित है । यहां विभिन्न धर्मो , जातियों के लोग अपनी मानसिक भावनाओं को भूलाकर एकत्व एवं सहिष्णुता को सदैव आत्मसात कर निवास करते हैं । क्योंकि भारतीय सदैव संपूर्ण पृथ्वी को अपने परिवार के समान मानते हैं ।
Q3. भारतमहिमा पाठ में किन-किन पुराणों से पद्य संकलित हैं ?
उत्तर:- भारतमहिमा पाठ में प्रथम दो पद्य विष्णुपुराण एवं भागवतपुराण से संकलित हैं ।
Q4. भारतमहिमा पाठ के आधार पर भारत का वर्णन संक्षेप में करें ?
उत्तर:- भारतमहिमा पाठ में कुल पांच पद्य संकलित हैं । जिनमें दो पौराणिक एवं शेष आधुनिक रचनाकारों के द्वारा लिखें गए हैं । भारत का प्राकृतिक सौंदर्य स्वर्ग के जैसा परिपूर्ण हैं एवं इस भूमि पर देवताओं , ऋषि – मुनियों एवं महापुरुषों का अवतरण हुआ है । इस भूमि के महिमा का वर्णन विष्णुपुराण एवं भागवत पुराण में देखने को मिलता है ।
देवतागण गीत गाते हुए कहते हैं , कि वे पुरुष अवश्य धन्य हैं । जो मोक्ष प्रदान करने वाली इस भूमि पर देवत्व के रूप में जन्म लिए हैं , क्योंकि यह भूमि विशाल भव्यएश्वर्यवाली एवं कल्याणप्रद हैं । यहां धर्म – जाति के भेद को भूलाकर एकत्व एवं सहिष्णुता को सदैव आत्मसात किए हैं ।
Q5. भारतभूमि किन-किन से सेवित हैं ?
उत्तर:- हमारे विशाल भारतभूमि सागरों , महासागरों , वनों , पर्वतों , झरनों तथा बहती हुई नदियों से सदा सेवित हैं ।
Q6. विष्णुपुराण में भारत की महिमा किस रूप में गायी गई हैं ?
उत्तर:- भारतीय धारा की पराकाष्ठता सर्वत्र विद्यमान हैं । क्योंकि स्वयं हरि इस भूमि पर जन्म पाकर अपने आप को धन्य मानते हैं । देवगण भारतभूमि का यशोगान करते हुए कहते हैं , कि वे पुरुष अवश्य धन्य है जिन्होंने स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने योग्य भारत भूमि पर जन्म पाकर देवत्व के सानिध्य में स्वयं को पाते हैं जिससे मनुष्य श्री हरि के सेवा का अवसर पाते हैं ।
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अभ्यासः ( मौखिकः)
Q1. एकपदेन उत्तरं वदत –
(क) के गीतकानि गायन्ति ?
उत्तर:- देवाः ।
(ख) एषां कः प्रसन्नः ?
उत्तर:- स्वयंहरि ।
(ग) इयं निर्मला मातृभूमिः कीदृशी अस्ति ?
उत्तर:- वत्सला ।
(घ) अस्मदीया भारतीया धरा कीदृशी अस्ति ?
उत्तर:- विशाला रम्यरूपा ।
(ङ) अस्माभिः सदा किं पूजनीयम् ?
उत्तर:- भारतम् ।
Q2. स्वमातृभूमिविषये द्वे वाक्ये वदत ।
उत्तर:- अस्माकं मातृभूमिः निर्मला वत्सला च अस्ति । इयं जगद्गौरवं भारतं शोभनीय सदा पूजनीया अस्ति ।
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अभ्यासः ( लिखितः)
1. एकपदेन उत्तरं लिखत
(क) देवाः कानि गायन्ति ?
उत्तर:- गीतकानि ।
(ख) जनैः कीदृशं जन्म लब्धम् ?
उत्तर:- मुकुन्दसेवौपयिकं ।
(ग) विशाला धरा का ?
उत्तर:- भारतीया ।
(घ) जगद् गौरवं किं वर्तते ?
उत्तर:- भारतम् ।
(ङ) समेषाम् जनानां का भवेत् ?
उत्तर:- देशभक्तिः ।
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2. पूर्णवाक्येन उत्तरं लिखत
(क) अस्माकं भारतीया धरा कीदृशी अस्ति ?
उत्तर:- अस्माकं भारतीया धरा विशाल, रम्यरूपा, शुभाः, भव्यभूतिः च अस्ति ।
(ख) भारतीया धरा कैः काभिः च सेविता ?
उत्तर:- भारतीया धरा वनैः, सागरैः, पर्वतैः, निर्झरैं, वहन्तीभिः च सदा सेविता ।
(ग) धर्म – जाति प्रभेदैः विभिन्ना जनाः किं वहन्तः वसन्ति ?
उत्तर:- धर्म – जाति प्रभेदैः विभिन्ना जनाः एकत्वभावं वहन्तः वसन्ति।
(घ) के वारंवारं भारते जन्म गृह्णन्ति ?
उत्तर:- देवाः वारंवारं भारते जन्म गृह्णन्ति ।
(ङ) सर्वेषां जनानां देशभक्तिः कीदृशी भवेत् ?
उत्तर:- सर्वेषां जनानां देशभक्तिः आवर्जनीया परादर्शरूपा भवेत् ।
(च) भारतभूमिः कीदृशी अस्ति ?
उत्तर:- भारतभूमिः निर्मला वत्सला अस्ति ।
(छ) भारताजिरे जन्म लब्धुं स्पृहा केषाम् अस्ति ?
उत्तर:- भारताजिरे जन्म लब्धुं स्पृहा केषाम् अस्ति ।
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4. निम्नांङ्कितपदानां कृते विलोमपदानि लिखत
(क) सुरः — दानवः ।
(ख) पूजनीयम् — अपूजनीयम् ।
(ग) भारतीया — अभारतीया ।
(घ) शोभनम् — अशोभनम् ।
(ङ) प्रसन्नः — अप्रसन्नः ।
(च) प्रसिद्धं — अप्रसिद्धं ।
(छ) शुभा — अशुभा ।
(ज) लब्धम् — अलब्धम् ।
(झ) गौरवम् — लाघवम्
(ञ) रम्यरूपा — अरम्यरूपा ।
मुझे आशा है, कि उक्त लिखित पोस्ट Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 5, का भारतमहिमा (Bharat Mahima) के सभी श्लोक एवं श्लोक का पूर्ण विश्लेषण को क्रमबद्ध तरीका से पढ़ें और समझें होंगे और आपके Board Exam में Class 10th Sanskrit Chapter 5 का पूर्ण विश्लेषण उपयोगी रहें होंगे । संस्कृत के पञ्चमः पाठः Bharatmahima (Class 10th Sanskrit Chapter 5), भारतमहिमा से अधिक-से-अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं । इसलिए आपके Exam में यह लेख बहुत ही उपयोगी है ।
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