संज्ञा किसे कहते हैं? (Sangya ki paribhasha), संज्ञा का उदाहरण (Sangya ka Udaharan), संज्ञा का भेद Sangya ka bhed), शाब्दिक अर्थ आदि ।
मेरे प्यारे साथियों एवं पाठकों इस पोस्ट (Post) के अंतर्गत हम सभी,जानेंगे कि संज्ञा किसे कहते हैं ? (Sangya ki paribhasha), उदाहरण, (Sangya ke Udaharan) शाब्दिक अर्थ, भेद, भेदों का उदाहरण को साधारण भाषा में समझाने का प्रयास किया गया हैं ।
संज्ञा = सम् + ज्ञा ।
“सम्” का अर्थ :- सम्यक रूप से या पूर्ण रूप से ।
“ज्ञा” का अर्थ :- ज्ञान करानेवाली इकाई ।
“संज्ञा’ का अर्थ क्या होता है (Sangya ka arth)
“किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव का सम्यक (उपयुक्त) रूप से ज्ञान करानेवाली इकाई ” ।
संज्ञा किसे कहते हैं ? (Sangya Kise Kahate Hian)
“किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते है ।”
जैसे :- व्यक्ति :- राम, श्याम, मोहन, सीता, कमला, राधा, मीरा, पार्वती, द्रौपदी, रणजीत, अरविंद, अरूण, सुमन, चंदन, दीपक इत्यादि ।
वस्तु :- कलम, कांपी, मेज, कुकर, किताब, रामायण, रामचरितमानस, समाचार पत्र इत्यादि ।
स्थान:- सुपौल, सहरसा, मधुबनी, पटना, सदानंदपुर, कल्याणपुर, बिशनपुर, बिहार, आगरा, भारत, अमेरका, नेपाल, पाकिस्तान, चीन इत्यादि ।
भाव :- जिन्हें हम केवल महसुस करते है ।
जैसे :- क्रोध, क्षमा, दया, प्यार, विश्वास इत्यादि ।
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उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर संज्ञा के कितने पक्ष होते है ?
उपर्युक्त परिभाषा के आधार पर संज्ञा के निम्नांकित दो (02) पक्ष होते है :-
पहला पक्ष दूसरा पक्ष
व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव = नाम (पहचान)
* किसी भी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव का जबतक कोई नाम नहीं होगा वह तबतक संज्ञा नहीं होगी ।
* भाव से केवल भाववाचक संज्ञा बनती है । अर्थात् शेष संज्ञा व्यक्ति, वस्तु या स्थान से बनती है ।
* नोट(Note) :- (i) “संज्ञा” अन्य व्याकरणिक इकाईयों का आधार है ।
(ii) संज्ञा को “नाम” कहकर भी संबोधित किया जाता है ।
(iii) यदि संज्ञा – शब्दों की एक सूची बनायी जाए , तो इसमें असंख्य शब्द आ जाएँगे । अतः इसे “महानाम” भी कहा जाता है ।
(iv) “रंगों” का नाम :- लाल, काला, पीला, हरा आदि संज्ञा नहीं है, बल्कि ये विशेषण हैं ।
जैसे :- श्याम काला है । (काला – विशेषण है , क्योकि यहाँ “काला” श्याम का विशेषता बतला रहा है ।)
* साड़ी लाल है । (लाल – विशेषण है, क्योंकि “लाल” साड़ी की विशेषता बतला रहा है ।) आदि ।
दोस्तों हमने ऊपर संज्ञा किसे कहते हैं (Sangya ki paribhasha) एवं उनके उदाहरण (Sangya Ke Uadaharan) को जानें , अब संज्ञा का शाब्दिक अर्थ एवं कार्य को जानते हैं ।
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ? ( Sangya ka shabdik arth )
उत्तर- संज्ञा का शाब्दिक अर्थ “नाम” होता है ।
संज्ञा के कार्य या उद्देश्य (Sangya ke kary) :-
(i) वैसे नामों का बोध कराना , जो संसार में “केवल एक” ही हो ।
जैसे :- राम, सीता, पृथ्वी, चन्द्रमा, पटना, दिल्ली, सोमवार, बुधवार, वृहस्पतिवार, रविवार, जनवरी, फरवरी, अगस्त, अक्टूबर, दिसंबर, भारत, एशिया, हिमालय, रामायण, गंगा , हिन्द महासागर आदि ।
(ii) वैसे नामों को बतलाना जिनसे उसकी “जाति” का बोध हो ।
जैसे :- गाय, बैल, पशु, तोता, मैना, कबूतर, पक्षी, चींटी, खटमल, कीट, आम, इमली, फल, कुर्सी, टेबुल, समान, मोटर, गाड़ी, सवारी, भाई, बहन, लड़का, लड़की, संबंधी, राजा, रानी, पद, मर्द, पुरूष, स्त्री इत्यादि ।
(iii) वैसे नामों को बतलाना जिनसे उनके “समुह” का बोध होता हो ।
जैसे :- वर्ग, मेला, सेना, गुच्छा, परिवार, खानदान, झुंड, सभा, घौद, समिति इत्यादि ।
(iv) वैसे धातु या द्रव्य के नामों को बतलाना जिन्हें “मापा या तौला” जाता है ।
जैसे :- सोना, चांदी, हीरा, मोती, तेल, घी, चावल, दाल, लकड़ी, कोयला इत्यादि ।
(v) वैसे नामों को बतलाना जिनसे व्यक्तियों या वस्तुओं के भाव, गुण, दोष, अवस्था, गति, क्रिया आदि का बोध हो ।
जैसे :- मित्रता, शत्रुता, जवानी, बुढ़ापा, सुस्ती, फूर्ती, ईमानदारी, करूणा, दया, खटास, मिठास, लम्बाई, चौड़ाई, पढ़ाई, लिखाई, इतिहास, भूगोल इत्यादि ।
दोस्तों हमने ऊपर संज्ञा किसे कहते हैं ? (Sangya ki paribhasha) एवं उनके उदाहरण (Sangya Ke Udaharan) संज्ञा का शाब्दिक अर्थ एवं कार्य को जानें अब संज्ञा का प्रयोग, संज्ञा का रूपांतर, शाब्दिक परिचय , भेद को जानते हैं।
संज्ञा का प्रयोग (Sangya ka Prayog) :-
संज्ञा के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है ।
जैसे :- (क) जातिवाचक से व्यक्तिवाचक :- कभी-कभी “जातिवाचक” संज्ञाओं का प्रयोग “व्यक्तिवाचक” संज्ञाओं में होता है ।
जैसे :- “पुरी” से – जगन्नाथपुरी, अमरेशपुरी आदि ।
(अतः यहाँ “पुरी” का अर्थ “नगरी” होता है और नगरी कहने से संसार के सभी “नगरी” का बोध होता है। इसलिए “पुरी” जातिवाचक संज्ञा है।)
देवी कहने से – दूर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, द्रौपदी आदि ।
(अतः “देवी” कहने से संसार के सभी “देवी” का बोध होता है। इसलिए “देवी” जातिवाचक संज्ञा है।)
दाऊ से – कृष्ण के भाई ‘बलराम’ का बोध होता है ।
(अतः यहाँ “दाऊ” का अर्थ “बड़े भाई या भ्राता” होता है और “बड़े भाई या भ्राता” कहने से संसार के सभी “बड़े भाई या भ्राता” का बोध होता है। इसलिए “दाऊ” जातिवाचक संज्ञा है।)
संवत् से – विक्रम संवत् का बोध होता है ।
(अतः यहाँ “संवत्” का अर्थ “साल/वर्ष“ होता है और “साल/वर्ष” कहने से सभी “साल/वर्ष” का बोध होता है। इसलिए “संवत्” जातिवाचक संज्ञा है।)
गोस्वामी से – तुलसीदास का बोध होता है । आदि
(ख) व्यक्तिवाचक से जातिवाचक :– कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है । ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है । ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक , जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है ।
जैसे :- गाँधी अपने समय के “कृष्ण” थे ।
यशोदा हमारे घर की “लक्ष्मी” है ।
तुम कलियुग के “भीम” हो इत्यादि ।
(ग) भाववाचक से जातिवाचक :- कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है ।
जैसे :- ये सब कैसे अच्छे पहनवे हैं ?
(यहाँ “पहरावा” भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ । ‘पहरावे’ से कोई “पहनने के वस्त्र” का बोध होता है ।)
संज्ञा का रूपांतर किन-किन आधारों पर होता हैं ? (Sangya ka Rupantar)
:- संज्ञा का रूपांतर निम्न आधारों पर होता हैं :-
(क) लिंग के आधार पर
नर खाता है – नारी खाती है ।
लड़का खाता है – लड़की खाती है ।
(अतः वाक्यों में “नर” पुलिंग है और “नारी” स्त्रीलिंग। “लड़का” पुलिंग है और “लड़की” स्त्रीलिंग । इस प्रकार लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपांतर होता है ।)
(ख) वचन के आधार पर
लड़का खाता है – लड़के खाते हैं ।
लड़की खाती है – लड़कियाँ खाती हैं ।
एक लड़का जा रहा है – तीन लड़के जा रहें हैं ।
घोड़ा चलता है – घोड़े चरते हैं ।
(अतः इन वाक्यों में ‘लड़का’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़के’ एक से अधिक के लिए। ‘लड़की’ शब्द एक के लिए आया है और ‘लड़कियाँ’ एक से अधिक के लिए। ‘घोड़ा’ शब्द एक के लिए आया है और ‘घोड़ें’ एक से अधिक के लिए प्रयोग हुआ है । यहाँ संज्ञा के रूपांतर का आधार “वचन” है । “लड़का’ एकवचन और ‘लड़के’ बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है ।
(ग) कारक-चिन्हों के आधार पर –
लड़का खाना खाता है – लड़के ने खाना खाया ।
लड़की खाना खाती है – लड़कियों ने खाना खायी ।
(अतः इन वाक्यों में “लड़का खाता है” में ‘लड़का’ पुलिंग, एकवचन है और ‘लड़के ने खाना खाया’ में भी “लड़के” पुलिंग, एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है । इस रूपांतर का कारण कर्ता कारक का चिन्ह “ने” है, जिससे एकवचन होते हुए भी ‘लड़के’ रूप हो गया है । इसी तरह लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आई है । इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक – चिन्ह के भी होती है और कारक-चिन्हों के साथ भी । दोनों स्थितियों में संज्ञाएं एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है ।
जैसे :- बिना कारक – चिन्ह के – लड़के खाना खाते है । (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना खाती है । (बहुवचन)
कारक-चिन्हों के साथ – लड़कों ने खाना खाया ।
लड़कियों ने खाना खायी ।
लड़कों से पूछो ।
लड़कियों से पूछो ।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपांतर लिंग, वचन और कारक चिन्हों के कारण होता है ।
संज्ञा का शाब्दिक परिचय :-
(i) संज्ञा कौन – सा शब्द है?
उत्तर- विकारी ।
(ii) संज्ञा का संधि-विच्छेद क्या होता है ?
उत्तर- सम् + ज्ञा ।
(iii) संज्ञा का वर्ण-विच्छेद क्या होता है ?
उत्तर– स्+म् +अ+ज्+ञ्+आ ।
(iv) संज्ञा का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?
उत्तर- नाम ।
(v) संज्ञा का लिंग क्या होता है ?
उत्तर- वाक्य में कर्ता के आधार पर यह “स्त्रीलिंग और पुलिंग” दोनों होते है ।
(vi) संज्ञा में कौन – सा उपसर्ग है ?
उत्तर- सम् उपसर्ग ।
(vii) संज्ञा का अंग्रेजी क्या होता है ?
उत्तर- Noun ।
(Viii) संज्ञा का पर्यायवाची शब्द क्या होता है ?
उत्तर- नाम, पहचान, महानाम ।
(Ix) “नाम” का शाब्दिक अर्थ क्या होता है ?
उत्तर- पहचान ।
(x) Noun की उत्पत्ति किससे हुई है एवं उनका अर्थ क्या होता है ?
उत्तर- Noun की उत्पत्ति लैटिन भाषा के “Nomen” से हुई है, जिसका अर्थ – “नाम” होता है ।
संज्ञा को कितने आधार पर विभेदित किये जाते हैं ?
:- संज्ञा को निम्नांकित दो (02) आधार पर विभेदित किये जाते हैं :-
(क) परम्परागत या प्राचीन मान्यता या अर्थ के आधार पर
(ख) आधुनिक मान्यता के आधार पर
(क) परम्परागत या प्राचीन मान्यता या अर्थ के आधार पर संज्ञा के कितने भेद हैं ?
“परम्परागत या प्राचीन मान्यता या अर्थ के आधार पर संज्ञा के निम्नांकित पाँच (05) भेद हैं “:-
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
(ii) जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
(iii) समुहवाचक संज्ञा (Collective Noun)
(iv) द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun)
(v) भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) ।
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं (Vyakti Vachak Sangya Kise Kahate Hain):
“वह संज्ञा जो किसी एक व्यक्ति विशेष, एक वस्तु विशेष, एक स्थान विशेष का बोध कराती है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं “।
जैसे:- राम , विवेक , विनोद , कविता , कंचन , सुलेखा आदि |
(ii) जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं (Jati Vachak Sangya Kise Kahate Hain):
“वह संज्ञा जो सम्पूर्ण जाति का प्रतिनिधित्व करती है, उसे Jativachak Sangya कहते हैं “।
जैसे:-गाय, भैंस, मनुष्य, बकरी, कुत्ता, पर्वत, लड़का , लड़की , घड़ी आदि |
(iii) समुहवाचक संज्ञा किसे कहते हैं (Samuh Vachak Sangya Kise Kahate Hain):
“जहाँ एक निश्चित दायरे में काफी संख्या में व्यक्तियों (मानव, पशु, पक्षी) या वस्तुओं का एकत्र होना पाया जाता है, उसे “समुह” कहते हैं और इस समुह को जो नाम दिया जाता है , उसे समुहवाचक संज्ञा कहते हैं “।
जैसे:- बाजार, घर , परिवार,मेला, हांथियों का झुण्ड , वर्ग , खानदान आदि |
(iv) द्रव्यवाचक संज्ञा किसे कहते हैं (Dravya Vachak Sangya Kise Kahate Hain):
“जिस संज्ञा से किसी मापने या तौलने वाली वस्तु का बोध होता है , उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं “।
जैसे:- तेल , आटा, पानी , गेंहू , चावल , दाल , दूध , दही , आदि |
(v) भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं (Bhav Vachak Sangya Kise Kahate Hain):
“जिस संज्ञा से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, धर्म, दोष, आकार, अवस्था या व्यापार आदि का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं “।
जैसे:- बचपन , बुढ़ापा , जवानी , दुःख , सुख , लिखावट , खटास , मिठास , प्रेम , आदि |
(ख)आधुनिक मान्यता के आधार पर संज्ञा के कितने भेद है?
“आधुनिक मान्यता के आधार पर संज्ञा के निम्नांकित तीन (03) भेद है ” :-
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
(ii) जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
(v) भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) ।
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संज्ञ किसे कहते हैं ? मेरे प्यारे साथियों एवं पाठकों इस पोस्ट (Post) के अंतर्गत हम सभी ने समझा ” संज्ञा किसे कहते हैं ?(Sangya ki paribhasha)” संज्ञा के शाब्दिक अर्थ, संज्ञा के सभी भेद एवं उनके उदाहरण बताने का प्रयास किया हूँ । संज्ञा किसे कहते हैं ?(Sangya ki paribhasha) एवं संज्ञा के भेदों को विस्तार से जाना |
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धन्यवाद !
Bahut Sundar lagata hai padhna he
Thank You For Your Lovely Comment.
Kumkum kumari
Sundar