बहुव्रीहि समास का परिचय:
हिंदी व्याकरण में बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) एक बेहद रोचक और अर्थपूर्ण समास है, जो भाषा को प्रभावशाली बनाने में मदद करता है। पौराणिक पात्रों और विशेषणों में इसका प्रयोग खास रूप से होता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि Bahuvrihi Samas kise kahate hain, इसकी सही Bahuvrihi Samas ki paribhasha क्या है और मुख्य Bahuvrihi Samas ke udaharan कौन-कौन से हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी है।
बहुव्रीहि समास की परिभाषा:
“वह समास जिसका कोई भी पद प्रधान नहीं हो, बल्कि समस्त पदों से भिन्न किसी अन्य पद की ओर संकेत करता हो, उसे “बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) ” कहते हैं।”
उदाहरण:
- चक्रपाणि = चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके — विष्णु।
- मुरारि = मुर (राक्षस) का अरि (शत्रु) — कृष्ण।
- गिरिजा = गिरि से जन्मी — पार्वती।
यहाँ “चक्र” और “पाणि” दोनों ही विष्णु की ओर संकेत करते हैं, लेकिन विष्णु शब्द वहाँ नहीं है, फिर भी उसका बोध होता है। यही बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) की खास विशेषता है।
बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं?
“जब दो पद मिलकर एक ऐसा नया शब्द बनाते हैं, जिसका अर्थ उन दोनों से भिन्न किसी तीसरे व्यक्ति, वस्तु या स्थान की ओर संकेत करता है और जिसमें कोई भी पद प्रधान न हो, तो वह बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) कहलाता है।”
सरल शब्दों में कहे तो: बहुव्रीहि समास ऐसा समास होता है जिसमें दोनों पद मिलकर एक नए व्यक्ति या वस्तु को दर्शाते हैं, जो स्वयं उन पदों में से नहीं है।
बहुव्रीहि समास की विशेषताएँ:
- बहुव्रीहि समास का कोई भी पद प्रधान नहीं होता है, बल्कि अन्य पद प्रधान होता है ।
- इसमें कोई भी पद प्रधान नहीं होता है।
- यह अधिकांशतः पौराणिक पात्रों, स्थलों व वस्तुओं के लिए प्रयोग होता है।
- इसमें विशेष अर्थ निहित होता है जो सामान्य पदों से स्पष्ट नहीं होता।
- बहुत से उदाहरण लोकप्रचलित व रूढ़ हो जाते हैं।
- देवता से संबंधित अधिकांश समास बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) होते हैं ।
उदाहरण:
- पीतांबर = पित (पीला) है जिसका अंबर (वस्त्र) अर्थात् – विष्णु ।
- अन्नपूर्णा = अन्न से पूर्ण करने वाली है जो अर्थात् – पार्वती ।
- कपीश्वर = कपियों का है जो ईश्वर अर्थात् – सुग्रीव ।
- चंद्रमौलि = चंद्र है मौलि (मस्तक) पर जिसके अर्थात् शिवजी आदि ।
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बहुव्रीहि समास के उदाहरण: Bahuvrihi Samas ke Udaharan)
- शैलनंदिनी = शैल की है जो नंदिनी (पुत्री) अर्थात् – पार्वती ।
- चंद्रमौली = चंद्र है मौली (मस्तक) पर जिसके अर्थात् – शिव ।
- हंसासिनी = हंस है आसान जिसका अर्थात् – सरस्वती ।
- मनसिज = मन में सृजित होता है जो अर्थात् – कामदेव ।
- सहस्राक्ष = सहस्त्र (हजार) हैं अक्षि (आंखें) जिसके अर्थात् – इंद्र ।
- कंसारि = कंस है जो अरि (शत्रु) अर्थात् – कृष्ण ।
- भूमिजा = भूमि से जन्म लिया है जिसने अर्थात् – पार्वती ।
- पद्मासन = पद्म (कमल) है आसान जिसका अर्थात् – सरस्वती।
- बाघाम्बर = बाघ के अम्बर है जिसके अर्थात् – शिव ।
- पंचशर = पांच फूलों के सर है जिसके अर्थात् – कामदेव ।
- देवराज = देवों का है जो राजा अर्थात् – इंद्र ।
सामान्य बहुव्रीहि समास के उदाहरण:
सामान्य बहुव्रीहि समास के उदाहरण (Bahuvrihi Samas ke Udaharan) को टेबल के द्वारा समझते हैं:
सामासिक पद | समास विग्रह | अर्थ |
---|---|---|
चक्रपाणि | चक्र है पाणि में जिसके | विष्णु |
देवराज | देवों का है जो राजा | इन्द्र |
गिरिजा | गिरि से जन्मी | पार्वती |
मुरारि | मुर का है जो अरि | कृष्ण |
हंसवाहिनी | हंस है वाहन जिसका | सरस्वती |
वज्रपाणि | वज्र है पाणि में जिसके | इन्द्र |
कंसारि | कंस का है जो अरि | कृष्ण |
पौराणिक बहुव्रीहि समास के उदाहरण:
पौराणिक Bahuvrihi Samas ke Udaharan निम्नलिखित हैं:
- चन्द्रमौली = चंद्र है मस्तक पर जिसके — शिव।
- कपीश्वर = कपियों का ईश्वर — हनुमान।
- वीणापाणि = वीणा है हाथ में जिसके — सरस्वती।
- मधुसूदन = मधु राक्षस का वध करने वाला — कृष्ण।
- त्र्यम्बक = तीन नेत्र हैं जिसके — शिव।
- हृषीकेश = इंद्रियों का स्वामी — विष्णु।
- नंदनंदन = नंद का पुत्र — कृष्ण।
लौकिक व आधुनिक बहुव्रीहि समास के उदाहरण:
लौकिक व आधुनिक Bahuvrihi Samas ke Udaharan निम्नलिखित हैं:
- सफेदपोश = सफेद पोशाक वाला — नेता/विशिष्ट व्यक्ति।
- प्रधानमंत्री = मंत्रियों में प्रधान — शासनाध्यक्ष।
- वक्षोज = वक्ष में जन्म लेने वाला — स्तन।
- राष्ट्रपिता = राष्ट्र का है जो पिता — महात्मा गांधी।
- जमशेदपुर = जमशेदजी टाटा ने बसाया — शहर।
- शाखामृग = शाखाओं पर चलने वाला — वानर।
- हैदराबाद = हैदर अली ने बसाया — शहर।
बहुव्रीहि समास के 5 उदाहरण:
Bahuvrihi Samas ke 5 Udaharan निम्नलिखित हैं
- शैलनंदिनी = शैल की है जो नंदिनी (पुत्री) अर्थात् – पार्वती ।
- चंद्रमौली = चंद्र है मौली (मस्तक) पर जिसके अर्थात् – शिव ।
- हंसासिनी = हंस है आसान जिसका अर्थात् – सरस्वती ।
- मनसिज = मन में सृजित होता है जो अर्थात् – कामदेव ।
- सहस्राक्ष = सहस्त्र (हजार) हैं अक्षि (आंखें) जिसके अर्थात् – इंद्र ।
बहुव्रीहि समास के 10 उदाहरण:
Bahuvrihi Samas ke Udaharan निम्नलिखित हैं
- कंसारि = कंस है जो अरि (शत्रु) अर्थात् – कृष्ण ।
- भूमिजा = भूमि से जन्म लिया है जिसने अर्थात् – पार्वती ।
- पद्मासन = पद्म (कमल) है आसान जिसका अर्थात् – सरस्वती।
- बाघाम्बर = बाघ के अम्बर है जिसके अर्थात् – शिव ।
- पंचशर = पांच फूलों के सर है जिसके अर्थात् – कामदेव ।
- देवराज = देवों का है जो राजा अर्थात् – इंद्र ।
- मधुसूदन = मधु (राक्षस) का सूदन (वध) किया है जिसने अर्थात् – कृष्ण ।
- रामप्रिया = राम की है जो प्रिया अर्थात् – पार्वती ।
- वीणापाणि = वीणा है पाणि (हाथ) में जिसके अर्थात् – सरस्वती ।
- त्र्यम्बक = तीन है अम्बक (नेत्र) जिसके अर्थात् – शिव ।
बहुव्रीहि समास के 20 उदाहरण:
Bahuvrihi Samas ke Udaharan निम्नलिखित हैं
- कुसुमशर = कुसुम (फूल) के हैं शर (बाण) जिसके अर्थात् – कामदेव ।
- वज्रपाणि = वज्र है पाणि में जिसके अर्थात् – इन्द्र ।
- घनश्याम = घन (बादल) के समान है जो श्याम अर्थात् – कृष्ण ।
- जनकनंदिनी = जनक की है जो नंदिनी अर्थात् – सीता ।
- वाग्देवी = वाक् की है जो देवी अर्थात् – सरस्वती ।
- आशुतोष = आशु (शीघ्र) तोष (तुष्ट/प्रसन्न) होता है जो अर्थात् – शिव ।
- मकरध्वज = मकर (मछली का चित्र) है ध्वज पर जिसके अर्थात् – कामदेव ।
- शचीपति = शची का है जो पति अर्थात्- इन्द्र ।
- नंदनंदन = नंद का है जो नंदन अर्थात्- कृष्ण ।
- हिमसुता = हिम (हिमालय) की है जो सुता (पुत्री) अर्थात् – पार्वती ।
- गणपति = गणों (शिव के सेवक) है जो पति अर्थात् – गणेश ।
- पंचानन = पांच है आनन (मुख) जिसके अर्थात् – शिव ।
- रतिकांत = रति का है जो कांत (पति) अर्थात् – कामदेव ।
- वज्रायुध = वज्र का है आयुध जिसके अर्थात् – इंद्र ।
- गिरिधर = गिरि को धारण किया है जिसने अर्थात् – कृष्णा ।
- अन्नपूर्णा = अन्न से पूर्ण करने वाली है जो अर्थात् – पार्वती ।
- मोदकप्रिय = मोदक (लड्डू) है प्रिय जिसको अर्थात् – गणेश ।
- पशुपति = पशुओं का है जो पति अर्थात् – शिव ।
- मनोज = मन में जन्म लेता है जो अर्थात् – कामदेव ।
- नाकपति = नाक (स्वर्ग) का है जो पति (स्वामी)अर्थात् नाकपति
नोट (Note) :– अनेक शब्द ऐसे होते हैं जिसमें समास के दो- दो भेद होते हैं ।
जैसे :- (i) “त्रिनेत्र” सामासिक पद में पूर्व पद संख्यावाचक विशेषण तथा उत्तर पद संज्ञा होने के कारण उसे “द्विगु समास” माना जाता है, लेकिन यह पौराणिक उदाहरण होने के कारण विशिष्ट अन्य अर्थ “शिव” के लिए रूढ़ हो जाता है, जो बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) का उदाहरण है ।
अतः ऐसे उदाहरणों में यदि विकल्पों में “अन्य भेद और बहुव्रीहि” दोनों ही दे दिए जाते हैं तो उत्तर का चयन “बहुव्रीहि समास” करना चाहिए अगर विकल्प में बहुव्रीहि ना होकर अन्य समास हो तो “अन्य समास” का चयन करना चाहिए ।
उदाहरण :-
- पीताम्बर = पीत है, जो अम्बर (आकाश/कपड़ा) -(कर्मधराय समास)।
- पीताम्बर = पीत हैं अम्बर जिसके अर्थात् – कृष्ण/विष्णु । (Bahuvrihi Samas) ।
- त्रिशूल = तीन शूलों का समुह – (द्विगु समास) ।
- त्रिशूल = तीन है शूल जिसके अर्थात् – शिवजी का अस्त्र ।(बहुव्रीहि समास)
(ii) यदि किसी सामाजिक पद का प्रयोग वाक्य में हुआ हो तो प्रयोग के अनुसार भेद का चुनाव किया जाता है ।
जैसे :- शिव के त्रिलोचन से इंद्र काँप उठा ।
( यहां “त्रिलोचन” का समास-विग्रह “तीन लोचनों का समूह” होगा, क्योंकि वाक्य में शिव पहले से ही दे रखा है, अतः “त्रिलोचन” द्विगु समास है ।)
त्रिलोचन ने पार्वती से विवाह रचाया ।
(यहां त्रिलोचन पद का समास-विग्रह होगा “तीन लोचन हैं जिसके – शिव अर्थात् यह बहुव्रीहि समास का उदाहरण है ।)
रूढ़ बहुव्रीहि समास और द्वि-भेदी उदाहरण:
रूढ़ उदाहरण:
- त्रिनेत्र = तीन नेत्र हैं जिसके — शिव (बहुव्रीहि)।
- त्रिनेत्र = तीन नेत्रों का समूह — द्विगु समास।
यहाँ दोनों अर्थ अलग-अलग हैं, लेकिन सन्दर्भ के अनुसार दोनों में भेद होता है। यदि विशेष व्यक्ति को सूचित किया जाए, तो बहुव्रीहि, अन्यथा द्विगु।
टिप: प्रश्न में अगर विशेष पात्र का उल्लेख है (जैसे त्रिनेत्र = शिव) तो बहुव्रीहि चुनें।
बहुव्रीहि समास से संबंधित आवश्यक टिप्स
- वाक्य में प्रयोग के अनुसार समास का भेद चुनें।
- यदि कोई पद पौराणिक या विशेष अर्थ में रूढ़ हो गया हो तो बहुव्रीहि मानें।
- द्विगु समास व बहुव्रीहि समास में भ्रम न करें — संदर्भ से निर्णय लें।
Bahuvrihi Samas पर आधारित परीक्षा के लिए 32 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)
हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण विषय बहुव्रीहि समास से संबंधित ये 32 Bahuvrihi Samas MCQs आपके बोर्ड परीक्षा, प्रतियोगी परीक्षा और क्लास टेस्ट की तैयारी के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। प्रत्येक प्रश्न के साथ सही उत्तर भी दिया गया है ताकि आप स्व-अध्ययन कर सकें और Bahuvrihi Samas को बेहतर तरीके से समझ सकें।
1) बहुव्रीहि समास की परिभाषा क्या है?
A) जिसमें दोनों पदों का संयुक्त ही अर्थ हो
B) जिसमें कोई पद प्रधान नहीं, बल्कि समस्त पदों से भिन्न किसी अन्य पद की ओर संकेत हो
C) जिसमें पहला पद प्रधान हो
D) जिसमें दूसरा पद ही अर्थ ग्रहण करता हो
उत्तर: B) जिसमें कोई पद प्रधान नहीं, बल्कि समस्त पदों से भिन्न किसी अन्य पद की ओर संकेत हो
2.) बहुव्रीहि समास की मुख्य विशेषता क्या है?
A) इसमें पहला पद प्रधान होता है
B) इसमें कोई पद प्रधान नहीं होता
C) इसमें संख्या-वाचक विशेषण होते हैं
D) इसमें केवल संज्ञा पद होते हैं
उत्तर: B) इसमें कोई पद प्रधान नहीं होता
3) “चक्रपाणि” उदाहरण किस देवता के लिए है?
A) ब्रह्मा
B) विष्णु
C) शिव
D) इंद्र
उत्तर: B) विष्णु
4) “मुरारि” शब्द का विग्रह क्या है?
A) मुर (राक्षस) का अरि (शत्रु) — कृष्ण
B) मुर का अरि
C) मुर एवं अरि का योग
D) मुर को हराने वाला
उत्तर: A) मुर (राक्षस) का अरि (शत्रु) — कृष्ण
5) “गिरिजा” किस देवता का Bahuvrihi Samas है?
A) पार्वती
B) सरस्वती
C) लक्ष्मी
D) दुर्गा
उत्तर: A) पार्वती
6) “पीतांबर” का विग्रह क्या है?
A) पीत है अंबर (वस्त्र) — विष्णु
B) पीत एवं अंबर का संयोजन
C) पीत रंग का आकाश
D) पीत वस्त्र धारण करने वाला
उत्तर: A) पीत है अंबर (वस्त्र) — विष्णु
7) “अन्नपूर्णा” बहुव्रीहि समास किसके लिए है?
A) सरस्वती
B) पार्वती
C) दुर्गा
D) लक्ष्मी
उत्तर: B) पार्वती
8) “कपीश्वर” शब्द का संकेत किसके लिए है?
A) सुग्रीव
B) हनुमान
C) रावण
D) इंद्र
उत्तर: B) हनुमान
9) “चंद्रमौली” का विग्रह क्या है?
A) चंद्र है मौली (मस्तक) — शिव
B) चंद्र एवं मौली का योग
C) चंद्र के समान मस्तक
D) चंद्र का मुखबंध
उत्तर: A) चंद्र है मौली (मस्तक) — शिव
10) “शैलनंदिनी” किसका Bahuvrihi Samas है?
A) सरस्वती
B) लक्ष्मी
C) पार्वती
D) दुर्गा
उत्तर: C) पार्वती
11) “हंसासिनी” का विग्रह क्या है?
A) हंस है वाहन — सरस्वती
B) हंस की आराधिका
C) हंस समान कोमल
D) हंस में बैठने वाली
उत्तर: A) हंस है वाहन — सरस्वती
12) “मनसिज” का अर्थ क्या है?
A) मन का स्वामी
B) मन में सृजित होता है — कामदेव
C) मन की रचना
D) मन समान निर्मित
उत्तर: B) मन में सृजित होता है — कामदेव
13) “सहस्राक्ष” किस देवता का बहुव्रीहि समास है?
A) इंद्र
B) विष्णु
C) ब्रह्मा
D) शिव
उत्तर: A) इंद्र
14) “कंसारि” शब्द का विग्रह क्या है?
A) कंस का अभिषेक
B) कंस है अरि (शत्रु) — कृष्ण
C) कंस का युद्ध
D) कंस का पुत्र
उत्तर: B) कंस है अरि (शत्रु) — कृष्ण
15) “भूमिजा” का अर्थ क्या है?
A) भूमिदाता
B) भूमि से जन्मी — पार्वती
C) भूमि का रक्षक
D) भूमि का भागीदार
उत्तर: B) भूमि से जन्मी — पार्वती
16) “पद्मासन” किस देवता का संकेत है?
A) सरस्वती
B) पार्वती
C) लक्ष्मी
D) दुर्गा
उत्तर: A) सरस्वती
17) “बाघाम्बर” में ‘बाघ’ एवं ‘अम्बर’ किस देवता का सूचक है?
A) विष्णु
B) शिव
C) ब्रह्मा
D) इंद्र
उत्तर: B) शिव
18) “पंचशर” बहुव्रीहि समास किस देवता का है?
A) शिव
B) कामदेव
C) विष्णु
D) इंद्र
उत्तर: B) कामदेव
19) “देवराज” का विग्रह क्या है?
A) देवों का दूत
B) देवों का राजा — इंद्र
C) देवों का सेवक
D) देवों का रक्षक
उत्तर: B) देवों का राजा — इंद्र
20) “वज्रपाणि” का विग्रह क्या है?
A) वज्र का दंड
B) वज्र है पाणि में — इंद्र
C) वज्र जैसा हथियार
D) वज्र की शक्ति
उत्तर: B) वज्र है पाणि में — इंद्र
21) “कुसुमशर” बहुव्रीहि समास किस देवता का है?
A) शिव
B) कामदेव
C) इंद्र
D) सूर्य
उत्तर: B) कामदेव
22) “घनश्याम” शब्द किसके लिए है?
A) कृष्ण
B) शिव
C) इंद्र
D) ब्रह्मा
उत्तर: A) कृष्ण
23) “जनकनंदिनी” किसका बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) है?
A) सीता
B) लक्ष्मी
C) सरस्वती
D) दुर्गा
उत्तर: A) सीता
24) “वाग्देवी” किस देवता का संकेत है?
A) सरस्वती
B) लक्ष्मी
C) पार्वती
D) दुर्गा
उत्तर: A) सरस्वती
25) “आशुतोष” का अर्थ क्या है?
A) शीघ्र अशांत
B) शीघ्र प्रसन्न — शिव
C) शीघ्र शांत
D) शीघ्र साहसी
उत्तर: B) शीघ्र प्रसन्न — शिव
26) “मकरध्वज” बहुव्रीहि समास किस देवता का है?
A) हनुमान
B) गणेश
C) शिव
D) कामदेव
उत्तर: D) कामदेव
27) “सचिपति” बहुव्रीहि समास किसका है?
A) इंद्र
B) विष्णु
C) ब्रह्मा
D) शिव
उत्तर: A) इंद्र
28) “नंदनंदन” शब्द किस देवता का है?
A) कृष्ण
B) राम
C) हनुमान
D) इंद्र
उत्तर: A) कृष्ण
29) “पंचानन” बहुव्रीहि समास (Bahuvrihi Samas) किस देवता का है?
A) शिव
B) विष्णु
C) ब्रह्मा
D) इंद्र
उत्तर: A) शिव
30) “रतिकांत” किस देवता का संकेत है?
A) शिव
B) विष्णु
C) ब्रह्मा
D) कामदेव
उत्तर: D) कामदेव
31) “गिरिधर” शब्द किस देवता का है?
A) कृष्ण
B) शिव
C) इंद्र
D) विष्णु
उत्तर: A) कृष्ण
32) “पशुपति” बहुव्रीहि समास किस देवता का है?
A) गणेश
B) हनुमान
C) शिव
D) विष्णु
उत्तर: C) शिव
✅ निष्कर्ष:
इस लेख के माध्यम से आपने सीखा कि bahuvrihi samas kise kahate hain, इसकी स्पष्ट bahuvrihi samas ki paribhasha क्या है, और रोजमर्रा के जीवन में प्रयुक्त bahuvrihi samas ke udaharan कौन से हैं। हिंदी भाषा को बेहतर ढंग से समझने के लिए इस प्रकार के समासों का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है।
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