निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं (Nijvachak sarvnam)?
प्रिय पाठकों, हिन्दी व्याकरण में सर्वनाम के 6 (छह) भेद होते हैं , जिनमें से एक भेद निजवाचक सर्वनाम (Nijvachak sarvnam) भी है । इस post में निजवाचक सर्वनाम के परिभाषा (Nijvachak Sarvnam Ke paribhasha) , Nijvachak sarvanam के अर्थ, प्रयोग, उदाहरण आदि को बिल्कुल सरल, सहज व क्रमबद्ध तरीके से दिया गया है । यह Post वर्तमान में हो रहे सभी निम्न एवं उच्च स्तरीय Exam को ध्यान में रखकर बनाया गया है । मुझे पूर्ण आशा है , कि आपलोग इस post को समझेंगे । और अपने मित्रों को भी साझा (Share) करेंगे ।
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Toggleनिजवाचक सर्वनाम (Nijvachak sarvnam)= निज + वाचक + सर्वनाम ।
- निज का अर्थ – स्वंय या खुद ।
- वाचक – बोध करानेवाला ।
- सर्वनाम – संज्ञा के बदले ।
- निजवाचक सर्वनाम का अर्थ :- वह सर्वनाम जो स्वंय या खुद का बोध कराता है ।
निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं (Nijvachak sarvnam kise kahate hain)?
उत्तर- “जो सर्वनाम स्वंय या खुद का बोध कराता है, उसे निजवाचक सर्वनाम (Nijvachak sarvnam) कहते हैं “।
जैसे :- आप, स्वयं, खुद व स्वतः ।
अथवा ,
निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं (Nijvachak sarvnam kise kahate hain)?
“वह सर्वनाम जो संज्ञा के साथ आता है तथा उसी संज्ञा का बोध करता है, उसे निजवाचक सर्वनाम (Nijvachak sarvanam) कहते हैं “।
जैसे:- राम आप ही खाता है ।
विश्लेषण – यहाँ “राम” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
तुम आप ही खा लो ।
विश्लेषण – यहाँ “तुम” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
गीता आप ही चली गयी ।
विश्लेषण – यहाँ “गीता” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
मोहन आप ही गा और बजा लेता है ।
विश्लेषण – यहाँ “मोहन” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
सोहन आप ही पढ़ेगा ।
विश्लेषण – यहाँ “सोहन” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
मैं आप ही आऊंगा ।
विश्लेषण – यहाँ “मैं” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
रणजीत जी आप ही पढ़ाते हैं।
विश्लेषण – यहाँ “रणजीत” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए किया है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
माँ स्वंय खाना बनाती है ।
विश्लेषण – यहाँ “माँ” कर्त्ता ने “आप” का प्रयोग स्वंय के लिए की है । इसलिए यह निजवाचक के अन्तर्गत आएगा ।
मैं स्वतः आ जाऊँगा ।
पिताजी आप ही किसानी करते हैं । आदि ।
वह आप ही आ रहे हैं ।
विश्लेषण :- उक्त वाक्य में “आप” का प्रयोग किसी पुरुष के लिए नहीं होने के कारण यह “निजवाचक सर्वनाम” के अन्तर्गत है ।
आप विद्यालय जा रहें हैं ।
विश्लेषण :- इस वाक्य में “आप” का प्रयोग किसी पुरुष के लिए होने के कारण यह “पुरूषवाचक सर्वनाम” के अन्तर्गत है ।
आप क्या खा रहें हैं ?
विश्लेषण :- इस वाक्य में “आप” का प्रयोग किसी पुरुष के लिए होने के कारण यह “पुरूषवाचक सर्वनाम” के अन्तर्गत है ।
आप मोहन का पुत्र हैं ।
विश्लेषण :- इस वाक्य में “आप” का प्रयोग किसी पुरुष के लिए होने के कारण यह “पुरूषवाचक सर्वनाम” के अन्तर्गत है ।
आप विद्यालय जाएँ ।
विश्लेषण :- इस वाक्य में “आप” का प्रयोग किसी पुरुष के लिए होने के कारण यह “पुरूषवाचक सर्वनाम” के अन्तर्गत है ।
आप खेल सकते हैं ।
विश्लेषण :- इस वाक्य में “आप” का प्रयोग किसी पुरुष के लिए होने के कारण यह “पुरूषवाचक सर्वनाम” के अन्तर्गत है ।
आप यहाँ रहते हैं ।
आप जो कार्य करते हैं , वही कार्य मैं भी करता हूँ ।
आप यहाँ रहोगे ।
आप शिक्षक हैं । आदि ।
पुरूषवाचक सर्वनाम और निजवाचक सर्वनाम के “आप” में अंतर :-
निजवाचक सर्वनाम
(Nijvachak sarvnam)
जब आप शब्द का प्रयोग स्वंय या खुद के लिए होता है , तो वहाँ निजवाचक सर्वनाम (Nijvachak sarvanam) होता है ।
जैसे :- आप भले तो जग भला ।
(अतः यहाँ आप शब्द का प्रयोग स्वयं या खुद के लिए हुआ है ।)
पुरूषवाचक सर्वनाम
(Purushvachak Sarvnam)
जब आपका प्रयोग तू या तुम के बदले सम्मान देने के लिए आता है , तो वहाँ “आप” शब्द पुरूषवाचक सर्वनाम होता है।
जैसे :- महाराज आप कौन हैं ?
(अतः यहाँ आप का प्रयोग तू या तुम के बदले आया है ।)
* नोट (Note):-
(i) Nijvachak sarvnam का रूप “आप” हैं ।
(ii) यह कर्त्ता कारक का बोध बोध है ।
(iii) पुरूषवाचक सर्वनाम में “आप” का प्रयोग बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है ।
जैसे :- आप मेरे सिर-आँखों पर हैं ।
आप क्या राय देते हैं । आदि ।
(iv) निजवाचक सर्वनाम में “आप” एक ही तरह दोनों वचनों एवं तीनों पुरूषों में प्रयोग किया जा सकता है ।
सर्वनाम “आप” का प्रयोग :-
सर्वनाम “आप” का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में होता है :-
(i) निजवाचक “आप” का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारणा (निश्चय) के लिए होता है ।
जैसे :- मैं आप वहीं से आया हूँ ।
मैं आप वही कार्य कर रहा हूँ । आदि ।
(ii) निजवाचक “आप” का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है ।
जैसे :- उन्होंने मुझे रहने को कहा और आप चलते बनें ।
वह औरों को नहीं , अपने को सुधार रहा है । आदि ।
(iii) सर्वसाधारण (सार्वजनिक) के अर्थ में भी “आप” का प्रयोग होता है ।
जैसे :- आप भला तो जग भला ।
अपने से बड़ों का आदर करना उचित है । आदि ।
(iv) अवधारण के अर्थ में कभी-कभी “आप” के साथ ही जोड़ा जाता है ।
जैसे :- मैं आप ही चला आता था ।
वह काम आप ही हो गया।
मैं वह काम आप ही कर लूँगा । आदि ।
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अधिकत्तर पूछे आने वाली प्रश्न (FAQs)
(1) निजवाचक सर्वनाम किसे कहते हैं (Nijvachak sarvnam kise kahate hain)?
उत्तर- “जो सर्वनाम स्वंय या खुद का बोध कराता है, उसे निजवाचक (Nijvachak sarvnam) सर्वनाम कहते हैं”।
(2) Nijvachak sarvnam का उदाहरण क्या-क्या है ?
उत्तर- आप, खुद, स्वयं, स्वतः ।
(3) निजवाचक सर्वनाम का अंग्रेजी क्या होता है?
उत्तर- Reflexive Pronoun .
(4) Nijvachak sarvanam का अर्थ क्या होता है ?
उत्तर- स्वंय या खुद ।
(5) वह आप ही खा लेता है । इस वाक्य में “आप” कौन-सा सर्वनाम है ?
उत्तर- निजवाचक सर्वनाम।
(6) निम्न वाक्यों में से किस वाक्य में “निजवाचक सर्वनाम” का प्रयोग हुआ है ?
(क) आप कहाँ रहते हैं ?
(ख) मै आप चला जाऊँगा ।
(ग) आजकल आप कहाँ रहते हैं ?
(घ) आप क्या-क्या खाते हैं ?
उत्तर :- (ख) मै आप चला जाऊँगा ।
मैं आशा करता हूँ, कि उक्त लिखित post में निजवाचक सर्वनाम (Nijvachak sarvnam) की परिभाषा, उदाहरण, अर्थ और प्रयोग को सुस्पष्ट समझे होंगे ।
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1 thought on “Nijvachak Sarvnam : निजवाचक सर्वनाम के परिभाषा, प्रयोग और उदाहरण आदि | Nijvachak Sarvanam”