प्रिय मित्रों इस लेख में शब्द का सामान्य परिचय दिया गया है । शब्द किसे कहते हैं (Shabd kise kahate hain) ? शब्द के उदाहरण, व्याकरण में शब्द का महत्व, पद का परिभाषा, शब्द एवं पद में अंतर, शब्द – रचना, शब्द के अर्थ बोध के साधन, शब्द के प्रकार आदि का सरल व क्रमबद्ध तरीका से संपूर्ण विश्लेषण किया गया है । शब्द किसे कहते हैं (Shabd kise kahate hain) ? शब्द के सभी प्रकार को जानने के लिए kamlaclasses.com के साथ बने रहे ।
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Toggleशब्द किसे कहते हैं (Shabd kise kahate hain) ?
उत्तर:- ” दो या दो से अधिक वर्णों के सार्थक मेल या समुह को, शब्द कहते हैं। “
जैसे :- मन
(मन शब्द – म् + अ + न् + अ ये चार वर्णों के मेल से बना है ।)
कविता
(कविता शब्द – क् + अ + व् + इ + त् + आ ये छः वर्णों के मेल से बना है ।)
पंकज
(पंकज शब्द – प् + अं + क् + अ + ज् + अ ये छः वर्णों के मेल से बना है ।)
अन्य उदाहरण :- मैं, यह, वह, पटना, सुपौल, लोटा, डोरी, धोती, वाकिफ़, शराफत, मनोहर, अग्नि, गांव, चमत्कार, घोटक, गिरना, श्रम, कार्ड, कारण, वृणा, चर्मकार, कर्ण आदि ।
नोट (Note) :-
(i) भाषा की लघुतम इकाई “शब्द” है ।
(ii) शब्द और अर्थ में अटूट संबंध होता है ।
(iii) शब्द स्वतंत्र होता है ।
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व्याकरण में शब्द का महत्व :-
(i) शब्द से भाषा का निर्माण होता है । शब्द के बिना भाषा की कोई अस्तित्व नहीं है ।
(ii) किसी भी उच्चारित ध्वनि को “शब्द” के द्वारा लिखकर व्यक्त किया जाता है ।
जैसे :- राम, उपकार, उलूक, गोधूम, कर्पूर, गंभीर, अज़नबी, कालीन, कैंची, कुर्की आदि ।
(iii) शब्दों के समूह से वाक्य का निर्माण होता है ।
जैसे :- मोहन पटना जाता है ।
सीता पूजा के लिए कर्पूर खरीद रही है ।
मनोज कलम से कविता लिख रहा है । आदि ।
(iv) व्याकरण में शब्द और अर्थ का अटूट संबंध होता है ।
(v) व्याकरण में एक शब्द का अनेक अर्थ होता है । लेकिन वाक्य में प्रयुक्त होने के बाद वे अर्थवाची बनकर यानी किसी खास अर्थ की बात कर “पद” का रूप ग्रहण कर लेते हैं ।
(vi) व्याकरण में शब्द अमूर्त अर्थ का मूर्त रूप है ।
जैसे :- गाय शब्द उच्चारित करने पर पशु विशेष का ही बोध क्यों होता है ? पेड़ या मकान का क्यों नहीं ? क्योंकि गाय शब्द बार-बार सुनने से हमें गाय की बिंब प्रकट हो जाते हैं । इसलिए गाय शब्द उच्चारित पर हमें पेड़ या मकान का बिंब हमारे समक्ष प्रकट नहीं हो पाते हैं ।
पद किसे कहते हैं (Pad kise kahate hain) ?
उत्तर:- “जब कोई “शब्द” किसी वाक्य में प्रयुक्त (जुड़) होता है ,वे पद कहलाते हैं ।”
शब्द एवं पद में अंतर क्या है (Sabd avam Pad me antar) ?
शब्द एवं पद में अंतर निम्नलिखित है :-
शब्द | पद |
---|---|
(i) वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं । | (i) जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है वह पद कहलाते हैं । |
(ii) शब्द अनेकार्थी होते हैं । | (ii) पद एकार्थी होते हैं । |
(iii) शब्द स्वतंत्र होते हैं । | (iii) पद किसी वाक्य द्वारा बाध्य होते हैं । |
शब्द के अर्थ बोध के कितने साधन हैं ?
शब्द के अर्थ बोध का निम्नांकित आठ साधन हैं :-
(क) व्यवहार
(ख) आप्त वाक्य
(ग) उपमान
(घ) प्रकरण
(ङ) विवृति (व्याख्या)
(च) प्रसिद्ध पद
(छ) व्याकरण
(ज) कोश ।
शब्द रचना
Q. शब्द क्या है ?
उत्तर:- “शब्द वर्णों का समुह है |”
Q. शब्द का वर्ण-विच्छेद क्या होता है ?
उत्तर:- शब्द का वर्ण-विच्छेद है – ” श् + अ + ब् + द् + अ ।”
Q. अर्थ के आधार पर "शब्द" है -
उत्तर:- “सार्थक शब्द ।”
शब्द को कितने आधार पर विभेदित किए जाते हैं ?
शब्द को निम्नांकित चार आधार पर विभेदित किए जाते हैं :-
(क) अर्थ के आधार पर
(ख) व्युत्पत्ति या रचना या बनावट के आधार पर
(ग) उत्पत्ति के आधार पर
(घ) रूपांतरण के आधार पर ।
(क) अर्थ के आधार पर शब्द के कितने भेद हैं (Arth Ke Aadhar Par Shabd Ke Kitne Bhed Hain)?
अर्थ के आधार पर शब्द के निम्नांकित दो भेद हैं :-
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द ।
(i) सार्थक शब्द किसे कहते हैं (Sarthak Shabd Kise Kahate Hain)?
“जिस शब्द का निश्चित अर्थ निकलता है, उसे सार्थक शब्द कहते हैं।”
जैसे:- रोटी, उल्टा लड़का, पुत्र, खाना, लड़की सरोज, कमल, महल, अल्लाह, दूध, चावल, दही, चीनी, चाय, मक्खन, बसंत, ऋतु, वर्ष, सुहाना, पसंद, मनोज आदि
(ii) निरर्थक शब्द किसे कहते हैं (Nirarthak Shabd Kise Kahate Hain)?
“जिस शब्द का कोई निश्चित अर्थ नहीं निकलता है, उसे निरर्थक शब्द कहते हैं।”
जैसे:- टाबे, टाबी, वाना, गुल्ला, वपल, तलखे इत्यादि ।
नोट (Note):- व्याकरण में केवल सार्थक शब्दों की ही चर्चा होती है, बल्कि निरर्थक शब्दों की नहीं । हाँ, निरर्थक शब्द की चर्चा तब होती है, जब उन निरर्थक शब्दों को सार्थक बना लिए जाते हैं ।
जैसे :- चाय-वाय, खाना-वाना, हल्ला-गुल्ला, रोटी-वोटी, स्कूल-तिस्कूल, चप्पल-तप्पल, रहना-वहना, मरण-तरण, उलटा-पुलटा, चश्मा-तश्मा आदि ।
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अर्थ के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं ?
“अर्थ के आधार पर शब्द निम्नांकित चार प्रकार के होते हैं” :-
(i) समानार्थक शब्द
(ii) एकार्थक शब्द
(iii) अनेकार्थक शब्द
(iv) विपरीतार्थक शब्द ।
(i) समानार्थक शब्द किसे कहते हैं (Samanarthak Shabd kise kahate Hain)?
“हिंदी भाषा के वैसे अनेक शब्द जिनके अर्थ समान होते हैं, उसे समानार्थक शब्द कहते हैं।”
जैसे:-
- आम =आम्र, रसाल, अमृतफल, सहकार ।
- गेह = घर, निकेतन, भवन, सदन, आगार, आयतन ।
- कुबेर = किन्नरेश, यक्षराज, धनद, राजराज ।
- गदहा = खर, गर्दभ, धूसर, बेसर, वैशाखनंदन ।
- मछली = मत्स्य, झख, मीन, जलजीवन, सफारी ।
- महादेव = शंभू, ईश, पशुपति, भव, भूतेश, गिरीह ।
- वृक्ष = तरू, द्रुत, पादप, विपट, अगम, गाछ, पेड़ आदि ।
(ii) एकार्थक शब्द किसे कहते हैं (Ekarthak Shabd Kise Kahate Hain)?
“वैसे शब्द जिनका अर्थ केवल एक ही होता है, उसे एकार्थक शब्द कहते हैं ।”
जैसे :- राम, श्याम, सीता, गीता, रीता, सहरसा, सारण, बिहार, अलकनंदा, भारत, नेपाल, रूस, अमेरिका, जापान, हिंदमहासागर, सूर्य, पृथ्वी आदि ।
(iii) अनेकार्थक शब्द किसे कहते हैं (Anekarthak Shabd Kise Kahate Hain)?
“वैसे एक शब्द जिनका एक से अधिक अर्थ होते हैं ,उसे अनेकार्थक शब्द कहते हैं।”
जैसे:- गुरू = श्रेष्ठ, पूज्य, शिक्षक, भारी, महत्, कठिन ।
आम = सामान्य, मामूली, एक फल आम्र ।
पक्ष = बगल, तरफ, पन्द्दह दिनों का समूह ।
अनुग्रह = कृपा, किसी छोटे से प्रसन्न होकर उसका कुछ उपकार करना आदि ।
(iv) विपरीतार्थक शब्द किसे कहते हैं (Viparitarthak Shabd Kise Kahate Hain)?
विपरीतार्थक शब्द किसे कहते हैं (Viparitarthak Shabd Kise Kahate Hain)?
“वैसे शब्द जिसका अर्थ उल्टा होता है, उसे विपरीतार्थक शब्द या विलोम शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
शब्द — विलोम शब्द ।
अग्रज —– अनुज
सार्थक —– निरर्थक
सुपुत्र —– कुपुत्र
अपमान —– सम्मान
अल्पवृष्टि —– अतिवृष्टि
उदय —– अस्त
सूर्योदय —– सूर्यास्त
सुगम —– कठिन आदि ।
(ख) व्युत्पत्ति या रचना या बनावट के आधार पर शब्द के कितने भेद होते हैं ?
व्युत्पत्ति या रचना या बनावट के आधार पर शब्द के निम्नांकित तीन भेद होते हैं :-
(I) रूढ़ शब्द
(ii) यौगिक शब्द
(iii) योगरूढ़ शब्द ।
(i) रूढ़ शब्द किसे कहते हैं (Rudh Shabd Kise Kahate Hain)?
“वह शब्द जिसे खंड करने पर खंडित भाग का अलग-अलग अर्थ नहीं निकलता है, उसे रूढ़ शब्द कहते हैं ।”
जैसे :-
- बल
विश्लेषण :- यदि हम “बल” शब्द को खंड करेंगे, तो “ब +ल” होगा । जिसके खंडित भाग का अलग-अलग अर्थ नहीं निकलता है । इसलिए “बल” शब्द रूढ़ शब्द है ।
- घर
विश्लेषण :- यदि हम “घर” शब्द को खंड करेंगे, तो “घ +र” होगा । जिसके खंडित भाग का अलग-अलग अर्थ नहीं निकलता है । इसलिए “घर” शब्द रूढ़ शब्द है ।
- मल
विश्लेषण :- यदि हम “मल” शब्द को खंड करेंगे, तो “म +ल” होगा । जिसके खंडित भाग का अलग-अलग अर्थ नहीं निकलता है । इसलिए “मल” शब्द रूढ़ शब्द है ।
- जल
विश्लेषण :- यदि हम “जल” शब्द को खंड करेंगे, तो “ज +ल” होगा । जिसके खंडित भाग का अलग-अलग अर्थ नहीं निकलता है । इसलिए “जल” शब्द रूढ़ शब्द है ।
अन्य उदाहरण :- हाथ, पैर, दिन, रात, मुंह, शाम, घोड़ा, गाय, बैल, जग, मत, कमल, कलम, नीला, पीला, जोड़ा, लाली, राजा, नाना, जाल, बाल, चाल, दाल, माली, ताली खाली इत्यादि ।
(ii) यौगिक शब्द किसे कहते हैं (Yaugik Shabd Kise Kahate Hain)?
“वैसे शब्द जिसे खंड करने पर खंडित भाग का अलग-अलग अर्थ निकलता है , उसे यौगिक शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
- रसोईघर = रसोई + घर
(रसोई = बना हुआ भोजन का, घर = आलय ।)
- पाठशाला = पाठ + शाला
(पाठ = पठन – पाठन का, शाला = घर) ।
- विद्यालय = विद्या + आलय
(विद्या = ज्ञान, बुद्धि, आलय = घर)
- राजकुमार = राज + कुमार
(राज = राजा, कुमार = पुत्र, बेटा)
- अन्य उदाहरण :- दुर्जन, निर्जन, राजकुमारी, घोड़ावाला, फलवाला, पनघट, बुद्धिमान, धनमान, धनवान, राजमंत्री, घुड़सवार, सरोवर, निर्माण, निर्जल राजमहल, राजरानी, राजमाता, राष्ट्रपिता, पुस्तकालय, शिवालय, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, इत्यादि ।
(iii) योगरूढ़ शब्द किसे कहते हैं (Yogrudh Shabd Kise Kahate Hain)?
“वे शब्द जो यौगिक के बने होते हैं, लेकिन सामान्य अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ ग्रहण कर लेते हैं, उसे योगरूढ़ शब्द कहते हैं।”
या ,
“वह शब्द जो समान अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ धारण करते हैं उसे योगरूढ़ शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
- पंक् + ज = पंकज ।
(पंक् – कीचड़ , ज – जन्म लेने वाला = कीचड़ में जन्म लेनेवाला अर्थात् “कमल”।)
- नील + कंठ = नीलकंठ ।
(नील – नीला , कंठ – कंठ = नीला है, जिसका कंठ अर्थात् “महादेव”।)
- चक्र + पाणि = चक्रपाणि ।
(चक्र – चक्र या चक्का , पाणि – हाथ = जिसके हाथ में चक्र हो, अर्थात् “विष्णु” ।)
- पीत + अंबर = पीताम्बर ।
(पीत – पीला , अंबर – वस्त्र = पीला हो , अंबर जिसका अर्थात् “विष्णु” ।)
- अन्य, योगरूढ़ शब्द का उदाहरण:- लंबोदर, वीणापाणि, चक्रधर, दशानन, गिरधारी, पीतांबर, पद्मासन, हंसवाहिनी, हंसासिनी, चतुरानन, एकदन्त, पशुपति, वज्रपाणि, घनश्याम, भूमिजा, हलधर, सुतपुत्र, युधिष्ठिर, सुग्रीव, महीपाल, मयूरवाहन, मनोज, देवराज, चंद्रचूड़, चंद्रमौली, हिमसूता इत्यादि ।
नोट (Note):- बहुव्रीहि समास के सभी उदाहरण योगरूढ़ शब्द होते हैं ।
(ग) उत्पत्ति के आधार पर शब्द के कितने भेद होते हैं ?
“उत्पत्ति के आधार पर शब्द के निम्नांकित पांच भेद होते हैं” :-
(i) तत्सम शब्द
(ii) तद्भव शब्द
(iii) देशज शब्द
(iv) विदेशज शब्द
(V) वर्ण-शंकर शब्द ।
- तत्सम = तत् + सम ।
- तत् = उसी या उसके ।
- सम = समान ।
- तत्सम का अर्थ :- उसी के समान अर्थात् संस्कृत के समान ।
(i) तत्सम शब्द किसे कहते हैं (Tatsam Shabd kise kahate Hain)?
“वैसे शब्द जो संस्कृत से जयों-के -त्यों हिंदी में प्रयोग किए जाते हैं तथा जिनमें कोई ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है, उसे तत्सम शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
तत्सम – हिन्दी (अर्थ)
क्षीर – खीर ।
खर्पर – खपरा, खप्पर ।
गोमल – गोबर ।
सपत्नी – सौत । आदि ।
नोट (Note):- (i) हिंदी में प्रयुक्त संस्कृत के मूल शब्द को भी तत्सम शब्द कहते हैं ।
- तद्भव = तत् + भव ।
- तत् = उससे ।
- भव = होना ।
- तद्भव का अर्थ :- उसे होना अर्थात् संस्कृत शब्दों से विकृत होकर बने शब्द “तद्भव” है ।
(ii) तद्भव शब्द किसे कहते हैं (Tadbhaw Shabd Kise Kahate Hain)?
“हिंदी में प्रयुक्त संस्कृत के बिगड़े (विकृत) हुए शब्द को तद्भव शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
तत्सम – तद्भव
घण्टिका – घंटी ।
भल्लुक – भालू ।
पंख – पाँख ।
नग्न – नंगा ।
तन्तु – ताँता ।
दंश – डंक ।
चन्द्र – चाँद ।
अंगोञ्छ – अँगोछा ।
अघोर – औघड़ ।
कर्कटी – ककड़ी ।
कज्जल – काजल । आदि ।
तद्भव शब्द कितने प्रकार के होते हैं ?
“तद्भव शब्द निम्नांकित दो प्रकार के होते हैं” :-
(क) संस्कृत से आनेवाले शब्द
(ख) प्राकृत से आनेवाले शब्द ।
(क) संस्कृत से आनेवाले शब्द:- “वह शब्द जो संस्कृत से सीधे हिंदी में प्रयुक्त होता है, उसे संस्कृत से आने वाले शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
संस्कृत – तद्भव (हिन्दी) ।
मया – मैं ।
अग्नि – आग ।
वत्स – बच्चा, बाछा ।
मयूर – मोर ।
वचन – बैन । आदि ।
(ख) प्राकृत से आनेवाले शब्द:- “वह शब्द जो प्राकृत से सीधे हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, उसे प्राकृत शब्द कहते हैं।”
जैसे:-
प्राकृत – तद्भव (हिन्दी)
कओ – किया ।
चत्तारि – चार ।
मऊर – मोर ।
नअ – नौ ।
पुप्फ – फूल । इत्यादि ।
- देशज = देश + ज ।
- देश = देश या राष्ट्र ।
- ज = जन्मनेवाला ।
- देशज शब्द का अर्थ :- देश में जन्मा अर्थात् ऐसे शब्द जो क्षेत्रीय भाषा से बनकर प्रचलित हुए हैं।
(iii) देशज शब्द किसे कहते हैं (Desaj Shabd Kise Kahate Hain)?
“जिस शब्द की उत्पत्ति (जन्म) देशी भाषा के बोलचाल से हुई है , उसे देशज शब्द कहते हैं।”
जैसे :- तकिया, थारी, डिबिया, बिरवा, कटोरी, हसुआ, टाँग, पिल्ला, डाभ, खरहा, अँहड़ा, अटकन-बटकन, आल्हा, गिलौरी, कबड्डी, भड़ास, मँडुआ, ठेठ, कटरा, डोंगा, खखरा, तेंदुआ, टट्टू, फटफटिया इत्यादि ।
नोट (Note) :-
(i) आदिवासियों से प्राप्त शब्द भी देशज होते हैं ।
जैसे :- अनल, इडली, कपास, डोसा, परवल, बाजरा, ताम्बुल, बाजरा, ताला, लूँगी, चिकना इत्यादि ।
(ii) देशज शब्द को “देशी शब्द” भी कहा जाता है ।
(iii) देशज शब्द की उत्पत्ति किसी संस्कृत धातु या व्याकरण नियमों से नहीं हुई है ।
- विदेशज = विदेश + ज ।
- विदेश = अन्य देश ।
- ज = जन्मनेवाला ।
- विदेशज शब्द का अर्थ:- विदेश में जन्मा अर्थात् जिस शब्द की उत्पत्ति विदेश में हुई है।
(iv) विदेशज शब्द किसे कहते हैं (Videshaj Shabd Kise Kahate Hain?)
“जिस शब्द की उत्पत्ति विदेशी भाषाओं से हुई है, उसे विदेशज शब्द कहते हैं।”
जैसे :- मुहावरा, चाकलेट, क्रिकेट, मशहूर, उज़बेक, लाश, मजिस्ट्रेट, डाॅक्टर, डिप्टी, पिकनिक आदि ।
नोट (Note) :-
(क) विदेशज शब्दों में कुछ शब्दों को ज्यों-का-त्यों हिंदी में अपना लिया गया है।
जैसे :- कंपनी, कैम्प, क्रिकेट आदि।
(ख) कुछ विदेशज शब्दों को हिंदीकरण के बाद अपनाया गया है ।
जैसे:- कैप्टन – कप्तान ।
हाॅस्पिटल – अस्पताल ।
लैन्टर्न – लालटेन आदि ।
हिंदी में प्रयुक्त कुछ विदेशी भाषाओं की शब्द निम्नलिखित हैं:-
(क) अरबी शब्द :- हुस्न, हौसला, हुक़्म, अक्ल, अज़ायब, अदालत, लिफ़ाफा, हाजिर, ग़जल, तबीयत, ज़ुलूस, मवाद, फ़रार, कहवा, इत्र, मशाल आदि ।
(ख) फारसी शब्द :- अदा, क़मीना, क़िशमिश, ख़ुदा, गिरफ़्तार, चश्मा, जमींदार, ज़ुरमाना, ज़रूरी, लेकिन, सौदागर, आईना, आराम, मज़ा, नौजवान, बदन, पंज़ाबी, मुसलमान, हिन्दी, मेहमान, आदि ।
(ग) तुर्की शब्द :- लफंगा, चेचक, सौगात, कुली, बेगम, तलाश, कज्जाक, तमगा, चोंगा, सुराग, आका, बारूद, आगा, चमचा, खच्चर आदि ।
(घ) फ्रेंच शब्द :- अंग्रेज, बादाम, कर्फ्यू, कूपन, लैम्प आदि ।
(ङ) पाश्तो शब्द :- तहस-नहस, अटकल, रोला, मटरगश्ती, गुलगपाड़ा, खचड़ा, कलूटा आदि ।
(च) पूर्तगाली शब्द :- मिस्त्री, चाबी, गोदाम, तौलिया, संतरा, आलपिन, इस्त्री, इस्पात, बोतल, बाल्टी, गमला, कर्नल, कमरा, अनानास, कमीज, गोभी, अलमारी आदि ।
(छ) अंग्रेजी शब्द :- चाॅकलेट, टाॅपर, हाॅस्पिटल, लाइब्रेरी, हैट, हार्निया, स्कूल, काॅलेज, यूनिवर्सिटी, लाईन आदि ।
(ज) डच शब्द :- तुरूप, बम आदि ।
(झ) चीनी शब्द :- चाय, लीची, चीनी आदि ।
(ञ) रूसी शब्द :- रूबल, स्पूतनिक, सोवियत आदि ।
(v) वर्ण-संकर शब्द किसे कहते हैं (Varn Sankar Shabd Kise Kahate Hain?)
“दो भाषाओं के मेल से जो शब्द बनते हैं, उसे मूल–संकर शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
हिन्दी + अंग्रेजी शब्द – टिकटघर, रेलगाड़ी, रेलयात्रा, लाठीचार्ज आदि ।
हिन्दी + अरबी शब्द – शराबी, मुखतारी, कानूनिया, इमामबाड़ा, जमावड़ा, डोलची आदि ।
हिन्दी + फारसी – राजमहल, मोमबत्ती, धोखेबाज, अवारापन, जोशीला, जूताखोर आदि ।
अरबी + फारसी – बेईमान, खुशबू, रोजनामचा, आदमकद, अलमस्त इत्यादि ।
(घ) रूपांतरण के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं ?
“रूपांतरण के आधार पर शब्द निम्नांकित दो प्रकार के होते हैं” :-
(i) विकारी शब्द
(ii) अविकारी शब्द ।
(i) विकारी शब्द किसे कहते हैं (Vikari Shabd Kise Kahate hain?)
“वह शब्द जो लिंग, वचन, पुरुष और कारक के आधार पर रूप परिवर्तन करता है, उसे विकारी शब्द कहते हैं।”
जैसे :-
संज्ञा :-
- घोड़ा का – घोड़ी, घोड़ें, घोड़ी, घोड़ियाँ, घोड़ियों।
- लड़का का – लड़की, लड़कें, लड़कियाँ, लड़कों, लड़कियों ।
- स्त्री की – पुरूष, स्त्रियाँ, पुरूषों ।
सर्वनाम :-
- मैं- मेरा, मेरी, मेरे, मुझे, मुझ, मुझी ।
- वह – उस, उसने, उसे, उसी, उन ।
- तुम – तुम्हें, तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे ।
- वे – उन्हें, उन्हीं, उसने, उनको ।
- हम – हमारा, हमारी, हमारे, हमें, हमीं । इत्यादि ।
विशेषण :-
- दूसरा, दूसरी, दूसरे ।
- अच्छा, अच्छे, अच्छी ।
- काला, काली, काले ।
- नया, नये , नयी ।
- बुरा, बुरी, बुरे ।
- गौरा, गौरी, गौरें ।
- पीला, पीली, पीले । इत्यादि ।
क्रिया :-
- जाता, जाती, जाते ।
- पढ़ता, पढ़ती, पढ़ते ।
- पढ़ा, पढ़ी, पढ़ें ।
- पढ़ूँगा, पढ़ूँगी, पढ़ूँगें ।
- पढ़ूँ, पढ़ो, पढ़ें ।
- जाऊँगा, जाऊँगी, जाओगे । आदि ।
(ii) अविकारी शब्द किसे कहते हैं (Avikari Shabd kise kahate Hain?)
“वह शब्द जो लिंग, वचन, पुरुष व कारक के आधार पर अपना रूप परिवर्तन नहीं करता है, उसे अविकारी शब्द कहते हैं।”
जैसे :- पर, से, में, यहाँ, वहाँ, अब, जब, भीतर, बाहर, आगे से आदि ।
नोट (Note) :- अविकारी शब्द को ही “अव्यय” कहते हैं ।
अविकारी शब्द या अव्यय कितने प्रकार के होते हैं ?
“अविकारी शब्द या अव्यय निम्नांकित चार प्रकार के होते हैं” :-
(i) क्रिया-विशेषण :- यहाँ, वहाँ, अब, जब, इधर-उधर, आज, कल, परसों आदि ।
(ii) संबंधबोधक अव्यय :- में, से, पर, के भीतर, के नीचे, के बाहर, के सामने आदि।
(iii) समुच्चयबोधक अव्यय :- और, तथा, एवं, क्योंकि, या, तो, यदि, किंतु, परंतु, अथवा, इसलिए आदि ।
(iv) विस्मयादिबोधक अव्यय :- हे!, अरे!, अजी!, या!, अहा!, अहो!, हाय!, हा!, या अल्लाह!, रे!, राम-राम!, या खुदा! आदि।
निष्कर्ष :-
मैं आशा करता हूँ ,कि उक्त लिखित पोस्ट (Post) में शब्द किसे कहते हैं (Shabd kise kahate hain), शब्द का उदाहरण, व्याकरण शब्द के महत्व, पद का परिभाषा शब्द एवं पद में अंतर, शब्द के अर्थ के साधन, शब्द के प्रकार को सरलतम व क्रमबद्धता पूर्वक समझे होगे । जो आप लोगों का बोर्ड एग्जाम के साथ-साथ कॉम्पिटेटिव एग्जाम के लिए भी उपयोगी लगे होंगे ।
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