दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं ? (Dirgh Swar Sandhi Kise Kahate Hain),परिभाषा, नियम और उदाहरण आदि |
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दीर्घ स्वर संधि किसे कहते हैं ? (Dirgh Swar Sandhi Kise Kahate Hain)
” दो सवर्ण (समान वर्ण) या सजातीय स्वर वर्ण (अ-आ,इ-ई,उ-ऊ,ऋ-ॠ) के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे दीर्घ स्वर संधि या (दीर्घ संधि) कहते हैं। ”
अथवा,
“दो ह्रस्व स्वर या दो दीर्घ स्वर या एक ह्रस्व तथा एक दीर्घ स्वर के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है ,उसे दीर्घ स्वर संधि कहते हैं। ”
* नोट:- (i) ह्रस्व स्वर+ ह्रस्व स्वर = दीर्घ स्वर ।
(ii) दीर्घ स्वर + दीर्घ स्वर = दीर्घ स्वर ।
(iii) ह्रस्व स्वर + दीर्घ स्वर = दीर्घ स्वर ।
दीर्घ संधि के चार नियम देखे जाते हैं (Dirgh Sandhi Ke Niyam ):-
(क) अ/आ + अ/आ = आ
जैसे – अ + अ = आ = राम + अयन = रामायण ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘अ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘अ‘ एवं ‘अ‘ मिलकर “आ” बनाते हैं। अतः ‘राम‘ एवं ‘अयन‘ से मिलकर “रामायण“ बनता है। अतः “रामायण” दीर्घ संधि है ।)
अ + आ = आ = परम + आत्मा = परमात्मा ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘अ‘ एवं ‘आ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है ,तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती, है तो ‘अ’ एवं ‘आ‘ मिलकर “आ” बनाते हैं। अतः ‘परम‘ एवं ‘आत्मा‘ से मिलकर “परमात्मा” बनता है। अतः “परमात्मा” दीर्घ संधि है ।)
आ + अ = आ = विद्या + अर्थी = विद्यार्थी ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ‘ एवं ‘अ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है ,तो ‘आ‘ एवं ‘अ‘ मिलकर “आ” बनाते हैं। अतः ‘विद्या‘ एवं ‘अर्थी‘ से मिलकर “विद्यार्थी” बनता है। अतः “विद्यार्थी” दीर्घ संधि है ।)
आ + आ= आ = महा + आशय = महाशय ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘आ‘ एवं ‘आ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘आ‘ एवं ‘आ‘ मिलकर “आ” बनाते हैं। अतः ‘महा‘ एवं ‘आशय’ से मिलकर “महाशय” बनता है। अतः “महाशय” दीर्घ संधि है ) आदि ।
(ख) इ/ई + इ/ई = ई ।
जैसे :- इ + इ = ई = गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘इ‘ एवं ‘इ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘इ‘ एवं ‘इ‘ मिलकर “ई” बनाते हैं। अतः ‘गिरि’ एवं ‘इन्द्र’ से मिलकर “गिरीन्द्र” बनता है। अतः “गिरीन्द्र” दीर्घ संधि है ।)
इ + ई = ई = गिरि + ईश = गिरीश ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘इ‘ एवं ‘ई‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘इ‘ एवं ‘ई‘ मिलकर “ई” बनाते हैं। अतः ‘गिरि‘ एवं ‘ईश‘ से मिलकर “गिरीश” बनता है। अतः “गिरीश” दीर्घ संधि है ।)
ई + इ = ई = मही + इन्द्र = महीन्द्र ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ई‘ एवं ‘इ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘ई‘ एवं ‘इ‘ मिलकर “ई” बनाते हैं। अतः ‘मही’ एवं ‘इन्द्र‘ से मिलकर “महीन्द्र” बनता है। अतः “महीन्द्र” दीर्घ संधि है ।)
ई + ई = ई = पृथ्वी + ईश = पृथ्वीश ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ई‘ एवं ‘ई‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘ई‘ एवं ‘ई‘ मिलकर “ई” बनाते हैं। अतः ‘पृथ्वी‘ एवं ‘ईश‘ से मिलकर “पृथ्वीश” बनता है। अतः “पृथ्वीश” दीर्घ संधि है ) आदि ।
(ग) उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ ।
जैसे :- उ+उ = ऊ =भानु + उदय = भानूदय ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘उ‘ एवं ‘उ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘उ‘ एवं ‘उ‘ मिलकर “ऊ” बनाते हैं। अतः ‘भानु‘ एवं ‘उदय‘ से मिलकर “भानूदय” बनता है। अतः “भानूदय” दीर्घ संधि है ।)
उ + ऊ = ऊ = सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘उ‘ एवं ‘ऊ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘उ‘ एवं ‘ऊ‘ मिलकर “ऊ” बनाते हैं। अतः ‘सिंधु‘ एवं ‘“ऊर्मि‘ से मिलकर “सिंधूर्मि” बनता है। अतः “सिंधूर्मि” दीर्घ संधि है ।)
ऊ + उ = ऊ = भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ऊ’ एवं ‘उ’ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘ऊ‘ एवं ‘उ’ मिलकर “ऊ” बनाते हैं। अतः ‘भू’ एवं ‘उत्सर्ग‘ से मिलकर “भूत्सर्ग” बनता है। अतः “भूत्सर्ग” दीर्घ संधि है ।)
ऊ + ऊ = ऊ = वधू + ऊर्मि = वधूर्मि ।
(जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, कि ‘ऊ‘ एवं ‘ऊ‘ ये दोनों स्वर शब्दों में है। जब शब्दों की संधि की जाती है, तो इन ही दोनों स्वरों के कारण शब्दों में परिवर्तन आता है। जब संधि होती है, तो ‘ऊ‘ एवं ‘ऊ‘ मिलकर “ऊ” बनाते हैं। अतः ‘वधू‘ एवं ‘ऊर्मि‘ से मिलकर “वधूर्मि” बनता है। अतः “वधूर्मि” दीर्घ संधि है ) आदि ।
(घ) ऋ + ऋ = ऋ । ( इसका प्रयोग केवल संस्कृत मे होता है ।)
जैसे :- ऋ + ऋ = ॠ = पितृ + ऋण = पितृऋण आदि ।
दीर्घ संधि के उदाहरण (Dirgh Sandhi Ke Udaharan):-
संधिपद —→ संधि-विच्छेद
1. अन्यान्य = अन्य + अन्य ।
2. असुरालय = असुर + आलय ।
3. अनाथालय = अनाथ + आलय ।
4. अभीष्ट = अभि + इष्ट ।
5. अतीव = अति + इव ।
6. अतीन्द्रिय = अति + इन्द्रिय ।
7. अयनांश = अयन + अंश ।
8. अनाथाश्रम = अनाथ + आश्रम ।
9. आशातीत = आशा + अतीत ।
10. अन्नाभाव = अन्न + अभाव ।
11. ऊहापोह = ऊह + अपोह ।
12. अत्तरायन = उत्तर अयन ।
13. एकांकी = एक + अंकी ।
14. एकानन = एक + आनन ।
15. ऐतरारण्यक = ऐतरेय + आरण्यक ।
16. कपीश = कपि + ईश ।
17. करूणामृत = करूण + अमृत ।
18. कमान्ध = काम + अन्ध ।
19. कामारि = काम + अरि ।
20. कृपाचार्य = कृपा + आचार्य ।
21. कृपाकांक्षी = कृपा + आकांक्षी ।
22. कृष्णानन्द = कृष्ण + आनन्द ।
23. केशवारि = केशव + अरि ।
24. कोमलांगी = कोमल + अंगी ।
25. कंसारि = कंस + अरि ।
26. कवीन्द्र = कवि + इन्द्र ।
27. कवीश = कवि + ईश ।
28. कल्पान्त = कल्प + अन्त ।
29. कुशासन = कुश + आसन ।
30. कौरवारि = कौरव + अरि ।
31. केशान्त = केश + अन्त ।
32. कुशाग्र = कुश + अग्र ।
33. गिरीश = गिरि + ईश ।
34. गजानन = गज + आनन ।
35. गिरीन्द्र = गिरि + इन्द्र ।
36. गुरूपदेश = गुरू + उपदेश ।
37. गीतांजलि = गीत + अंजलि ।
38. गेयात्मकता = गेय + आत्मकता ।
39. गोत्राध्याय = गोत्र + अध्याय ।
40. घनानंद = घन + आनंद ।
41. घनान्धकार = घन + अन्धकार ।
42. चतुरानन = चतुर + आनन ।
43. चन्द्राकार = चन्द्र + आकार ।
44. चरणायुध = चरण + आयुध ।
45. चरणामृत = चरण + अमृत ।
46. चरणारविंद = चरण + अरविंद ।
47. चमूत्साह = चमू + उत्साह ।
48. चरित्रांकन = चरित्र + अंकन ।
49. चिरायु = चिर + आयु ।
50. छात्रावस्था = छात्र + अवस्था ।
51. छात्रावास = छात्र + आवास ।
52. जलाशय = जल + आशय ।
53. जन्मान्तर = जन्म + अन्तर ।
54. जनाश्रय = जन + आश्रय ।
55. जनकांगजा = जनक + अंगजा ।
56. जानकीश = जानकी + ईश ।
57. जीर्णांचल = जीर्ण + अंचल ।
58. जिह्वाग्र = जिह्वा + अग्र ।
59. झंझानिल = झंझा + अनिल ।
60. तथागत = तथा + आगत ।
61. तथापि = तथा + अपि ।
62. तिमिराच्छादित = तिमिर + आच्छादित ।
63. तमसाच्छन्न = तमस + आच्छादन ।
64. तिमिरारि = तिमिर + अरि ।
65. तुरीयावस्था = तुरीय + अवस्था ।
66. तुषारावृत = तुषार + आवृत ।
67. त्रिगुणातीत = त्रिगुण + अतीत ।
68. दर्शनार्थ = दर्शन + अर्थ ।
69. दावाग्नि = दाव + अग्नि ।
70. दावानल = दाव + अनल ।
71. देवागमन = देव + आगमन ।
72. दूतावास = दूत + आवास ।
73. देशाटन = देश + अटन ।
74. दीपावली = दीप + अवली ।
75. द्रोणाचार्य = द्रोण + आचार्य ।
76. दंडकारण्य = दंडक + अरण्य ।
77. दक्षिणायन = दक्षिण + अयन ।
78. दशानन = दश + आनन ।
79. दयानंद = दया + आनंद ।
80. दानवारि = दानव + अरि ।
81. दासानुदास = दास + अनुदास ।
82. दिनांक = दिन + अंक ।
83. दिनांत = दिन + अन्त ।
84. दिव्यास्त्र = दिव्य + अस्त्र ।
85. दीक्षान्त = दीक्षा + अन्त ।
87. दूरागत = दूर + आगत ।
88. देवालय = देव + आलय ।
89. देवांगना = देव + अंगना ।
90. देशांतर = देश + अन्तर ।
91. दैत्यारि = दैत्य + अरि ।
92. द्वारकाधीश = द्वारका + अधीश ।
93. दर्थनाचार्य = दर्शन + आचार्य ।
94. दुग्धाहार = दुग्ध + आहार ।
95. देवांशु = देव + अंशु ।
96. धर्माधिकारी = धर्म + अधिकारी ।
97. धर्मांध = धर्म + अन्ध ।
98. धर्मात्मा = धर्म + आत्मा ।
99. धर्मार्थ = धर्म + अर्थ ।
100. धनाधीश = धन + अधीश ।
101. धनादेश = धन + आदेश ।
102. धर्माधर्म = धर्म + अधर्म ।
103. धर्माचार्य = धर्म + आचार्य ।
104. धर्मावतार = धर्म + अवतार ।
105. धूमाच्छन्न = धूम + आच्छन्न ।
106. नदीश = नदी + ईश ।
107. नारायण = नर + अयन ।
108. नारीश्वर = नारी + ईश्वर ।
109. निरानंद = निरा + आनंद ।
110. नीचाशय = नीच + आशय ।
111. नीलांबर = नील + अंबर ।
112. नीलांजल = नील + अंजल ।
113. नयनाम्बु = नयन + अम्बु ।
114. नयनाभिराम = नयन + अभिराम ।
115. न्यायालय = न्याय + आलय ।
116. न्यायाधीश = न्याय + अधीश ।
117. नृत्यालय = नृत्य + आलय ।
118. निम्नांकित = निम्न + अंकित ।
119. निम्नानुसार = निम्न + अनुसार ।
120. पंचानन = पंच + आनन ।
121. पंचामृत = पंच + अमृत ।
122. पंचाग्नि = पंच + अग्नि ।
123. पत्राकर = पत्र + आचार ।
124.. परमार्थ = परम + अर्थ ।
125. परीक्षा = परि + ईक्षा ।
126. परीक्षार्थी = परीक्षा + अर्थी ।
127. पदाक्रांत = पद + आक्रंत ।
128. पदाधिकारी = पद + अधिकादी ।
129. पदावलि = पद + अवलि ।
130. पद्माकर = पद्म + आकर ।
131. परार्थ = पर + अर्थ ।
132. पराधीन = पर + अधीन ।
133. परमात्मा = परम + आत्मा ।
134. पाठान्तर = पाठ + अन्तर ।
135. पीताम्बर = पीत + अम्बर ।
136. पुंडरीकाक्ष = पुंडरीक + अक्ष ।
137. पुण्यात्मा = पुण्य + आत्मा ।
138. पुस्तकालय = पुस्तक + आलय ।
139. पूर्वानुराग = पूर्व + अनुराग ।
140. प्रांगण = प्र + आंगण ।
141. पृथ्वीश = पृथ्वी + ईश ।
142. प्राणाधार = प्राण + आधार ।
143. प्राचार्य = प्र + आचार्य ।
144. प्राध्यापक = प्र + अध्यापक ।
145. प्रधानाचार्य = प्रधान + आचार्य ।
146. फणीन्द्र = फणी + इन्द्र ।
147. फलाहार = फल + आहार ।
148. फलादेश = फल + आदेश ।
149. फलाकांक्षा = फल + आकांक्षा ।
150. फलाफल = फल + अफल ।
151. फलागम = फल + आगम ।
152. बद्धांजलि = बद्ध + अंजलि ।
153. बद्धानुराग = बद्ध + अनुराग ।
154. बहुलांश = बहुल + अंश ।
155. ब्रह्मचर्याश्रम = ब्रह्मचर्य + आश्रम ।
156. ब्रह्मास्त्र = ब्रह्म + अस्त्र ।
157. भानूदय = भानु + उदय ।
158. भोजनालय = भोजन + आलय ।
159. भद्रासन = भद्र + आसन ।
160. भयातुर = भय + आतुर ।
161. भावावेश = भाव + आवेश ।
162. भावान्तर = भाव + अन्तर ।
163. भाषान्तर = भाषा + अन्तर ।
164. भूर्ध्व = भू + ऊर्ध्व ।
165. मतानुसार = मत + अनुसार ।
166. मदिरालय = मदिरा + आलय ।
167. मंदाग्नि = मंद + अग्नि ।
168. मदांध = मद + अंध ।
169. मध्यांतर = मध्य + अन्तर ।
170. महाशय = महा + आशय ।
171. महात्मा = महा + आत्मा ।
172. मरणासन्न = मरण + आसन्न ।
173. मल्लिकार्जून = मल्लिक + अर्जुन ।
174. मलयानिल = मलय + अनिल ।
175. महीश्वर = मही + ईश्वर ।
176. मातृण = मातृ + ऋण ।
177. मुनीश = मुनि + ईश ।
178. मुनीन्द्र = मुनि + इन्द्र ।
179. मुखाकृति = मुख + आकृति ।
180. मुखाग्नि = मुख + अग्नि ।
181. मेघाच्छन्न = मेघ + आच्छन्न ।
182. मध्यावकाश = मध्य + अवकाश
183. मार्तण्ड = मार्त + अखण्ड ।
184. मृगांक = मृग + अंक ।
185. यज्ञाग्नि = यज्ञ + अपि ।
186. यज्ञापि = यज्ञ + अपि ।
187. रक्ताभ = रक्त + आभार ।
188. रसास्वादन = रस + आस्वादन ।
189. रजनीश = रजनी + ईश ।
190. रवीन्द्र = रवि + इन्द्र ।
191. रवीश = रवि + ईश ।
192. रत्नाकर = रत्न + आकर ।
193. रसात्मक = रस + आत्मक ।
194. रसानुभूति = रस + अनुभूति ।
195. रसाभास = रस + आभास ।
196. रामायण = राम + अयन ।
197. रामावतार = राम + अवतार ।
198. रामाधार = राम + आधार ।
199. राजाज्ञा = राजा + आज्ञा ।
200. राज्याभिषेक = राज्य + अभिषेक ।
201. रत्नावली = रत्न + अवली ।
202. रूद्राक्ष = रूद्र + अक्ष ।
203. रेखांकित = रेखा + अंकित ।
204. रेखांश = रेखा + अंश ।
205. रोमावलि = रोम + अवलि ।
206. रामानन्द = राम + आनंद ।
207. लघूर्मि = लघु + ऊर्मि ।
208. लाटानुप्रास = लाट + अनुप्रास ।
209. लिंगानुशासन = लिंग + अनुशासन ।
210. लोकायतन = लोक + आयतन ।
211. लीलागार = लीला + आगार ।
212. लोपामुद्रा = लोप + आमुद्रा ।
213. लोहिताश्व = लोहित + अश्व ।
214. लेखाधिकारी = लेखा + अधिकारी ।
215. लोकाधिपति = लोक + अधिपति ।
216. वंशांकुर = वंश + अंकुर ।
217. वंशानुक्रम = वंश + अनुक्रमण ।
218. वधूत्सव = वधू + उत्सव ।
219. वज्रांग = वज्र + अंग ।
220. वज्राघात = वज्र + आघात ।
221. वज्रायुध = वज्र + आयुध ।
222.वार्तालाप = वार्ता + आलाप ।
223. विद्यालय = विद्या + आलय ।
224. विद्यार्थी = विद्या + अर्थी ।
225. विधूदय = विधु + उदय ।
226. विचाराधीन = विचार + अधीन ।
227. विकलांग = विकल + अंग ।
228. वीरांगना = वीर + अंगना ।
229. वेदान्त = वेद + अंत ।
230. वेदाध्ययन = वेद + अध्ययन ।
231. वस्त्रालय = वस्त्र + आलय ।
232. वर्णनातीत = वर्णन + अतीत ।
233. वर्णाश्रम = वर्ण + आश्रम ।
234. वर्गाकार = वर्गा + आकार ।
235. शकारि = शक + अरि ।
236. शताब्दी = शत + अब्दी ।
237. शब्दालंकार = शब्द + अलंकार ।
238. शास्त्रानुसार = शास्त्र + अनुसार ।
239. शास्त्रार्थ = शास्त्र + अर्थ ।
240. शिष्टाचार = शिष्ट + आचार ।
241. शिवालय = शिव + आलय ।
242. शिलासन = शिला + आसन ।
243. शिक्षालय = शिक्षा + आलय ।
244. शिक्षार्थी = शिक्षा + अर्थी ।
245. शिवाम्बु = शिव + अम्बु ।
246. शुभारंभ = शुभ + आरंभ ।
248. शुभ्रांशु = शुभ + अंशु ।
249. श्वेताम्बर = श्वेत + अम्बर ।
250. श्लेषालंकार = श्लेष + अलंकार ।
251. श्लोकाबद्ध = श्लोक + आबद्ध ।
252. सत्याग्रह = सत्य + आग्रह ।
253. सत्यासत्य = सत्य + असत्य ।
254. संशयात्मक = संशय + आत्मक ।
255. संदेहात्मक = संदेह + आत्मक ।
256. संकटापन्न = संकट + आपन्न ।
257. संगीतात्मक = संगीत + आत्मक ।
258. सत्यान्वेषी = सत्य + अन्वेषी ।
259. सभाध्यक्ष= सभा + अध्यक्ष ।
260. समानाधिकार = समान + अधिकार ।
261. समानांतर = समान + अन्तर ।
262. संग्रहालय = संग्रह + आलय ।
263. साश्चर्य = स + आश्चर्य ।
264. सावधान = स + अवधान ।
265. साहित्याचार्य = साहित्य + आचार्य ।
266. सिंहासन = सिंह + आसन ।
267. सीमान्त = सीमा + अन्त ।
268. सुरासुर = सुर + असुर ।
269. सुक्ति = सु + उक्ति ।
270. स्वार्थ = स्व + अर्थ ।
271. स्वाधीन = स्व + आगत ।
272. स्वावलम्बी = स्व + अवलंबी ।
273. स्वावलंबन = स्व + अवलंबन ।
274. स्वाभिमान = स्व + अभिमान ।
275. हरीश = हरी + ईश ।
276. हताश = हत + आश ।
277. हरिणाक्षी = हरिण + अक्षी ।
278. हताहत = हत + आहत ।
279. हिमालय = हिम + आलय ।
280. हीनावस्था = हीन + अवस्था ।
281. हास्यास्पद = हास्य + आस्पद ।
282. क्षुधातुर = क्षुधा + आतुर ।
283. त्रिपुरारि = त्रिपुर + अरि ।
284. त्रिभूजाकार = त्रिभूज + आकार ।
285. ज्ञानांजन = ज्ञान + अंजन ।
286. क्षुद्रात्मा = क्षुद्र + आत्मा ।
287. क्षुधार्त्त = क्षुधा + आर्त्त ।
आशा करते हैं ,कि आपको इस ब्लॉग से दीर्घ संधि ( Dirgh Sandhi Kise Kahate Hain), दीर्घ संधि के 100 से अधिक उदाहरण (Dirgh Sandhi Ke Udaharan) मिले होंगे । दीर्घ संधि, दीर्घ संधि के उदाहरण तथा हिंदी व्याकरण से जुड़े हुए इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए हमारे YouTube Channel को सब्सक्राइब करें और kamla classes के Facebook एवं Instagram के पेज को भी Follow करें, समय पर सभी नए लेख के Notification पाने के लिए ।
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