“Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 (शास्त्रकाराः) “चतुर्दशः पाठः”

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 (संस्कृत अध्याय -14 शास्त्रकाराः) में भारतवर्ष की शास्त्रीय परंपरा का उल्लेख किया गया है। इसमें शास्त्रों को समस्त ज्ञान का स्रोत बताया गया है। Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 के अनुसार, प्रमुख शास्त्रों और उनके प्रवर्तकों का विवरण प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत किया गया है। शास्त्र मानव को कर्तव्य और अकर्तव्य की शिक्षा देते हैं। Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 यह भी बताता है, कि शास्त्रों का अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है । जिसे पश्चिमी देशों में अनुशासन कहा जाता है।

Table of Contents

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 || शास्त्रकाराः (Shastrakaraah)

[भारते वर्षे शास्त्राणां महती परम्परा श्रुयते । शास्त्रणि प्रमाणभूतानि समस्तज्ञानस्य स्त्रोतःस्वरूपाणि सन्ति । अस्मिन् पाठे प्रमुखशास्त्राणां निर्देशपूर्वकं तत्प्रवर्तकानाञ्च निरूपणं विद्यते । मनोरञ्जनाय पाठेऽस्मिन् प्रश्नोत्तरशैली आसादिता वर्तते ।]
(शिक्षकः कक्षायां प्रविशति, छात्राः सादरमुत्थाय तस्याभिवादनम् कुर्वन्ति ।)

संधि-विच्छेद :-
  • तत्प्रवर्तकानाञ्च = तत् + प्रवर्तकानाम् + च ।
  • सादरमुत्थाय = सादरम् + उत्थाय ।
  • तस्याभिवादनम् = तस्य + अभिवादनम् ।

शब्दार्थ :-

  • महती = महान/बहुत ।
  • श्रुयते = सुने जाते हैं ।
  • प्रवर्तकानाम् = प्रवर्तक/संकलनकर्त्ता/व्यवस्थापक (के) ।
  • विद्यते = विद्यमान है/ हैं ।
  • Bihar Board संस्कृत पीयूषम भाग – 2 के सम्पूर्ण अध्याय का हिंदी में Solutions के लिये यहाँ क्लिक करें

हिन्दी व्याख्या :- [भारतवर्ष में शास्त्रों के महान परंपरा सुने जाते हैं । शास्त्र प्रमाण के रूप में समस्त ज्ञान का स्रोत स्वरूप हैं । इस पाठ में प्रमुख शास्त्रों एवं उनके प्रवर्तकों के नाम निर्देश पूर्वक निरूपित हैं । इस पाठ में मनोरंजन के लिए प्रश्नोत्तर शैली अपनाई गई हैं ।]
( शिक्षक कक्षा में प्रवेश करते हैं, छात्र आदर सहित खड़े होकर उनका अभिवादन करते हैं ।)

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. भारतवर्ष में किसका महान परंपरा सुने जाते हैं ?

उत्तर:- शास्त्रों के ।

Q2. समस्त ज्ञान के स्त्रोत स्वरूप किसे माना जाता है ?

उत्तर:- शास्त्रों को ।

Q3. छात्र आदर सहित खड़े होकर किसका अभिवादन करते हैं?

उत्तर:- शिक्षक का ।

शिक्षकः – उपविशन्तु सर्वे । अद्य युष्माकं परिचयः संस्कृतशास्त्रैः भविष्यति ।

शब्दार्थ :-

  • उपविशन्तु = बैठें ।
  • सर्वे = सभी ।
  • युष्माकं = आपलोगों (का) ।

हिन्दी व्याख्या :- सभी बैठ जाए । आज आपलोगों का परिचय संस्कृत शास्त्रों से होगी ।

युवराज: – गुरूदेव ! शास्त्रं किं भवति ।

शब्दार्थ :-

  • किं = क्या ।
  • भवति = होता है ।

हिन्दी व्याख्या :- गुरूदेव ! शास्त्र क्या होता है ?

शिक्षक: – शास्त्रं नाम ज्ञानस्य शासकमस्ति । मानवानां कर्त्तव्याकर्त्तव्यविषयान् तत् शिक्षयति । शास्त्रमेव अधुना अध्ययनविषयः (Subject) कथ्यते, पाश्चात्यदेशेषु अनुशासनम् (Discipline) अपि अभिधीयते । तथापि शास्त्रस्य लक्षणं धर्मशासत्रेषु इत्थं वर्तते –

प्रवृत्तिर्वा निवृत्तिर्वा नित्येन कृतकेन वा ।
पुंसां येनोपदिश्यते तच्छास्त्रमभिधीयते ।।

• संधि-विच्छेद :-

• येनोपदिश्यते = येन + उपदिश्यते ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का संधि-विच्छेद :-

  • शासकमस्ति = शासकम् + अस्ति ।
  • कर्त्तव्याकर्त्तव्यविषयान् = कर्त्तव्य + अकर्त्तव्य + विषयान् ।
  • शास्त्रमेव = शास्त्रम् + एव ।
  • तथापि = तथा + अपि ।
  • प्रवृत्तिर्वा = प्रवृतिः + वा ।
  • निवृत्तिर्वा = निवृतिः + वा ।
  • येनोपदिश्यते = येन + उपदिश्यते ।
शब्दार्थ :-
  • अधुना = इससमय ।
  • कथ्यते = कहा जाता है ।
  • पाश्चात्यदेशेषु = पश्चिमी देशों में ।
  • इत्थं = इसप्रकार ।
  • अभिधीयते = कहा जाता है ।

हिन्दी व्याख्या :- शास्त्र का नाम ही ज्ञान का शासक है । वे मानवों के कर्तव्य और अकर्तव्य विषयों की शिक्षा देती है । शास्त्र को ही इस समय अध्ययन का विषय कहा जाता है । पश्चिमी देशों में इसे अनुशासन भी कहा जाता है । वैसे भी शास्त्रों का लक्षण धर्मशास्त्रों में इस प्रकार हैं :-

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. ज्ञान का शासक कौन है ?

उत्तर:- शास्त्र ।

Q2. मानवों के कर्तव्य और अकर्तव्य विषयों का शिक्षा कौन देता है ?

उत्तर:- शास्त्र ।

Q3. किन देशों में शास्त्रों को अनुशासन माना जाता है ?

उत्तर:- पश्चिमी देशों में ।

अभिनवः – अर्थात् शास्त्रं मानवेभ्यः कर्त्तव्यम् अकर्त्तव्यञ्च बोधयति । शास्त्रं नित्यं भवतु वेदरूपम्, अथवा कृतकं भवतु ऋष्यादिप्रणीतम् ।

संधि-विच्छेद :-
  • अकर्त्तव्यञ्च = अकर्त्तव्यम् + च ।
  • ऋष्यादिप्रणीतम् = ऋषि + आदि + प्रणीतम् ।
शब्दार्थ :-
  • मानवेभ्यः = मानवों के ।
  • प्रणीतम् = रचित है ।
  • भवतु = हो ।
  • वेदरूपम् = वेद के रूप (में) ।

हिन्दी व्याख्या :- अर्थात शास्त्र मानवों के कर्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराती है । शास्त्र वेद के रूप में ऋषि आदि के द्वारा रचित होते हैं ।

शिक्षकः– सम्यक् जानासि वत्स ! कृतकं शास्त्रं ऋषयः अन्ये विद्वांसः वा रचितवन्तः । सर्वप्रथमं षट् वेदाङ्गानि शास्त्राणि सन्ति । तानि – शिक्षा, कल्पः, व्याकरणम्, निरूक्तम्, छन्दः, ज्योतिषं चेति ।

शब्दार्थ :-
  • सम्यक् = सही/सत्य ।
  • वत्स = पुत्र/शिष्य ।
  • कृतकं = बनावटी ।
  • षट् = छः ।
  • तानि = उनमें ।

हिन्दी व्याख्या :- सही जानते हो वत्स ! बनावटी शास्त्र ऋषि तथा अन्य विद्वानों के द्वारा रचित हैं । सर्वप्रथम छः वेदांग शास्त्र हैं । उनमें – शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष हैं ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. शास्त्रों के रचना किनके द्वारा किये गये हैं?

उत्तर:- ऋषि व अन्य विद्वानों के द्वारा ।

Q2. वेदाङ्ग कितने हैं ?

उत्तर:- छः ।

Q3. छः वेदांग कौन-कौन हैं ?

उत्तर:- शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद और ज्योतिष हैं ।

इमरानः – गुरूदेव ! एतेषां विषयाणां के-के प्रणेतारः?

शब्दार्थ :-
  • एतेषां = येसब (के) ।
  • के-के = कौन-कौन ।
  • प्रणेतारः = लेखक ।

हिन्दी व्याख्या :- येसब विषयों के लेखक कौन-कौन हैं ?

शिक्षकः – श्रृणुत यूयं सर्वे सावहितम् । शिक्षा उच्चारणप्रक्रियां बोधयति । पाणिनीयशिक्षा तस्याः प्रसिद्धो ग्रन्थः । कल्पः कर्मकाण्डग्रन्थः सूत्रात्मकः । बौधायन-भारद्वाज-गौतम-वसिष्ठादयः ऋषयः अस्य शास्त्रस्य रचयितारः । व्याकरणं तु पाणिनिकृतं प्रसिद्धं । निरूक्तस्य कार्यं वेदार्थबोधः । तस्य रचयिता यास्कः छन्दः पिङ्गलरचिते सूत्रग्रन्थे प्रारब्धम्। ज्योतिषं लगधरचितेन वेदाङ्गज्योतिषग्रन्थेन प्रावर्तत।

संधि-विच्छेद :-

  • वसिष्ठादयः = वसिष्ठ + आदयः ।
  • वेदार्थबोधः = वेद + अर्थ + बोधः ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का शब्दार्थ :-

  • श्रृणुत = सुनो ।
  • सर्वे = सर्वे ।
  • सावहितम् = सावधानी पूर्वक ।
  • रचयितारः = रचनाकार है ।
  • तस्य = उसका/की/के ।
  • प्रारब्धम् = प्रारम्भ ।
  • प्रावर्तत = प्रारंभ हुआ ।

हिन्दी व्याख्या :- सभी छात्र एवं छात्राएँ सावधान होकर सुनें । शिक्षा उच्चारण प्रक्रिया का बोध कराता है। “पाणिनीयशिक्षा” इसका प्रसिद्ध ग्रंथ है। कल्प कर्मकांड सुत्रात्मक ग्रंथ है। बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वसिष्ठ आदि ऋषिगण इस शास्त्र के रचनाकार है। व्याकरण तो महर्षि पाणिनि द्वारा रचित प्रसिद्ध हैं। निरूक्त वेद के अर्थों का बोध कराता है। उसका रचनाकार महर्षि यास्क है एवं छन्द महर्षि पिङ्गल द्वारा रचित सुत्रग्रन्थ में प्रारंभ हुआ। ज्योतिष महर्षि लगध द्वारा रचित वेदाङ्गज्योतिषग्रन्थ से प्रारंभ हुआ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. उच्चारण प्रक्रिया का बोध कौन कराता है ?

उत्तर:- शिक्षा ।

Q2. “पाणिनीयशिक्षा” किसका प्रसिद्ध ग्रंथ है ?

उत्तर:- महर्षि पाणिनि का ।

Q3. कर्मकांडि एवं सुत्रात्मक ग्रंथ कौन है ?

उत्तर:- कल्प ।

Q4. “कल्प” के रचनाकार कौन है ?

उत्तर:- बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वसिष्ठ आदि ऋषिगण ।

Q5. व्याकरण के रचनाकार कौन है?

उत्तर:- महर्षि पाणिनि ।

Q6. “निरूक्त” के रचनाकार कौन है?

उत्तर:- महर्षि यास्क ।

Q7. “छन्द” के रचनाकार कौन है?

उत्तर:- महर्षि पिङ्गल ।

Q8. “ज्योतिष शास्त्र” के रचनाकार कौन है?

उत्तर:- महर्षि लगध ।

Q9. वेद के अर्थों को बोध कराता है –

उत्तर:- निरूक्त ।

Q10. “शिक्षा” के रचनाकार कौन है?

उत्तर:- महर्षि पाणिनि ।


अब्राहमः – किमेतावन्तः एव शास्त्रकाराः सन्ति ?

संधि-विच्छेद :-
  • किमेतावन्तः = किम् + एतावन्तः ।

शब्दार्थ :-

  • किम् = क्या ।
  • एतावन्तः = इतने ।

हिन्दी व्याख्या :- क्या इतने ही शास्त्रकार हैं ?

शिक्षक: – नहि नहि । एते प्रवर्त्तकाः एव। वस्तुतः महती परम्परा एतेषां शास्त्राणां परवर्त्तिभिः सञ्चालिता। किञ्च, दर्शनशास्त्राणि षट् देशेऽस्मिन् उपक्रान्तानि ।

संधि-विच्छेद :-

  • किञ्च = किम् + च ।
  • देशेऽस्मिन् = देशे + अस्मिन् ।

शब्दार्थ :-

  • एते = येसब ।
  • परवर्त्तिभिः = प्रवर्तकों के द्वारा ।
  • उपक्रान्तानि = आरंभ हुए ।

हिन्दी व्याख्या :- नहीं नहीं । येसब प्रवर्तक ही हैं । वास्तव में शास्त्रों का महान परंपरा है येसब शास्त्र प्रवर्तकों के द्वारा संचालित है । और कुछ दर्शनशास्त्र छः देशों में आरंभ हुए ।

श्रुतिः – आचार्यवर ! दर्शनानां के-के प्रवर्तकाः शास्त्रकाराः ?

हिन्दी व्याख्या :- आचार्यवर दर्शन शास्त्रों के प्रवर्तक व शास्त्रकर कौन-कौन हैं ।

शिक्षक:- सांख्यदर्शनस्य प्रवर्तकः कपिलः । योगदर्शनस्य पतञ्जलिः। एवं गौतमेन न्यायदर्शनं रचितं कणादेन च वैशेषिकदर्शनम् ।जैमिनिना मीमांसादर्शनम्, बादरायणेन च वेदान्तदर्शनं प्रणीतम् । सर्वेषां शताधिकाः व्याख्यातारः स्वतन्त्रग्रन्थकाराश्च वर्तन्ते ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का संधि-विच्छेद :-

  • शताधिकाः = शत् + अधिकाः ।
  • स्वतन्त्रग्रन्थकाराश्च = स्वतन्त्रग्रन्थकाराः + च ।

शब्दार्थ :-

  • शताधिकाः = सौ से अधिक ।
  • व्याख्यातारः = व्याख्या करनेवाले ।

हिन्दी व्याख्या :- सांख्यदर्शन के प्रवर्तक महर्षि कपिल है । योग दर्शन के महर्षि पतंजलि एवं महर्षि गौतम के द्वारा न्यायदर्शन और महर्षि कणाद के द्वारा वैशेषिक दर्शन का रचना किया गया । महर्षि जैमिनि द्वारा मीमांसादर्शन और बादरायण द्वारा वेदांतदर्शन का रचना किया गया है । सभी सौ से अधिक व्याख्याता और स्वतंत्रग्रंथकार हैं ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-

Q1. सांख्यदर्शन के प्रवर्तक कौन है?

उत्तर:- महर्षि कपिल ।

Q2. योदर्शन के प्रवर्तक कौन है?

उत्तर:- महर्षि पतंजलि ।

Q3. न्यायदर्शन के प्रवर्तक कौन है?

उत्तर:- महर्षि गौतम ।

Q4. वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कौन है?

उत्तर:- महर्षि कणाद ।

Q5. मीमांसादर्शन के प्रवर्तक/रचनाकार कौन है?

उत्तर:- महर्षि जैमिनि ।

Q6. वेदांतदर्शन के प्रवर्तक कौन है?

उत्तर:- महर्षि बादरायण ।

गार्गी – गुरूदेव ! भवान् वैज्ञानिकानि शास्त्राणि कथं न वदति ?

शब्दार्थ :-
  • भवान् = आप ।
  • कथं = क्यों ।

हिन्दी व्याख्या :- गुरूदेव ! आप वैज्ञानिक शास्त्र को क्यों बोलते हैं ?

शिक्षकः– उक्तं कथयसि । प्राचीनभारते विज्ञानस्य विभिन्नशाखानां शास्त्राणि प्रावर्तन्त । आयुर्वेदशास्त्रे चकरसंहिता, सुश्रुतसंहिता चेति शास्त्रकारनाम्नैव प्रसिद्धे स्तः । तत्रैव रसायनविज्ञानम्, भौतिकविज्ञानञ्च अन्तरर्भू स्तः । ज्योतिषशास्त्रेऽपि खगोलविज्ञानं गणितम् इत्यादीनि शास्त्राणि सन्ति । आर्यभटस्य ग्रन्थः आर्यभटीयनामा प्रसिद्धः । एवं वराहमिहिरस्य बृहत्संहिता विशालो ग्रन्थः यत्र नाना विषयाः समन्विताः । वास्तुशास्त्रमपि अत्र व्यापं शास्त्रमासीत्। कृषिविज्ञानं च पराशरेण रचितम् । वस्तुतो नास्ति शास्त्रकाराणाम् अल्पा संख्या ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का संधि-विच्छेद :-

  • चेति = च + इति ।
  • शास्त्रकारनाम्नैव = शास्त्रकारनाम्न + एव ।
  • तत्रैव = तत्र + एव ।
  • भौतिकविज्ञानञ्च = भौतिकविज्ञानम् + च ।
  • ज्योतिषशास्त्रेऽपि = ज्योतिषशास्त्रे + अपि ।
  • वास्तुशास्त्रमपि = वास्तुशास्त्रम् + अपि ।
  • शास्त्रमासीत् = शास्त्रम् + आसीत् ।
  • नास्ति = न + अस्ति ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का शब्दार्थ :-

  • उक्तं = सत्य ।
  • अन्तरर्भू = अन्तर्भूत है ।
  • एवं = इसप्रकार ।
  • समन्विताः = सम्मिलित हैं ।
  • अल्पा = कम ।

हिन्दी व्याख्या :- सही कहते हो । प्राचीन भारत में विज्ञान के विभिन्न शाखा शास्त्र से प्रारंभ हुआ । आयुर्वेद शास्त्र में चकरसंहिता और सुश्रुतसंहिता ये शास्त्रकारों के नाम से प्रसिद्ध हैं । वहीं रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान अन्तरर्भूत हैं । ज्योतिष शास्त्र में भी खगोल विज्ञान, गणित इत्यादि शास्त्र हैं । आर्यभट्ट का ग्रन्थ “आर्यभटीय” नाम से प्रसिद्ध है । इसप्रकार वराहमिहिर के वृहत्संहिता विशाल ग्रंथ है । इसमें अनेक विषय सम्मिलित है । यहाँ वास्तुशास्त्र भी व्यापक शास्त्र था । कृषिविज्ञान के रचनाकार महर्षि पराशर है । वास्तव में शास्त्रकारों के संख्या कम नहीं है ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 कावस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
Q1. प्राचीन काल में विज्ञान के विभिन्न शाखा किससे प्रारंभ हुआ?

उत्तर:- शास्त्र से ।

Q2. आयुर्वेद शास्त्र किस नाम से प्रसिद्ध हुआ?

उत्तर:- चकरसंहिता और सुश्रुतसंहिता ।

Q3. “आर्यभटीय” के रचनाकार कौन है?

उत्तर:- आर्यभट्ट ।

Q4. कृषिविज्ञान के रचनाकार महर्षि पराशर है?

उत्तर:- महर्षि पराशर ।

वर्गनायकः – गुरुदेव ! अद्य बहुज्ञातम् । प्राचीनस्य भारतस्य गौरवं सर्वथा समृद्धम् ।
(शिक्षकः वर्गात् निष्क्रामति । छात्राः अनुगच्छन्ति ।)

शब्दार्थ :-

  • बहुज्ञातम् = बहुत ज्ञात हुआ ।
  • सर्वथा = हमेशा ।

हिन्दी व्याख्या :- गुरूदेव ! आज बहुत ज्ञात हुआ । प्राचीन भारत का गौरव सर्वथा समृद्ध रहा है ।

Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 का

Bihar Board Exam में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण हिंदी प्रश्नोत्तर:-

Q1.वेदाङ्ग कितने हैं? नाम लिखिए ।

उत्तर:- वेदाङ्ग छः हैं, जो निम्नांकित हैं :-
(i) शिक्षा (ii) कल्प (iii) व्याकरण (iv) निरूक्त (v)छन्द तथा (vi) ज्योतिष् ।

Q2.आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ कौन-कौन हैं ?

उत्तर:- संस्कृत साहित्य में जीवन से संबंधित प्रत्येक पहलुओं का विवरण मिलता है । आयुर्वेद विज्ञान के प्रमुख ग्रंथ चकर संहिता एवं सुश्रुत संहिता हैं । जिनके रचयिता आचार्य चरक एवं आचार्य सुश्रूत है ।

Q3.वेदाङ्ग कितने हैं? उनके प्रवर्तकों एवं शास्त्रों के नाम लिखें ।

उत्तर:- वेदाङ्ग छः हैं, जो निम्न हैं :-
(i) शिक्षा – शिक्षा शास्त्र के प्रवर्तक आचार्य पाणिनी हैं ।
(ii) कल्प – कल्प शास्त्र के प्रवर्तक महर्षि बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वसिष्ठ आदि हैं ।
(iii) व्याकरण – व्याकरण शास्त्र के प्रवर्तक आचार्य पाणिनी हैं ।
(iv) निरूक्त – निरूक्त शास्त्र के प्रवर्तक आचार्य यास्क है ।
(v) छन्द – छन्द शास्त्र के प्रवर्तक आचार्य लगध है ।
(vi) ज्योतिष् – ज्योतिष् शास्त्र के प्रवर्तक आचार्य पिङ्गल है ।

Q4.भारतीय दर्शनशास्त्र एवं उनके प्रवर्तकों की चर्चा करें ।

उत्तर:- भारतीय दर्शनशास्त्र के छः प्रकार हैं, जो निम्न है :-
(1) सांख्यदर्शन – इसके प्रवर्तक महर्षि कपिल है ।
(2) योगदर्शन – इसके प्रवर्तक महर्षि पतंजलि है ।
(3) न्यायदर्शन – इसके प्रवर्तक महर्षि गौतम है ।
(4) वैशेषिक दर्शन – इसके प्रवर्तक महर्षि कणाद हैं ।
(5) मीमांसादर्शन – इसके प्रवर्तक महर्षि जैमिनी है । तथा
(6) वेदांत दर्शन – इसके प्रवर्तक महर्षि बद्रायण हैं ।

Q5.गुरु के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बताया गया है ?

उत्तर:- “शास्त्रकाराः” पाठ के अनुसार शास्त्र ज्ञान का शासक है । एवं मानवों के कर्तव्य और अकर्तव्य को बोध कराते हैं । तथा ज्ञान प्राप्ति के निवृत्ति और प्रवृत्ति दो मार्ग है, जिससे मानव ज्ञान पता है एवं स्वयं को अनुशासित कर अपने जीवन के लक्ष्य को साध पता है ।

Q6.कल्प गन्थ के प्रमुख रचनाकारों का नाम लिखें ?

उत्तर:- कल्प ग्रंथ कर्मकांडात्मक है । इसके प्रमुख रचनाकार बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वसिष्ठ आदि ऋषिगण हैं ।

निष्कर्ष:-

इस प्रकार, Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 प्राचीन भारत के शास्त्रकारों और उनके योगदान पर प्रकाश डालता है, जो मानवता के विकास के लिए अमूल्य हैं। Bihar Board Class 10th Sanskrit Chapter 14 छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण अध्ययन अध्याय है।

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