Pravisheshan: प्रविशेषण का परिचय:
प्रविशेषण वे शब्द होते हैं, जो विशेषण की विशेषता को और भी अधिक स्पष्ट रूप से बताते हैं या वाक्य के सुंदरता को बढ़ाते हैं। ये शब्द विशेषण से पहले लगकर उसकी तीव्रता, मात्रा या गुण को व्यक्त करते हैं। जैसे: बहुत, अति, अधिक, लगभग, ठीक, बेहद आदि।
उदाहरण:
- सोहन बहुत सुंदर है।
(यहाँ “बहुत” प्रविशेषण है जो “सुंदर” विशेषण की तीव्रता बता रहा है।) - गीता अति मेहनती है।
(यहाँ “अति” प्रविशेषण है जो “मेहनती” विशेषण की मात्रा बढ़ा रहा है।)
प्रविशेषण का मुख्य कार्य विशेषण के गुणों में वृद्धि करना होता है। इसे “अंतर्विशेषण” भी कहा जाता है। यह हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है जो वाक्य को और प्रभावशाली बनाता है।
प्रविशेषण किसे कहते हैं (Pravisheshan kise kahate hain)?
“जो शब्द विशेषण का भी विशेषता बतलाता है, उसे प्रविशेषण कहते हैं।“
जैसे :- थोड़ा, बहुत, अति, अत्यंत, अधिक, अत्यधिक, बड़ा, बेहद, महा, घोर, ठीक, बिल्कुल, लगभग आदि ।
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Pravisheshan examples in hindi
प्रविशेषण के उदाहरणों को वाक्य के द्वारा समझते हैं :-
सोहन बहुत सुंदर है ।
(इस वाक्य में सोहन – विशेष्य । सुंदर – विशेषण । एवं बहुत – प्रविशेषण हैं ।)
गीता अति सुंदर है ।
(इस वाक्य में गीता – विशेष्य । सुंदर – विशेषण । एवं अति – प्रविशेषण हैं ।)
यह अधिक भोज्य खाता है ।
(इस वाक्य में यह – विशेष्य । भोज्य – विशेषण । एवं अधिक – प्रविशेषण हैं ।)
वह लगभग 10 बजे आया ।
(इस वाक्य में वह – विशेष्य । 10 बजे – विशेषण । एवं लगभग – प्रविशेषण हैं ।)
तुम बेहद प्रसन्न हो ।
(इस वाक्य में तुम – विशेष्य । प्रसन्न – विशेषण । एवं बेहद – प्रविशेषण हैं ।) आदि ।
अन्य Pravisheshan examples in hindi :-
- वह बेहद प्रसन्न है । (प्रविशेषण – बेहद)
- रामचन्द्र महा प्राचीन ग्रंथ पढ़ता है । (प्रविशेषण – महा)
- यह घोर अन्याय है । (प्रविशेषण – घोर)
- लड़कियाँ अत्यंत सुंदर हैं । (प्रविशेषण – अत्यंत)
- यह अति प्राचीन वस्तु है । (प्रविशेषण – अति)
- मोहन ठीक 12 बजे आया । (प्रविशेषण – ठीक।) आदि ।
प्रविशेषण का शाब्दिक अर्थ क्या होता है:
“प्रविशेषण का शाब्दिक अर्थ है- “विशेषण से पहले लगकर विशेषण के सामान्य गुणों में वृद्धि करना होता है।“
Pravisheshan की विशेषताएँ :-
(i) प्रविशेषण दो शब्दों “प्र + विशेषण” से मिलकर बना है ।
(ii) प्रविशेषण विशेषण से पहले लगता है ।
(iii) प्रविशेषण विशेषण के गुणों में वृद्धि करता है ।
(iv) प्रविशेषण को “अंतर्विशेषण” भी कहा जाता है ।
Pravisheshan की शब्द रचना (Shabd Rachna) :-
(i) प्रविशेषण का अर्थ क्या होता है ?
“प्रविशेषण का अर्थ- विशेषण का भी विशेषता बतलाना होता है।“
(ii) प्रविशेषण शब्द का वर्ण – विच्छेद क्या होता है ?
प्रविशेषण शब्द का वर्ण – विच्छेद – “प् + र् + अ + व् + इ + श् + ए + ष् + अ + ण् + अ ।“
(iii) प्रविशेषण शब्द का लिंग है –
प्रविशेषण शब्द का लिंग- “नपुंसकलिंग ।”
(iv) प्रविशेषण शब्द किन दो शब्दों से बना है ?
प्रविशेषण शब्द- “प्र उपसर्ग” और “विशेषण” से ।
(v) प्रविशेषण में कौन – सा उपसर्ग लगा है ?
प्रविशेषण में उपसर्ग लगा है- “प्र” उपसर्ग ।
(vi) उत्पत्ति के आधार पर प्रविशेषण कौन – सा शब्द है ?
उत्पत्ति के आधार पर प्रविशेषण शब्द है- तद्भव शब्द ।
(vii) अर्थ के आधार पर प्रविशेषण कौन – सा शब्द है ?
अर्थ के आधार पर प्रविशेषण शब्द है- सार्थक शब्द ।
प्रविशेषण का निष्कर्ष:-
मेरे प्रिय साथियों अपने इस पोस्ट में समझा कि प्रविशेषण किसे कहते हैं प्रविशेषण की परिभाषा उदाहरण, विशेषताएं इत्यादि । प्रविशेषण हिंदी व्याकरण (Pravisheshan in Hindi Vyakaran) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जो विशेषण का भी विशेषता को बताता है और इससे वाक्य में सुंदरता आता है ।
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